धार। जिले के छोटे से ग्राम पीपल्दागढ़ी में नर्मदा किनारे अति प्राचीन शिवालय स्थित है. जिसे श्री विराजे नागझिरी महादेव के नाम से जाना जाता है, जो श्रावण सोमवार में भक्तों की आस्था का केंद्र रहता है. मान्यता के अनुसार शिव के दर्शन मात्र से सुख-शांति और वैभव की प्राप्ति होती है. जहां हर साल श्रावण मास में भक्तों की भीड़ देखी जाती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम हो गई है.
शिव मंदिर की मान्यता
जानकारी की माने तो शिवालय परमार कालीन से स्थित हैं, इस शिवालय की विशेषता ये है कि यहां शांति और मोक्ष के कारक नागझिरी महादेव श्री यंत्र पर विराजमान हैं. श्री यंत्र पर विराजमान होने से शिव की महिमा और बढ़ जाती है. इस शिवालय में शिवलिंग गोल ना होकर चोकोर हैं, जो शिव के मोक्ष स्वरूप को दर्शाती हैं. बता दें कि श्री यंत्र पर विराजमान नागझिरी महादेव की आराधना करने से भक्तों को धनधान्य के साथ ही सुख-शांति और वैभव की प्राप्ति होती है.
शिवालय की विशेषता
नागझिरी महादेव मंदिर के महामंडलेश्वर नरसिंह दास जी महाराज बताते हैं कि श्री यंत्र पर विराजे नागझिरी महादेव का ये अद्भूत शिवालय परमार कालीन हैं, जो नर्मदा किनारे स्थित है. पुराने समय में शिवालय के आसपास घना जंगल हुआ करता था, वहीं नर्मदा किनारे होने से ये शिवालय ऋषि-मुनियों और साधु-संतों की साधना का केंद्र रहा है.
श्रावण मास और नवरात्र में होती है विशेष साधना
शिवालय के महाराज नरसिंह दास ने कहा कि श्री यंत्र लक्ष्मी की साधना, श्री की साधना, वर्चस्व और वैभव की साधना से मन को सुख और वैभव मिलता है. वहीं शिव शांति और मोक्ष के दाता हैं, इसलिए श्री यंत्र पर विराजमान शिव के दर्शन से, आराधना से, साधना से भक्तों को श्री के साथ शांति की प्राप्ति होती है. यानि ऐसी लक्ष्मी की प्राप्ति होती है, जिससे साधक और उसके परिवार को सुख-शांति, वैभव और वर्चस्व मिलता है. वहीं श्रावण और नवरात्र में यहां पर विशेष रूप से शिव की लक्ष्मी संमत साधना की जाती है. जिससे शिव और लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं.
हर साल श्रावण मास में श्री यंत्र पर विराजमान शिवालय भक्तों की आस्था केंद्र होती है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के चलते यहां भक्तों की भीड़ नहीं देखी जा रही है. आज श्रावण मास का चौथा सोमवार है, लेकिन मंदिर में कुछ ही श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं.