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राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बने मंत्री, कार्यकर्ता खुश - Rajwardhan Singh Dattigaon sworn in as minister

शिवराज कैबिनेट में बदनावर के पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को जगह मिलने पर कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल है.

Rajwardhan Singh Dattigaon sworn in as minister
कार्यकर्ताओं में खुशी का माहौल
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Published : Jul 2, 2020, 3:14 PM IST

धार। जिले के बदनावर से पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने गुरुवार को मंत्री पद की शपथ ली. राज्यवर्धन सिंह 2018 के चुनाव में बदनावार विधानसभा से विधायक चुने गए थे, जिसके बाद कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज होकर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं राज्यवर्धन सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिलने से कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है.

राजवर्धन सिंह के बारे में

बदनावर के पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का जन्म 10 जनवरी 1972 को सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के दत्तीगांव में हुआ था. पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन और एडवरटाइजिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. दत्तीगांव ने जर्मनी में लुप्ता हंस एयरलाइंस में साउथ एशिया के रीजनल मैनेजर के रूप में नौकरी भी की है, लेकिन 1998 में दत्तीगांव ने नौकरी छोड़ राजनीति में प्रवेश किया.

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव 1998 में अपने पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव के चुनाव के लिए बदनावर आए थे. इस दौरान ऐसी परिस्थिति का निर्मित हुई कि वह खुद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे. जिस समय राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, उस समय राजवर्धन सिंह के पिता प्रेमसिंह दत्तीगांव बदनावर के पूर्व विधायक थे और कांग्रेस जिला अध्यक्ष के पद पर भी थे. कांग्रेस ने तत्कालीन समय में बदनवार विधायक प्रेमसिंह दत्तीगांव का टिकट काटकर उनकी जगह सहकारी नेता रहे मोहन सिंह बुंदेला को अपना उम्मीदवार बनाकर विधानसभा चुनाव में उतारा. जिसके चलते प्रेमसिंह दत्तीगांव के समर्थक नाराज और आक्रोशित हुए. इसी के चलते राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह चुनाव हार गए थे. इस दौरान उन्हें 30 हजार वोट मिले थे, इसी के चलते 2003 में कांग्रेस पार्टी ने राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने बदनावर विधानसभा सीट से कांग्रेस को 7 हजार 500 मतों से विजय दिलाई.

इसी तरह 2008 के विधायक के विधानसभा चुनाव में भी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बदनावर से 10 मतों से जीत दर्ज कराई. 2013 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भाजपा के भंवर सिंह शेखावत के सामने चुनाव हार गए. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने 40 हजार से अधिक रिकॉर्ड तोड़ मतों से बदनावर से कांग्रेस को जीत दिलाई. इस दौरान कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव नाराज हो गए और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए.

धार। जिले के बदनावर से पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने गुरुवार को मंत्री पद की शपथ ली. राज्यवर्धन सिंह 2018 के चुनाव में बदनावार विधानसभा से विधायक चुने गए थे, जिसके बाद कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से नाराज होकर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं राज्यवर्धन सिंह को मंत्रिमंडल में जगह मिलने से कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है.

राजवर्धन सिंह के बारे में

बदनावर के पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का जन्म 10 जनवरी 1972 को सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के दत्तीगांव में हुआ था. पूर्व विधायक राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने सेंट स्टीफन कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन और एडवरटाइजिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की है. दत्तीगांव ने जर्मनी में लुप्ता हंस एयरलाइंस में साउथ एशिया के रीजनल मैनेजर के रूप में नौकरी भी की है, लेकिन 1998 में दत्तीगांव ने नौकरी छोड़ राजनीति में प्रवेश किया.

राजनीतिक जीवन की शुरुआत

राजवर्धन सिंह दत्तीगांव 1998 में अपने पिता प्रेम सिंह दत्तीगांव के चुनाव के लिए बदनावर आए थे. इस दौरान ऐसी परिस्थिति का निर्मित हुई कि वह खुद निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में उतरे. जिस समय राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था, उस समय राजवर्धन सिंह के पिता प्रेमसिंह दत्तीगांव बदनावर के पूर्व विधायक थे और कांग्रेस जिला अध्यक्ष के पद पर भी थे. कांग्रेस ने तत्कालीन समय में बदनवार विधायक प्रेमसिंह दत्तीगांव का टिकट काटकर उनकी जगह सहकारी नेता रहे मोहन सिंह बुंदेला को अपना उम्मीदवार बनाकर विधानसभा चुनाव में उतारा. जिसके चलते प्रेमसिंह दत्तीगांव के समर्थक नाराज और आक्रोशित हुए. इसी के चलते राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह चुनाव हार गए थे. इस दौरान उन्हें 30 हजार वोट मिले थे, इसी के चलते 2003 में कांग्रेस पार्टी ने राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने बदनावर विधानसभा सीट से कांग्रेस को 7 हजार 500 मतों से विजय दिलाई.

इसी तरह 2008 के विधायक के विधानसभा चुनाव में भी राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बदनावर से 10 मतों से जीत दर्ज कराई. 2013 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव भाजपा के भंवर सिंह शेखावत के सामने चुनाव हार गए. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने 40 हजार से अधिक रिकॉर्ड तोड़ मतों से बदनावर से कांग्रेस को जीत दिलाई. इस दौरान कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव नाराज हो गए और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए.

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