धार। कृषि प्रधान देश भारत में अब खेती करना दिन-ब-दिन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है. कोरोना काल में अन्नदाताओं ने आर्थिक नुकसान की मार झेली है, जिससे उबरने के लिए अपने खेतों में मक्का, सोयाबीन, गन्ना, तुवर की फसल लगाई है, लेकिन इन फसलों को भी जंगली जानवरों का ग्रहण लग गया है. धार जिले के किसान इन दिनों जंगली सुअरों के उत्पात से परेशान हैं. सुअरों ने कई एकड़ मक्के की फसल को तहस-नहस कर दिया है.
फसलों पर जंगली सुअरों का आक्रमण
प्राकृतिक आपदा की मार झेलने के बाद अब अन्नदाता की बची फसलों पर रात के अंधेरे में जंगली सुअर अपना निशाना बना रहे हैं. धार जिले के ग्राम हतनावर, खतड़गाव, सुलगाव, पीपल्दागढ़ी के किसान जंगली सुअरों से काफी परेशान हैं. उनकी मक्का, गन्ना, तुंवर, सोयाबीन की हरी-भरी फसलों को रात में सुअर चट कर जाते हैं.
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किसानों की हरी-भरी फसल बर्बाद
जिले में इन दिनों आलम ये है कि किसान जब अपने खेतों में पहुंचता है, तो उनकी हरी-भरी फसल खेतों में बिखरी मिलती है. फसलों की बर्बादी को लेकर जब किसान सरकारी अफसरों से बात करते है, तो उन्हें नियमों का हवाला दिया जाता है, जो जख्मों में नमक छिड़कने जैसा है. ऐसे में कृषि प्रधान देश का अन्नदाता आखरी करें तो क्या करें ?
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अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
मक्के की खेती करने वाले किसान ललित सिंह सोलंकी बताते हैं कि लॉकडाउन के समय उनकी सब्जी की उपज नहीं बिक पाई, जिससे उन्हें बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ. उस आर्थिक नुकसान की मार झेलकर जैसे-तैसे मक्के की फसल तैयार की थी, उनमें भी जंगली सुअरों का आक्रमण हो गया है. उनकी तीन बीघा में लगी मक्के की फसल को सुअरों ने खा दिया है, जिससे उनको बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. अब इसकी भरपाई के लिए वह कई बार सरकारी नुमाइंदों के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
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नुकसान की भरपाई कौन करें?
खुजावा गांव के किसान राजेंद्र मंडलोई ने बताया कि आसपास के कई गांवों में जंगली सुअरों के अटैक के कारण बड़ी संख्या में किसानों की मक्का, सोयाबीन, गन्ने की फसलें बर्बाद हुई हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है.
इस नुकसान की भरपाई शासन प्रशासन की ओर से मुआवजे के रूप में होनी चाहिए, जिसे लेकर वह कई बार आवेदन कर चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कई गई है. किसानों को उम्मीद है कि उनकी फसलों के नुकसान की भरपाई शासन की ओर से जल्द से जल्द की जाए.
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निरीक्षण अधिकारी ने बताया पालतू सुअर
फसलों में जंगली सुअरों के आक्रमण की जानकारी मिलने के बाद निरीक्षण अधिकारी योगेंद्र सिंह मौर्य खेतों में पहुंचे, उन्होंने कहा कि फॉरेस्ट की टीम ने किसानों के खेतों का निरीक्षण किया है. जिसमें पाया गया है कि खेतों में फसलों को नुकसान जंगली सुअरों ने नहीं बल्कि पालतू सुअरों ने पहुंचाया है, ऐसे में शासकीय नियमानुसार मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है, यदि जंगली सुअरों ने फसलों को बर्बाद किया होता तो मुआवजा शासन जरूर देती.
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किसानों ने किया जंगली सुअर होने का दावा
निरीक्षण अधिकारी योगेंद्र सिंह मौर्य का ये बयान किसानों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. योगेंद्र सिंह मौर्य का मानना है कि किसानों की फसलों को पालतू सुअरों ने बर्बाद किया है, जिसके चलते उन्हें शासन की तरफ से मुआवजा राशि नहीं मिलेगी.
वहीं किसानों का दावा है कि उनकी फसलों को जंगली सुअरों ने बर्बाद किया है. जो भी कारण हो, किसानों की फसलें तो बर्बाद हो गई, जिससे आर्थिक नुकसान तो किसानों को हुआ है, अब ऐसी स्थिति में आखिर अन्नदाता करें भी तो क्या करें?