धार। 22 अगस्त से विघ्नहर्ता, प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश जी का जन्मोत्सव देशभर में कोरोना काल के दौरान जारी की गई गाइड लाइन के तहत मनाया जाएगा. देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने वाला गणेशोत्सव इस साल कोरोना वायरस की चपेट में आने के कारण अपनी रौनक खो चुका है.
पूरे देश में लगातार तेजी से बढ़ रही कोरोना संक्रमितों की संख्या को देखते हुए और हर साल धार में होने वाली गणेशोत्स्व की धूम के मद्देनजर इस साल प्रशासन ने बड़ी गणेश प्रतिमाओं के निर्माण और पंडालों के आयोजन पर रोक लगा दी है, जिस वजह से गणेश मूर्ति बनाने वाले मूर्तिकार मायूस हैं.
नहीं रहेगी गणेशोत्सव की धूम
इस बार गणेश उत्सव के मौके पर ज्यादा धूम धड़ाका नहीं हो पाएगा, बड़े-बड़े पंडालों पर भी कोरोना वायरस की वजह से शासन-प्रशासन ने रोक लगा दी है. गणेश चतुर्थी के मौके पर कोरोना काल में गणेश जी घर पर ही विराजित होंगे, जिसके चलते गणेश भक्तों में निराशा तो है लेकिन उन्हें भगवान गणेश से पूरी-पूरी आशा है कि विघ्नहर्ता कोरोना वायरस संक्रमण से जल्द ही सबको मुक्ति दिलाएंगे.
मूर्तिकारों का व्यापार हुआ प्रभावित
वहीं सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए मूर्तिकारों ने इस बार भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियां नहीं बनाई हैं, जिसके चलते उनका व्यापार काफी हद तक प्रभावित हुआ है. उनको आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.
इस बार मूर्तिकारों का पूरा व्यापार बप्पा की छोटी मूर्तियों पर ही निर्भर है. ऐसे में इस बार गणेश उत्सव के मौके पर भगवान श्री गणेश की मूर्ति की स्थापना घरों पर ही हो पाएगी. जिसे देखते हुए मूर्तिकारों ने छोटी मूर्तियों का ही निर्माण किया है. गाइडलाइन के पहले उन्होंने बड़ी मूर्तियां बनाना जरूर शुरू कर दी थी, लेकिन गाइडलाइन जारी होते ही उनकी मेहनत पर पानी फिर गया.
आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे मूर्तिकार
मूर्तिकारों ने जो बड़ी मूर्तियां पहले ही बना ली थीं, अब उन मूर्तियों से मूर्तिकारों को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है. मूर्तिकार नन्नू प्रजापत बताते हैं कि गणेश जी की छोटी प्रतिमाओं से कम ही मुनाफा होता है, ज्यादा मुनाफा तो बड़ी मूर्तियों के बिकने पर होता था.
लॉकडाउन में महंगा हुआ मटेरियल, मुनाफा हुआ कम
गणेश प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार नरसिंह प्रजापत बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जो लॉकडाउन किया गया था, उससे गणेश प्रतिमा को बनाने में लगाने वाला मटेरियल काफी महंगा हो गया है. मिट्टी और मूर्ति बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाला चारा और नेचुरल कलर काफी महंगे हो गए हैं ,जिससे मूर्तियां बनाने में खर्च बढ़ गया है.
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बप्पा के भरोसे व्यापार
मूर्तिकार और पेंटर चंदू प्रजापति बताती हैं कि इस बार बप्पा के भरोसे ही गणेश मूर्तियों का पूरा व्यापार है. बप्पा चाहेंगे तो हमको मुनाफा होगा और अगर बप्पा नहीं चाहेंगे तो इस बार मूर्तियों को व्यापार में नुकसान उठाना पड़ेगा.
कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए किए गए लॉकडाउन ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया है. इससे मूर्तिकारों का व्यापार भी अछूता नहीं है, मूर्तिकारों को अब गणेश चतुर्थी के मौके पर गणेश प्रतिमाओं की बिक्री से बड़ी आशा है.
हालांकि दो फीट से बड़ी मूर्तियों की बिक्री पर शासन की रोक होने के चलते इस बार गणेश प्रतिमाओं को बनाने वालों का व्यापार पहले ही घाटे में जा चुका है, बावजूद इसके मूर्तिकार विघ्नहर्ता बप्पा के भरोसे छोटी मूर्तियों से आस लगाए हुए हैं.