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महिला सशक्तिकरण की मिसाल:ट्रैक्टर चलाती है बैगा आदिवासी महिला,कंधो पर परिवार की जिम्मेदारी

डिंडौरी जिले की बैगा आदिवासी(baiga adivasi) महिला अधनी बाई बैगा (baiga adivasi mahila in dindori) जनजाति की पहली महिला है जिसे बखूबी ट्रैक्टर चलाना आता है. महिला ट्रैक्टर चलाने में इतनी दक्ष है कि उसको ट्रैक्टर चलाते देख पुरुष ड्राइवर सहित सभी लोग हैरान.महिला ट्रैक्टर चलाकर न सिर्फ परिवार का पेट पाल रही है बल्कि हर महीने ट्रैक्टर की किश्ते भी जमा करती है. बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई महिला सशक्तिकरण की मिसाल है.

Baiga Adivasi woman
बैगा आदिवासी अधनी बाई
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Published : Jul 12, 2021, 3:55 PM IST

डिंडौरी(Dindori)।आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले की बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. अधनी बाई मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश में बैगा जनजाति की पहली महिला है जिसे बखूबी ट्रैक्टर चलाना आता है. कल तक घर की चारदीवारियों में कैद रहकर चूल्हा चौंका संभालने वाली यह महिला ट्रैक्टर चलाने में इतनी दक्ष है कि उसको ट्रैक्टर चलाते देख पुरुष ड्राइवर सहित सभी लोग अपने दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. ट्रैक्टर चलाकर अधनी बाई न सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण करती है बल्कि वो इसी के जरिए हर महीने ट्रैक्टर की किश्तें भी जमा करती है.

Baiga Adivasi woman
बैगा आदिवासी अधनी बाई

बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई बनी महिला सशक्तिकरण की मिसाल

वनग्राम शीतलपानी में रहने वाली अधनी बाई को जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण देकर ट्रैक्टर उपलब्ध कराया था. शुरूआती दौर में अधनी बाई को ट्रैक्टर की किश्तें जमा करने और काम तलाशने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अपनी मेहनत और लगन के दम पर इस महिला ने सभी मुश्किलों को हराते हुए कामयाबी की नई इबारत लिख डाली.अधनी बाई के हौंसले और जज्बे को देख मप्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी सराहना करते नजर आ रहे हैं.

adivasi woman driving tractor
ट्रैक्टर चलाती आदिवासी महिला

घर की माली खराब होने के चलते संभाला स्टीयरिंग

जिले के बजाग जनपद के वनग्राम शीतलपानी की रहने वाली 35 वर्षीया बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई और उसके परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि उसने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि कभी उसका खुद का ट्रैक्टर होगा और वो खुद ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करेगी. लेकिन अचानक एक सरकारी योजना ने उसकी तकदीर बदलकर रख दी.

इतिहास बन गई नैरोगेज की छुक-छुक 'रफ्तार'! दो फीट चौड़े ट्रैक पर 128 सालों से दौड़ रही थी ट्रेन

ट्रैक्टर चलाने में माहिर अधनी बाई को देखकर पुरुष ड्राइवर हैरान

अधनी बाई अपने गांव के अलावा आसपास के गांवों में ट्रैक्टर के जरिए कुशलता से कृषि काम करती है.अधनी बाई के हौसले को बढ़ावा देने आसपास के ग्रामपंचायतों के निर्माण कार्यों में भी उसके ट्रैक्टर को प्रमुखता से काम दिया जाता है.ट्रैक्टर पाकर अधनी बाई काफी खुश है और उसके जीवन स्तर में काफी सुधार भी हुआ है.अधनी के पति मजदूर हैं जो ट्रैक्टर के व्यवसाय में अपनी पत्नी का बराबर सहयोग करते हैं.

पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने की अधनी बाई की तारीफ

मध्यप्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी अधनी बाई की मेहनत और लगन के कायल हैं.धुर्वे ने बताया कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिये तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है.महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये सरकार हरसंभव मदद कर रही है.सच बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई की मेहनत और हिम्मत और सबके लिए एक प्ररेणा है.

कौन होते है बैगा आदिवासी

बैगा नाम की यह जनजाति नई जगह और नए घर में बनाकर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करते हैं. बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहती है. बैगा परिवार में किसी की मौत होने के बाद यह अपना घर छोड़ देते है. घर छोड़ने का कारण कुल देवता का नाराज होना बताया जाता है.

क्या है मान्यताएं

आदिवासी लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार होता है.

महिला और लड़कियों को दूसरा विवाह करने का अधिकार होता है लेकिन इसके पहले इन्हें एक लोटा गर्म पानी डालकर पवित्र कर दिया जाता है.

