धार। धार जिले की बदनावर सीट पर इस पर मुकाबला कांटे का है. बीजेपी व कांग्रेस के प्रत्याशियों ने पाला बदला है और वे अब नई पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं. बीजेपी छोड़कर भंवर सिंह शेखावत कांग्रेस से तो राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस छोड़कर बीजेपी से चुनाव लड़ रहे हैं. यहां पर नया नारा खूब चल रहा है- उम्मीदवार वही, पर पार्टी नई. राजवर्धन दत्तीगांव युवा हैं उनकी उम्र 51 साल है तो वहीं बीजेपी के बागी भंवर सिंह शेखावत की उम्र 72 है. 2013 के चुनाव में शेखावत ने दत्तीगांव को 9,813 मतों के अंतर से हराकर बदनावर सीट जीती थी.
बाहरी का मुद्दा गर्माया : साल 2018 के विधानसभा चुनाव में दत्तीगांव ने शेखावत को 41 हजार से ज्यादा के अंतर से हराया. बदनावर में स्थानीय बनाम बाहरी, चुनावी मुद्दा बना हुआ है, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार शेखावत का कहना है कि उनका बदनावर से पुराना नाता है. उन्हें जनता का आशीर्वाद मिला है और मिलता रहेगा. ये क्षेत्र मेरी पुरानी कर्मस्थली है. शेखावत ने बीजेपी पर निशाना साधा और कहा कि इस पार्टी ने अपनी मूल आत्मा खो दी है. समय के साथ बीजेपी के सिद्धांत पीछे छूट गए हैं. वहीं दत्तीगांव शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण के क्षेत्र में किए गए कार्यों और बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाली औद्योगिक परियोजनाएं शुरू करने के नाम पर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं.
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ये हैं जातिगत समीकरण : बदनावर सीट को लेकर भाजपा और कांग्रेस में हमेशा कड़ा का मुकबला रहा है. यहां पर बीजेपी का कब्जा है. यह सीट उन सीटों में शुमार है, जो 2020 में मध्यप्रदेश की सियासत में सबसे बड़े उलटफेर में शामिल रही. 2018 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, लेकिन दलबदल के बाद 2020 में हुए उपचुनाव में बीजेपी ने फिर से इस सीट पर कब्जा जमा लिया. राजवर्धन सिंह दत्तीगांव इस सीट से 4 बार चुनाव जीत चुके हैं. दोनों नेता दिग्गज हैं, इसलिए मुकाबला रोचक हो चला है. बदनावर विधानसभा सीट पर पाटीदार और राजपूत किसानों का बोलबाला है. इस क्षेत्र में राजपूत वोटर्स सबसे मजबूत हैं और उनके करीब 28 हजार वोटर्स हैं. पाटीदार समाज के भी करीब इतने ही वोटर्स हैं. आदिवासी वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में हैं. मुस्लिम वोटर्स की संख्या भी करीब 17 हजार है.