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आदिवासियों ने किया भगोरिया पर्व का धूमधाम से स्वागत, एक-से-बढ़कर एक प्रस्तुतियों ने मोहा मन - पुलिस

आदिवासी संस्कृति के सबसे बड़े पर्व भगोरिया में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे, जहां पर उन्होंने मांदल की ताल पर जमकर नृत्य किया. यहां अन्य समाज के लोग भी पहुंचे और पारंपरिक नृत्य का लुत्फ उठया.

भगोरिया पर्व
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Published : Mar 16, 2019, 12:23 PM IST

धार। आदिवासी संस्कृति के सबसे बड़े पर्व भगोरिया का जिले में आज से आगाज हुआ. इस पर्व के मौके पर कई तरह की दुकानें खोली गई हैं. यहां मेला लगाया गया है. वहीं आदिवासियों ने अपने पारंपरिक नृत्य के साथ भगोरिया का स्वागत किया और एक-से-बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी.

भगोरिया पर्व


बता दें कि भगोरिया पर्व को मनाने के लिए बड़ी संख्या में धार जिले के डही में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे, जहां पर उन्होंने मांदल की ताल पर जमकर नृत्य किया. यहां अन्य समाज के लोग भी पहुंचे और पारंपरिक नृत्य का लुत्फ उठया. भगोरिया के मौके पर डही में झूले, झांकियां और साज-सज्जा की कई दुकानें भी लगी. लोगों ने जमकर खरीदारी की और झूलों का आनंद उठाया.


सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है. भगोरिया आदिवासियों का पर्व है, जिसमें आदिवासी समाज के लोग बड़ी-बड़ी मांदल बजाते हैं, नृत्य करते हैं और आदिवासी कुर्राटीया देकर अपनी परंपरा का निर्वाह करते हैं. इधर आचार संहिता के चलते इस बार भगोरिया में राजनीतिक रंग कम ही देखने को मिल रहा है.

धार। आदिवासी संस्कृति के सबसे बड़े पर्व भगोरिया का जिले में आज से आगाज हुआ. इस पर्व के मौके पर कई तरह की दुकानें खोली गई हैं. यहां मेला लगाया गया है. वहीं आदिवासियों ने अपने पारंपरिक नृत्य के साथ भगोरिया का स्वागत किया और एक-से-बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी.

भगोरिया पर्व


बता दें कि भगोरिया पर्व को मनाने के लिए बड़ी संख्या में धार जिले के डही में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे, जहां पर उन्होंने मांदल की ताल पर जमकर नृत्य किया. यहां अन्य समाज के लोग भी पहुंचे और पारंपरिक नृत्य का लुत्फ उठया. भगोरिया के मौके पर डही में झूले, झांकियां और साज-सज्जा की कई दुकानें भी लगी. लोगों ने जमकर खरीदारी की और झूलों का आनंद उठाया.


सुरक्षा की दृष्टि से बड़ी संख्या में पुलिस बल भी तैनात किया गया है. भगोरिया आदिवासियों का पर्व है, जिसमें आदिवासी समाज के लोग बड़ी-बड़ी मांदल बजाते हैं, नृत्य करते हैं और आदिवासी कुर्राटीया देकर अपनी परंपरा का निर्वाह करते हैं. इधर आचार संहिता के चलते इस बार भगोरिया में राजनीतिक रंग कम ही देखने को मिल रहा है.

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