बैगा समाज में बहुपत्नी रखने की परंपरा है, लड़की अपनी मर्जी से दूसरा विवाह कर सकती है.

विधवा विवाह में वैसे देवर ही महिला से पहले शादी करता है लेकिन अगर विधवा किसी और से शादी करना चाहे तो कर सकती है.

डिंडौरी(Dindori)।आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी जिले की बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है. अधनी बाई मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश में बैगा जनजाति की पहली महिला है जिसे बखूबी ट्रैक्टर चलाना आता है. कल तक घर की चारदीवारियों में कैद रहकर चूल्हा चौंका संभालने वाली यह महिला ट्रैक्टर चलाने में इतनी दक्ष है कि उसको ट्रैक्टर चलाते देख पुरुष ड्राइवर सहित सभी लोग अपने दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. ट्रैक्टर चलाकर अधनी बाई न सिर्फ अपने परिवार का भरण पोषण करती है बल्कि वो इसी के जरिए हर महीने ट्रैक्टर की किश्तें भी जमा करती है.

Baiga Adivasi woman
बैगा आदिवासी अधनी बाई

बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई बनी महिला सशक्तिकरण की मिसाल

वनग्राम शीतलपानी में रहने वाली अधनी बाई को जिला प्रशासन ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत ऋण देकर ट्रैक्टर उपलब्ध कराया था. शुरूआती दौर में अधनी बाई को ट्रैक्टर की किश्तें जमा करने और काम तलाशने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन अपनी मेहनत और लगन के दम पर इस महिला ने सभी मुश्किलों को हराते हुए कामयाबी की नई इबारत लिख डाली.अधनी बाई के हौंसले और जज्बे को देख मप्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी सराहना करते नजर आ रहे हैं.

adivasi woman driving tractor
ट्रैक्टर चलाती आदिवासी महिला

घर की माली खराब होने के चलते संभाला स्टीयरिंग

जिले के बजाग जनपद के वनग्राम शीतलपानी की रहने वाली 35 वर्षीया बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई और उसके परिवार की माली हालत इतनी खराब थी कि उसने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि कभी उसका खुद का ट्रैक्टर होगा और वो खुद ट्रैक्टर चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करेगी. लेकिन अचानक एक सरकारी योजना ने उसकी तकदीर बदलकर रख दी.

इतिहास बन गई नैरोगेज की छुक-छुक 'रफ्तार'! दो फीट चौड़े ट्रैक पर 128 सालों से दौड़ रही थी ट्रेन

ट्रैक्टर चलाने में माहिर अधनी बाई को देखकर पुरुष ड्राइवर हैरान

अधनी बाई अपने गांव के अलावा आसपास के गांवों में ट्रैक्टर के जरिए कुशलता से कृषि काम करती है.अधनी बाई के हौसले को बढ़ावा देने आसपास के ग्रामपंचायतों के निर्माण कार्यों में भी उसके ट्रैक्टर को प्रमुखता से काम दिया जाता है.ट्रैक्टर पाकर अधनी बाई काफी खुश है और उसके जीवन स्तर में काफी सुधार भी हुआ है.अधनी के पति मजदूर हैं जो ट्रैक्टर के व्यवसाय में अपनी पत्नी का बराबर सहयोग करते हैं.

पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने की अधनी बाई की तारीफ

मध्यप्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे भी अधनी बाई की मेहनत और लगन के कायल हैं.धुर्वे ने बताया कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिये तमाम प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है.महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिये सरकार हरसंभव मदद कर रही है.सच बैगा आदिवासी महिला अधनी बाई की मेहनत और हिम्मत और सबके लिए एक प्ररेणा है.

कौन होते है बैगा आदिवासी

बैगा नाम की यह जनजाति नई जगह और नए घर में बनाकर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करते हैं. बैगा जनजाति मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के जंगलों में रहती है. बैगा परिवार में किसी की मौत होने के बाद यह अपना घर छोड़ देते है. घर छोड़ने का कारण कुल देवता का नाराज होना बताया जाता है.

क्या है मान्यताएं

आदिवासी लड़कियों को अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार होता है.

महिला और लड़कियों को दूसरा विवाह करने का अधिकार होता है लेकिन इसके पहले इन्हें एक लोटा गर्म पानी डालकर पवित्र कर दिया जाता है.

बैगा समाज में बहुपत्नी रखने की परंपरा है, लड़की अपनी मर्जी से दूसरा विवाह कर सकती है.

विधवा विवाह में वैसे देवर ही महिला से पहले शादी करता है लेकिन अगर विधवा किसी और से शादी करना चाहे तो कर सकती है.

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