धार। मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में धार जिले की बदनावर विधानसभा सीट पर सुबह मतदान शुरू हो गया है. कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल ने कानवन के मतदान केंद्र पर मतदान किया है. वहीं कमल सिंह पटेल ने अपनी जीत का दावा किया है. कोरोना संक्रमण के बीच में ये पहला उपचुनाव हो रहा है, लिहाजा संक्रमण से बचने के लिए सारे मतदान केंद्रों पर उचित व्यवस्था की गई है. मतदाताओं को मतदान केंद्र पर सैनिटाइजर एवं मास्क का वितरण किया जा रहा है. बदनावर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल और भाजपा प्रत्याशी कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव के बीच में सीधी टक्कर है.
राजवर्धन दत्तीगांव को कड़ी चुनौती
कांग्रेस छोड़ बीजेपी मे आए राजवर्धन सिंह दत्तीगांव की राह आसान नहीं है. उनके सामने कांग्रेस ने गुजराती राजपूत समाज से आने वाले कमल सिंह पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिससे ये माना जा रहा है कि, दत्तीगांव को राजपूत समाज के वोटरों में अपनी पैठ बनाने के लिए कड़ी मेहनत करना पड़ेगी. क्योंकि कमल सिंह पटेल की गुजराती राजपूत समाज के वोटर्स में खासी पकड़ है. जिससे भाजपा को झटका लग सकता है.
जातिगत समीकरण
बदनावर विधानसभा में 2 लाख 3 हजार 524 मतदाता हैं. जिनमें करीब 35 हजार राजपूत, 30 हजार के आस-पास गुजराती राजपूत समाज के वोटर्स हैं. वहीं 5 हजार के करीब राजपूत रॉयल फैमिली के मतदाता हैं. कांग्रेस प्रत्याशी कमल सिंह पटेल गुजराती राजपूत समाज से आते हैं. इसके अलावा पाटीदार समाज के वोट बैंक की संख्या ज्यादा है. जातिगत समीकरण के चलते बदनावर उपचुनाव बड़ा दिलचस्प हो गया है. हालांकि जीत किसी की भी हो, इस सीट पर राजपूत समाज का दबदबा बरकरार रहने वाला है.
बीजेपी-कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर
1957 से लेकर 2018 तक धार जिले कि बदनावर विधानसभा सीट पर 14 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 7 बार कांग्रेस और 7 बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है. इन 14 विधानसभा चुनावों में सबसे ज्यादा 7 बार राजपूत समाज से आने वाले विधायक बदनावर से चुने गए हैं, इसलिए कहा जाता है कि, धार जिले कि बदनावर विधानसभा सीट पर राजपूतों का दबदबा रहा है.
जनता किसे देगी आशीर्वाद
राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और कमल सिंह पटेल के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, इनके बीच में इतने मधुर संबंध थे कि, यदि राजवर्धन सिंह दत्तीगांव को बुखार आता था, तो गोली कमल सिंह पटेल खाते थे और यदि कमल सिंह पटेल को ठंड लगती थी, तो स्वेटर राजवर्धन सिंह दत्तीगांव पहन लेते थे, लेकिन सियासत ने इन संबंधों के बीच अब दरार डाल दी है. ऐसे में देखने दिलचस्प होगा कि, बदनावर की जनता किसे अपना आशीर्वाद देती है और किस से नकारती है.