धार। मध्यप्रदेश में हो रही जोरदार बारिश से एक तरफ जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. तो इस बारिश ने शासन और प्रशासन की उन कमियों को भी उजागर किया, जो अब तक नजरों में नहीं थी. जलसत्याग्रह करते यह लोग धार जिले के पाना गांव के है. जो गांव में एक अदद पुलिया न होने से हर दिन जान-जोखिम में डालते हैं.
गांव के इस पार से उस पार जाने के लिए नदी पार करनी पड़ती थी. जिस पर पुलिया न होने से बारिश के मौसम में ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ग्रामीणों ने नदी के दोनों छोर पर खजूर के पेड़ रखकर जुगाड़ की पुलिया बनाई है. जिसके सहारें वे नदी पार करते थे. लेकिन पिछले दिनों जुगाड़ की पुल से गुजर रहा एक युवक नदी में बह गया जिसकी मौत हो गई.
घटना के बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिया बनाए जाने की मांग के लिए जलसत्याग्रह शुरु कर दिया. तीन दिन तक जलसत्याग्रह करने के बाद आखिरकार स्थानीय विधायक राज्यवर्धन सिंह मौके पर पहुंचे और उन्होंने पुलिया निर्माण की स्वीकृति देते हुए ग्रामीणों का जलसत्याग्रह बंद करवाया.
विधायक ने पुलिया निर्माण की स्वीकृति तो दे दी. लेकिन पाना गांव शहीद रवींद्र सिंह राठौर का गांव है. जिसने देश के लिए अपनी जान दे दी. लेकिन बदले में शासन ने उस गांव की छोटी सी समस्या भी खत्म नहीं की. जो आज यहां की सबसे बड़ी परेशानी बन गई. बड़ा सवाल यह है कि ग्रामीणों की यह समस्या न जाने कितने समय से चली आ रही है. जहां एक पुलिया न होने से कई लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
हालांकि मौके पर पहुंचे कांग्रेस विधायक ने पाना गांव के लोगों को पुलिया निर्माण का स्वीकृति पत्र सत्याग्रह कर रहे ग्रामीणों को सौंपा है. उनका कहना है कि 40 लाख 47 हजार की लागत से पुल का निर्माण होगा. विधायक निधि व 14वें वित्त आयोग से राशि स्वीकृत कराकर पुलिया का निर्माण करवाया जाएगा. विधायक ने मौके पर ही सत्याग्रह कर रहे लोगों के हाथों से ही भूमिपूजन करवाया.