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परमार कालीन की भोजशाला में बसंत उत्सव की शुरुआत

धार में पांच दिवसीय बसंत उत्सव की शुरुआत भोजशाला में हवन पूजन के साथ हुई. प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था के चाक-चौबंद इंतजाम किए हैं.

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परमार कालीन की भोजशाला में बसंत उत्सव की शुरुआत
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Published : Feb 16, 2021, 11:58 AM IST

धार : पांच दिवसीय बसंत उत्सव की शुरुआत भोजशाला में हवन पूजन के साथ की गई. सुबह से ही भोजशाला में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया, प्रशासन द्वारा सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है.

5 दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम होंगे

बसंत पंचमी के मौके पर मंगलवार का दिन भी है, ऐसे में यहां मंगलवार के दिन होने वाला सत्याग्रह भी होगा. राजा भोज ने 1034 में सरस्वती मंदिर जाने की भोजशाला का निर्माण किया था. पहले यहां 40 दिवसीय सरस्वती पूजन होता था और मां वाग्देवी का पूजन अर्चन किया जाता है. लेकिन अब सिर्फ पांच दिवसीय भोजशाला होता है.

बसंत पंचमी पर भोजशाला के गेट पर महिलाओं ने की मां वाग्देवी के तेल चित्र की पूजा

क्या कहते हैं भोज उत्सव समिति के संरक्षक ?

भोज उत्सव समिति के संरक्षक पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि 5 दिवसीय आयोजन मंगलवार से शुरु हो गया है. आज लाल बाग से सुबह 10 बजे मां वाग्देवी के तेल चित्र शोभा यात्रा नगर भ्रमण पर निकलेगी. इसके बाद भी कई आयोजन संपन्न होंगे, राम को पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन किया जाएगा.

आज बसंत पंचमी

माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जा रही है. लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं. बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया है कि इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है.

धार : पांच दिवसीय बसंत उत्सव की शुरुआत भोजशाला में हवन पूजन के साथ की गई. सुबह से ही भोजशाला में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया, प्रशासन द्वारा सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है.

5 दिनों तक अलग-अलग कार्यक्रम होंगे

बसंत पंचमी के मौके पर मंगलवार का दिन भी है, ऐसे में यहां मंगलवार के दिन होने वाला सत्याग्रह भी होगा. राजा भोज ने 1034 में सरस्वती मंदिर जाने की भोजशाला का निर्माण किया था. पहले यहां 40 दिवसीय सरस्वती पूजन होता था और मां वाग्देवी का पूजन अर्चन किया जाता है. लेकिन अब सिर्फ पांच दिवसीय भोजशाला होता है.

बसंत पंचमी पर भोजशाला के गेट पर महिलाओं ने की मां वाग्देवी के तेल चित्र की पूजा

क्या कहते हैं भोज उत्सव समिति के संरक्षक ?

भोज उत्सव समिति के संरक्षक पंडित गोपाल शर्मा ने बताया कि 5 दिवसीय आयोजन मंगलवार से शुरु हो गया है. आज लाल बाग से सुबह 10 बजे मां वाग्देवी के तेल चित्र शोभा यात्रा नगर भ्रमण पर निकलेगी. इसके बाद भी कई आयोजन संपन्न होंगे, राम को पूर्णाहुति के साथ यज्ञ का समापन किया जाएगा.

आज बसंत पंचमी

माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है. इस साल 16 फरवरी को बसंत पंचमी मनाई जा रही है. लोग पीले रंग का वस्त्र पहनकर सरस्वती मां की पूजा करते हैं. इस दिन लोग विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं. बसंत ऋतु में जहां पृथ्वी का सौंदर्य निखर उठता है, वहीं उसकी अनुपम छटा देखते ही बनती है. बसंत पंचमी को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया है कि इस बार बसंत पंचमी 16 फरवरी को पड़ रहा है.

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