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चतुर्भुज श्री राम मंदिर के 250 वर्ष पुराने गर्भगृह में हुई राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा

धार में एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर में अष्ट धातु से तैयात किये गये राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गयी. साधु संतो ने राम दरबार के साथ में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार का 108 औषधीय एवं दूध धारा एवं पंचामृत से अभिषेक किया. मंत्रो उच्चारण के साथ प्राण प्रतिष्ठा की गयी.

lord shri ram
श्री राम भगवान की मूर्ति
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Published : Aug 5, 2020, 9:34 PM IST

धार। पर्यटन नगरी मांडू में विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर में अष्ट धातु से तैयार किये गये राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई. मांडू स्थित विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर का पुराना गर्भ गृह ढाई सौ वर्ष से खाली था. यहां आने वाले भक्त गर्भ गृह तक जरूर जाते थे. लेकिन यहां उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं होते थे.

राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा

इसी को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि पर पांच अगस्त को भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ मांडू में भी राम मंदिर के पुराने गर्भ गृह में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई. जिसमें राम मंदिर के पीठाधीश्वर नर सिंह दास महाराज के साथ में अन्य साधु संतों ने राम दरबार के साथ में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार का 108 औषधीय एवं दूध धारा एवं पंचामृत से अभिषेक किया. मंत्रो उच्चारण के साथ में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठान पुराने गर्भ गृह में की गई.

मांडू स्थित चतुर्भुज श्री राम मंदिर अति प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में मौजूद चतुर्भुज श्री राम स्वरूप का दर्शन विश्व में कहीं और नहीं होता है. चतुर्भुज श्री राम मंदिर के राम दरबार कि प्रतिमा के नीचे प्रतिमा निर्माण विक्रम संवत 957 में किया जाना अंकित है. मान्यता यह है कि विक्रम संवत 1823 में महंत रघुनाथ दास जी महाराज पुणे को भगवान श्रीराम ने चतुर्भुज स्वरूप ने स्वरूप में स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मांडू स्थित पूर्व दिशा में गूलर के पेड़ के नीचे भैरव बाबा की प्रतिमूर्ति है. मूर्ति के नीचे तलघर है, उसमें मेरी चतुर्भुज स्वरूप की मूर्ति है, जिसके बाद महंत रघुनाथ दास जी महाराज भ्रमण करते हुए पुणे से मांडू आये ओर वे धार की महारानी शकुबाई पवार से मिले और पूरे स्वप्न के बारे में उनको बताया.

mahant during pran pratishtha
प्राण प्रतिष्ठा करते महंत

महारानी शकुबाई ने मांडू आकर महंत रघुनाथ दास जी द्वारा बताए गए स्थान पर खुदाई करवाई. खुदाई में गुफा में बने गर्भ गृह में प्रभु राम के चतुर्भुज स्वरूप प्रतिमा के साथ में संपूर्ण राम दरबार कि चमत्कारी मूर्तियां मिली. जिन्हें धार महारानी शकु बाई ने धार ले जाकर मंदिर में स्थापित करने का फैसला लिया. जब हाथियों पर मूर्तियां रखी गईं और धार ले जाया जाने लगा तब हाथी जिस स्थान पर वर्तमान में मांडू में प्रभु श्री राम का मंदिर है, उस स्थान पर आकर बैठ गए और वहां से आगे नहीं बढ़े. धार महारानी शकुबाई विक्रम संवत 1823 में चतुर्भुज श्री राम मंदिर का निर्माण कराया और प्रभु श्री राम की चतुर्भुज स्वरूप की मूर्ति स्थापित की गई. तब से ही जिस स्थान पर खुदाई के बाद में चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा मिली थी. वह गर्भ गृह खाली था, जिसे आज अयोध्या में राम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन के मौके पर अष्टधातु से तैयार की गई. राम दरबार की प्रतिमाएं स्थापित की गई.

धार। पर्यटन नगरी मांडू में विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर में अष्ट धातु से तैयार किये गये राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई. मांडू स्थित विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर का पुराना गर्भ गृह ढाई सौ वर्ष से खाली था. यहां आने वाले भक्त गर्भ गृह तक जरूर जाते थे. लेकिन यहां उन्हें प्रभु श्री राम के दर्शन नहीं होते थे.

राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा

इसी को ध्यान में रखते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि पर पांच अगस्त को भव्य राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन के साथ मांडू में भी राम मंदिर के पुराने गर्भ गृह में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा की गई. जिसमें राम मंदिर के पीठाधीश्वर नर सिंह दास महाराज के साथ में अन्य साधु संतों ने राम दरबार के साथ में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार का 108 औषधीय एवं दूध धारा एवं पंचामृत से अभिषेक किया. मंत्रो उच्चारण के साथ में अष्ट धातु से बने हुए राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठान पुराने गर्भ गृह में की गई.

मांडू स्थित चतुर्भुज श्री राम मंदिर अति प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर में मौजूद चतुर्भुज श्री राम स्वरूप का दर्शन विश्व में कहीं और नहीं होता है. चतुर्भुज श्री राम मंदिर के राम दरबार कि प्रतिमा के नीचे प्रतिमा निर्माण विक्रम संवत 957 में किया जाना अंकित है. मान्यता यह है कि विक्रम संवत 1823 में महंत रघुनाथ दास जी महाराज पुणे को भगवान श्रीराम ने चतुर्भुज स्वरूप ने स्वरूप में स्वप्न में दर्शन दिए और कहा कि मांडू स्थित पूर्व दिशा में गूलर के पेड़ के नीचे भैरव बाबा की प्रतिमूर्ति है. मूर्ति के नीचे तलघर है, उसमें मेरी चतुर्भुज स्वरूप की मूर्ति है, जिसके बाद महंत रघुनाथ दास जी महाराज भ्रमण करते हुए पुणे से मांडू आये ओर वे धार की महारानी शकुबाई पवार से मिले और पूरे स्वप्न के बारे में उनको बताया.

mahant during pran pratishtha
प्राण प्रतिष्ठा करते महंत

महारानी शकुबाई ने मांडू आकर महंत रघुनाथ दास जी द्वारा बताए गए स्थान पर खुदाई करवाई. खुदाई में गुफा में बने गर्भ गृह में प्रभु राम के चतुर्भुज स्वरूप प्रतिमा के साथ में संपूर्ण राम दरबार कि चमत्कारी मूर्तियां मिली. जिन्हें धार महारानी शकु बाई ने धार ले जाकर मंदिर में स्थापित करने का फैसला लिया. जब हाथियों पर मूर्तियां रखी गईं और धार ले जाया जाने लगा तब हाथी जिस स्थान पर वर्तमान में मांडू में प्रभु श्री राम का मंदिर है, उस स्थान पर आकर बैठ गए और वहां से आगे नहीं बढ़े. धार महारानी शकुबाई विक्रम संवत 1823 में चतुर्भुज श्री राम मंदिर का निर्माण कराया और प्रभु श्री राम की चतुर्भुज स्वरूप की मूर्ति स्थापित की गई. तब से ही जिस स्थान पर खुदाई के बाद में चतुर्भुज श्री राम की प्रतिमा मिली थी. वह गर्भ गृह खाली था, जिसे आज अयोध्या में राम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के भव्य राम मंदिर के भूमि पूजन के मौके पर अष्टधातु से तैयार की गई. राम दरबार की प्रतिमाएं स्थापित की गई.

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