धार। नर्मदा के घाटों पर बाहर से आने वाले शवों का अंतिम संस्कार नहीं होने देने के लिए धार में शिक्षकों की लगाई गई ड्यूटी के आदेश को कलेक्टर ने निरस्त कर दिया है. शिक्षक शासन द्वारा लगायी गई इस ड्यूटी से परेशान थे. इस संबंध में शिक्षकों ने विरोध किया, बाद में कलेक्टर आलोक कुमार सिंह ने आदेश को निरस्त कर दिया. उन्होंने कहा कि अब ऐसे जगहों पर शिक्षकों की ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी.
अंतिम संस्कार पर लगाया था प्रतिबंध
बता दें कि शासन ने कोरोना संक्रमण को देखते हुए खलघाट और धामनोद के शवों को ही खलघाट श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार और अस्थि विसर्जन की अनुमति दे थी. इसके अतिरिक्त अन्य शहर या गांव से आने वाले शवों के अंतिम संस्कार पर प्रतिबंधित लगा दिया था. इस काम पर निगरानी के लिए विकासखंड शिक्षा अधिकारी धरमपुरी के आठ शिक्षकों को तैनात किया गया. वहीं विकासखंड शिक्षा अधिकारी शिवपाल सिंह बैंस को नोडल अधिकारी बनाया गया.
इन शिक्षकों की लगाई थी ड्यूटी
आदेश के तहत शिक्षक नटवर यादव, कमल निरगुड़े, प्रवीण शर्मा, पवन मेरेंट, महेश सूर्यवंशी, विजय शर्मा, सज्जाद खान, जयसिंह चौहान की ड्यूटी लगाई गई. इन शिक्षकों की ड्यूटी सुबह 6 बजे से लेकर रात 8 बजे तक लगाई गई. सभी को अपनी ड्यूटी बारी-बारी निभानी थी. दरअसल, नर्मदा घाटों पर अंतिम संस्कार से संक्रमण फैलने के खतरे को देखते हुए यह फैसला लिया गया. वहीं अंतिम संस्कार के बाद परिवार के लोग पीपीई किट घाट पर ही छोड़कर जा रहे थे.
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शिक्षकों को कोरोना योद्धा घोषित करने की रखी मांग
शिक्षकों की ड्यूटी को लेकर ट्राइबल वेलफेयर एसोसिएशन ने विरोध किया. सोमवार को संस्था की तरफ से कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया. इस ज्ञापन में शिक्षकों को कोरोना योद्धा घोषित करने और किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर सहायता राशि प्रदान करने की मांग की. ट्राइबल एसोसिएशन के शैलेंद्र मालवीय ने कहा कि शिक्षक ड्यूटी करने के लिए तैयार हैं, लेकिन शासन की तरफ से उनकी सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया गया है.