धार। मध्यप्रदेश के 24 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव होना है, जिसमें धार जिले कि बदनावर विधानसभा सीट भी शामिल है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव विधायक चुने गए थे, लेकिन राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में विधायकी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. जिसके चलते इतिहास में पहली बार बदनावर में उपचुनाव की स्थिति बनी है. बदनावर उपचुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने कमर कस ली है. बीजेपी की ओर से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है तो वहीं कांग्रेस अभी सर्वे के आधार पर उम्मीदवार का चयन करेगी.
धार जिले कि बदनावर सीट हमेशा चर्चा में रही है, बदनावर की जनता ने समय-समय पर कांग्रेस-बीजेपी दोनों को चुना है. बदनावर विधानसभा सीट से कभी भी निर्दलीय उम्मीदवार की जीत नहीं हुई है. बदनावर विधानसभा सीट से 14 विधायक अब तक चुने जा चुके हैं, जिनमें से सात कांग्रेस पार्टी के विधायक रहे और चार बार बीजेपी विधायक चुने गए, इसके साथ ही जनसंघ, भारतीय जनसंघ और जनता पार्टी के विधायक भी एक-एक बार बदनावर से चुने जा चुके हैं.
किस पार्टी का कौन कब रहा विधायक
- सन 1957 में बदनावर विधानसभा सीट से मनोहर सिंह मेहता कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1962 में गोवर्धनलाल शर्मा जनसंघ पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1967 में गोवर्धनलाल शर्मा भारतीय जनसंघ पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1972 में चिरंजीलाल गुप्ता कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1977 से गोवर्धनलाल शर्मा जनता पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1980 में रघुनाथ सिंह कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1985 में रमेशचंद्र सिंह (गट्टू बना) बीजेपी के विधायक चुने गए.
- 1990 में प्रेमसिंह दत्तीगांव कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए.
- 1993 में रमेश चंद्र सिंह (गट्टू बना) बीजेपी के विधायक चुने गए.
- 1998 में खेमराज पाटीदार बीजेपी के विधायक चुने गए.
- 2003 में बदनावर विधानसभा सीट से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए, जिन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार खेमराज पाटीदार को 7,565 वोटों से हराया था.
- 2008 में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए, जिन्होंने बीजेपी के उम्मीदवार खेमराज पाटीदार को 15,142 वोटों से हराया था.
- 2013 में भंवर सिंह शेखावत बीजेपी के विधायक चुने गए, जिन्होंने राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को 9,812 वोटों से हराया था.
- 2018 में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस पार्टी के विधायक चुने गए. जिन्होंने बीजेपी के भंवर सिंह शेखावत को 41,506 वोटों से हराया.
जातिगत सियासी समीकरण
धार जिले के बदनावर विधानसभा सीट में जातिगत समीकरण भी बड़ा महत्व रखता है, जहां राजपूत, पाटीदार, आदिवासी समाज के वोटर बहुताय है. जो भी पार्टी इन वोटरों को साध लेता है वह बदनावर से जीत का सेहरा बांध लेती है. बदनावर विधानसभा सीट पर राजपूत और पाटीदार समाज के वोट हमेशा निर्णायक भूमिका में रहते हैं, वहीं आदिवासी समाज के वोटरों पर भी राजनीतिक पार्टियों की विशेष नजर रहती है.
किस जाति का कितना है वोट प्रतिशत
बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में इस बार 2 लाख 552 मतदाता मतदाता है, जिनमें एक लाख 685 पुरुष मतदाता है और 99 हजार 865 महिला मतदाता है.
- बदनावर विधानसभा सीट पर 30 प्रतिशत वोट राजपूत समाज के पास है.
- पाटीदार समाज के पास 25 प्रतिशत.
- आदिवासी समाज के पास 35 प्रतिशत.
- वहीं 10 प्रतिशत अन्य समाज (मुस्लिम, वैश्य, ब्राह्मण) के पास है.
