धार। जिले की पर्यटन नगरी मांडू में स्थित विश्व के एकमात्र चतुर्भुज श्री राम मंदिर ट्रस्ट द्वारा 107 बीघा कृषि भूमि पर अब कृषि ना करते हुए घना वन तैयार करने की योजना बनाई है, इसके लिए बकायदा अब बड़ी संख्या में 107 बीघा कृषि भूमि पर विशेष प्रजाति के पौधों का रोपण किया जा रहा है. विशेषकर उन पौधों को लगाया जा रहा है, जो विलुप्त प्रजाति की श्रेणी में आ गए हैं.
आंध्रप्रदेश के साथ अन्य जगह से विशेष फलदार पौधों के साथ में फूलदार पौधे और नक्षत्र आधारित पौधे मंगाकर उनका रोपण किया जा रहा है, जिससे आने वाली पीढ़ी ऐसे वृक्षों को देख सके, जो पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने के साथ-साथ मानव जीवन पर भी अपना खास प्रभाव रखते हैं.
चतुर्भुज श्री राम मंदिर के मठाधीश एवं महामंडलेश्वर नरसिंह दास जी महाराज बताते हैं कि कोरोना जैसी महामारी ने एक बार फिर से मानव को यह बता दिया कि प्रगतिवाद से अब एक बार फिर हमें प्रकृतिवाद की ओर आगे बढ़ना होगा, हमें प्रकृति के महत्व को समझना पड़ेगा, पर्यावरण को सुधारना पड़ेगा, जिससे हम हमारी आने वाली पीढ़ी को महामारियों के प्रकोप से बचा सकते हैं.
इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए चतुर्भुज श्री राम मंदिर के ट्रस्टियों ने अपनी 107 बीघा कृषि भूमि पर कृषि ना करते हुए वन तैयार करने की योजना बनाई है और उसी योजना के अंतर्गत पौधारोपण का काम किया जा रहा है. पौधारोपण तीन श्रेणियों में किया जा रहा है
- फलदार (रामफल, सीताफल, आम, जामून, खिरनी के साथा लुप्त हुआ लक्ष्मण फल, मोरसली के पौधे भी लगाए जा रहे हैं).
- फूलदार (कनेर, गेंदा, गुलाब के साथ अन्य).
- ज्योतिषी आधारित नक्षत्र वाटिका (पीपल, बरगद, जामुन, पाखर, उमर) और गृह वाटिका (कुश, शमी,गूलर,खैर, पलास) आधारित पौधा रोपण किया जा रहा है.
नरसिंह दास जी महाराज ने कहा कि आने वाले 3 से 4 सालों में यह घना वन तैयार हो जाएगा ,जिससे मांडू आने वाले पर्यटकों के साथ में राम भक्तों को इस घने वन में घूम कर प्रकृति को देखने का मौका मिलेगा, वहीं उन्हें एक आत्मीय आनंद भी प्राप्त होगा, जिसके लिए 107 बीघा कृषि भूमि पर कृषि ना करते हुए घना वन तैयार किया जा रहा है, जिससे प्रकृति के साथ में मानव जीवन को बड़ा लाभ मिलेगा.