डिंडौरी। आदिवासी जिला डिंडौरी में बेहतर पोषण न मिलने के कारण महिलाओं ओर उनके बच्चों को कुपोषण का शिकार होना पड़ता है. शायद इसी के चलते नेवसा पंचायत के दियावार गांव मे रहने वाले परसादी लाल गौंड की 4 साल की मासूम गौरी को एक अनजान बीमारी का शिकार होना पड़ा. वहीं अपनी मासूम बेटी को इस तरह देख लाचार पिता प्रदेश के मुखिया से इलाज की मांग कर रहा है.
दरअसल, शिक्षा और योजनाओं से कोसो दूर दियावार गांव जहां ज्यादातर बैगा निवास करते है उनके बीच परसादी लाल गौंड का परिवार भी रहता है. परसादी लाल गरीबी के चलते अपने परिवार का मजदूरी कर भरण पोषण करता है. उसकी एक बेटी गौरी है, गौरी जिसके चेहरे में बचपन से ही आंख और नाक के बीच मांस का छोटा टुकड़ा था जो अब धीरे-धीरे बड़ा हो रहा है. और गरीबी के चलते उसका इलाज कराने में असमर्थ है.
परसादी लाल का कहना है को उसकी बेटी गौरी को देख अन्य सामान्य बच्चे डर जाते है तो कुछ उस पर तरस खाते है. परसादी लाल अपनी बेटी गौरी के साथ उसकी बहन, सहेली और दोस्त की तरह रहता है. समय आने पर गौरी के साथ घूमता है, खेलता है और बातचीत करता है. परसादी लाल अपनी बेटी का इलाज इसलिए करवाने में असमर्थ है क्योंकि उसके पास जरूरी दस्तावेज सहित पैसा नहीं है. वहीं अब परसादी लाल ने ईटीवी भारत के माध्यम से मांग की है कि सरकार इसकी बेटी का इलाज करवाये.
इस मामले में जब ईटीवी भारत जिला के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी आर के मेहरा से बात की तो उनका कहना है कि सरकार की योजना से बिल्कुल मुफ्त गौरी का बेहतर इलाज हो सकता है जिससे गौरी और बच्चों की तरह सुंदर दिखने लगेगी. डॉ मेहरा ने बताया कि हर गांव के स्कूल और आंगनवाड़ियों में एडमिशन लेने वाले बच्चों को उनकी स्वास्थ्य टीम चिन्हित कर उनका इलाज करवाती है. गौरी के चेहरे में जो मांस का टुकड़ा बढ़ रहा है उस बीमारी को मेनेगो मायलोसील (ब्रेन ट्यूमर) कहते है, जिसका समय पर इलाज न होने से बाद में खतरा बढ़ जाता है.