धार। गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा सरदार सरोवर बांध में 138 मीटर तक पानी भरे जाने के फैसले के विरोध में डूब प्रभावित गांवों के लोगों ने मशाल जुलूस निकाला.
दरअसल, गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण बार-बार सरदार सरोवर बांध में 138 मीटर पानी भरने की बात कर रहा है, जिसका विरोध बांध से प्रभावित धार जिले के गांव के लोग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लोग डूब प्रभावित गांवों में रह रहे हैं और अभी तक लोगों का विस्थापन नहीं हुआ है और जिनका हुआ है उनको अभी तक आदर्श पुर्नवास सुविधा नहीं मिली है.
सरदार सरोवार बांध में 138 मीटर तक पानी भरे जाने के विरोध में उतरे ग्रामीण, निकाला मशाल जुलूस - गुजरात सरकार
धार के सरदार सरोवार बांध में 138 मीटर तक पानी भरे जाने के विरोध में डूब प्रभावित गांव के लोगों ने मशाल जुलूस निकाला.
धार। गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण द्वारा सरदार सरोवर बांध में 138 मीटर तक पानी भरे जाने के फैसले के विरोध में डूब प्रभावित गांवों के लोगों ने मशाल जुलूस निकाला.
दरअसल, गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण बार-बार सरदार सरोवर बांध में 138 मीटर पानी भरने की बात कर रहा है, जिसका विरोध बांध से प्रभावित धार जिले के गांव के लोग कर रहे हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लोग डूब प्रभावित गांवों में रह रहे हैं और अभी तक लोगों का विस्थापन नहीं हुआ है और जिनका हुआ है उनको अभी तक आदर्श पुर्नवास सुविधा नहीं मिली है.
Body:दरअसल गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण बार-बार सरदार सरोवर बांध में 138 मीटर तक पानी भर जाने की बात करता,जिसका विरोध सरदार सरोवर बांध से डूबप्रभावित धार जिले के गाँव के लोग कर रहे, डूब प्रभावित गांवों के लोगों कि मांग है,गुजरात सरकार और नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के लोग पहले सरदार सरोवर बांध से डूबप्रभावित गांवों में आकर लोगो के विस्थापन की सुविधा और समस्याओ को आकार देखे और उनको समझे,डूब प्रभावित गावो में आज भी लोग निवाश कर रहे है,अभी भी लोगो का विस्थापन नही हुआ,जिनका विस्थापन हुआ है उनको अभी तक आदर्श पुर्नवास सुविधा नही मिली है,डूब प्रभावितो कि मांग है पहले सरदार सरोवर बांध से डूबप्रभावितो गाँव के सभी लोगो का आदर्श पुनर्वास सुविधा के साथ विस्थापन हो जाये ,उसके बाद सरकार बांध में पानी भरने का निर्णय ले, पर जब तक लोगो का आदर्श पुनर्वासन सुविधा के साथ विस्थापन नही होता तब कर लोग अपने मूल गाँव मे रहेगे, इसी को लेकर डूब प्रभावित गाँव के लोग मशाल जुलूस निकाल कर अपना विरोध जता रहे है।
Conclusion:
बाइट-मेधा पाटकर-नर्मदा बचाव आन्दोलन कि प्रमुख