उपचुनाव का समीकरण
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर से विधायक चुने गए थे. कमलनाथ सरकार के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने के चलते वह नाराज चल रहे थे. जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ में राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने कांग्रेस पार्टी का हाथ छोड़कर बीजेपी में का दामन थाम लिया. इसी के चलते धार जिले के बदनावर विधानसभा सीट के इतिहास में पहली बार उपचुनाव की स्थिति बनी है. बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर बीजेपी की ओर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का टिकट फाइनल माना जा रहा है, हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा अभी नहीं हुई है. 2018 के विधानसभा चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार की मांग को लेकर बीजेपी से बागी होकर राजेश अग्रवाल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 2018 का विधानसभा चुनाव भी लड़े थे और 30,776 मत प्राप्त किए थे.
दत्तीगांव का बीजेपी में शामिल होना भंवर सिंह को नागवार
बदनावर उपचुनाव जितने के लिए राजेश अग्रवाल को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बदनावर में बीजेपी की जीत होने पर मंत्री बनाने का आश्वाशन देते हुए फिर से बीजेपी में शामिल कर लिया है, जिससे बदनावर में बीजेपी को मजबूती मिली है, हालांकि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव का बीजेपी में शामिल होना बदनावर के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत को नागवार है. जब से राजवर्धन सिंह दत्तीगांव बीजेपी में शामिल हुए हैं तब से बदनावर के पूर्व विधायक भंवर सिंह शेखावत के बगावती सुर सुनने को मिले है.
शेखावत ने विजयवर्गीय के खिलाफ खोला मोर्चा
दूसरी ओर बदनावर के पूर्व विधायक भवर सिंह शेखावत बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के द्वारा 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के बागी राजेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल करने और बदनावर उपचुनाव में बीजेपी की जीत होने पर मंत्री बनाने के निर्णय के बाद से विजयवर्गीय से भी खासे नाराज हैं. जिसके चलते शेखावत ने विजयवर्गीय के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. भंवर सिंह शेखावत की नाराजगी बदनावर उपचुनाव में बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है.
कांग्रेस पार्टी को जिताऊ उम्मीदवार की तलाश
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव ने बदनावर में रहते हुए कभी भी कांग्रेस पार्टी के किसी नेता को जड़े बदनावर में मजबूत नहीं करने दी, इसी के चलते अब कांग्रेस पार्टी को जिताऊ उम्मीदवार की तलाश करने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. हालांकि की बदनावर विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी के जिला अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनोज सिंह गौतम के साथ में 14 से अधिक उम्मीदवारों के नाम चर्चा में है. कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सर्वे के आधार पर उम्मीदवार तय करने में जुटा हुआ है. मौजूदा स्थिति में राजेश अग्रवाल का बीजेपी में शामिल होना बीजेपी के लिए शुभ संकेत दे रहा है तो वहीं कांग्रेस पार्टी की उम्मीदवारी चयन की प्रक्रिया में देरी कांग्रेस पार्टी के लिए नुकसान का संकेत दे रही है. फिलहाल बदनावर में होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के दोनों ही पार्टी के नेताओं ने कमर कस ली है. अब आने वाला समय ही बताएगा कि बदनावर का चुनावी ऊंट किस करवट बैठता है.
पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी
बदनावर विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टी ने अपने-अपने शीर्ष नेतृत्व को जिम्मेदारी दी है. बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के साथ में बीजेपी के वरिष्ठ नेता कृष्ण मुरारी मोघे को जिम्मेरारी सौंपी गई है तो वही कांग्रेस की ओर से पूर्व गृहमंत्री बाला बच्चन के साथ में पूर्व वन मंत्री उमंग सिंघार, पूर्व पर्यटन मंत्री सुरेंद्र सिंह बघेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया के साथ जिले के कांग्रेस के अन्य विधायक ने मोर्च संभाल रखा है.