धार। एमपी में चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद अब उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही है. बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी पार्टियां अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी हैं. सिलसिला भी जारी है. ऐसे में हम आपको ईटीवी भारत की खास सीरीज मप्र की विधानसभाओं के सीट स्कैन के बारे में बता रहे हैं. आज बात एमपी के धार जिले की आदिवासी बाहुल्य गंधवानी विधानसभा की. आइए जानते हैं...
मध्यप्रदेश की गंधवानी विधानसभा आदिवासी बाहुल्य सीट है. यहां पर दोनों सियासी पार्टियां एक्टिव हैं. वर्तमान में ये सीट कांग्रेस के कब्जे में है. यहां से विधायक उमर सिंघार हैं. वे पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर महिला नेता जमुना देवी के भतीजे हैं. इस सीट पर कांग्रेस की खासी पकड़ मानी जाती है. अबतक हुए 3 विधानसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस का ही परचम लहराया गया है. वर्तमान में इस सीट पर उमंग सिंघार को कांग्रेस ने टिकट दिया है. धुमसिंह मंडलोई को बसपा और बीजेपी ने सरदार सिंह मेड़ा को टिकट दिया है.
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गंधवानी विधानसभा से जुड़े फैक्ट्स: धार की गंधवानी विधानसभा का ये इलाका एक पहाड़ी क्षेत्र है. यहां पर उम्मीदवारों को वोटर्स से जनसंपर्क करने के लिए ज्यादा मेहनत भी करनी पड़ती है. गंधवानी विधानसभा मुख्ता गंधवानी, बाग और तिरला तीन ब्लॉकों से मिलकर बनी हुई है. इस विधानसभा से मनावर, सरदारपुर, कुक्षी, जोबट, झाबुआ जैसी विधानसभा लगी हुई है. धार जिले में यह विधानसभा सबसे बड़ी है. गंधवानी क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता आदिवासी समाज के हैं. यहां मुख्य रुप से आदिवासी समाज की दो जातियां है भलाला और बील. वर्तमान विधायक उमंग सिंघार भी इसी वर्ग से आते हैं.
कुल कितने मतदाता: अगर इस विधानसभा पर कुल मतदाताओं की बात करें, तो यहां कुल मतदाता 2 लाख 48 हजार 671 है. इसके अलावा यहां पुरुष मतदाता 1,24,917 है. वहीं, महिला मतदाता यहां पर 1,23,889 है.
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कैस रहे यहां राजनीतिक समीकरण: 2008 में तीन तहसीलों को मिलाकर नई विधानसभा बनी और तभी से यहां कांग्रेस का कब्जा बरकरार है. हर चुनाव में कांग्रेस की जीत का मार्जिन भी बढ़ता जा रहा है. पूर्व उप-मुख्यमंत्री जमुना देवी आदिवासी अंचल की कद्दावर नेता थीं. उन्हीं के भतीजे उमंग सिंघार की भी आदिवासियों के बीच पकड़ मजबूत हो गई है. शुरुआती दौर में उमंग सिंघार ने राजनीति का क, ख, ग अपनी बुआ जमुना देवी से ही सीखा और उन्होंने बुआ की विधानसभा कुक्षी का संचालन भी संभाला. साथ ही जिला युवक कांग्रेस से राजनीतिक सफर शुरू कर दो लोकसभा चुनावों में भी भाग्य आजमाया. परंतु दोनों में वे चुनाव हार गए.
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2008 के बाद नई विधानसभा सीट का परिसीमन हुआ. परिसीमन के बाद गंधवानी से ही 2008 में कांग्रेस से उमंग सिंघार कांग्रेस से प्रत्याशी बने और यहां से चुनाव जीते. बताया जा रहा है कि उप-मुख्यमंत्री जमुना देवी की आदिवासी क्षेत्र में अच्छी पकड़ होने का फायदा पहले चुनाव में उनको मिला. साल 2008, 2013 और 2018 से कांग्रेस के उमंग ही यहां से लगातार जीत रहे हैं. 2008 में उमंग के सामने भाजपा के छतर सिंह दरबार लड़े और हारे, 2013 में सरदारसिंह मेड़ा लड़े और हारे, 2018 में सरदारसिंह मेड़ा लड़े और हारे. 2008 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस को 63.36 फीसदी वोट मिले करीब 97 हजार, वहीं बीजेपी के सरदार सिंह मेहदा को करीब 58 हजार वोट, जो कि 35.64 फीसदी वोट थे. सिंघार ने ये मुकाबला 38,856 मतों के अंतर से जीत लिया.
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2013 के विधानसभा चुनाव में उमंग ने बीजेपी उम्मीदवार सरदार मीणा को 12 हजार वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया और दूसरी बार विधानसभा फिर पहुंचे. 2018 के विधानसभा चुनाव में उमंग सिंघार ने बीजेपी के ही सरदार मेडा को 38 हजार 834 वोटों के अंतर से हराया. वोट प्रतिशत का जिक्र करें तो उमंग को 58 तो बीजेपी प्रत्याशी को 34 फीसदी वोट मिले थे.