देवास। जिला मुख्यालय से करीब 120 किलो मीटर दूर इकलेरा में मां बिजासन का अतिप्राचीन मंदिर है. जो कई सालों से भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. नवरात्रि पर यहां पर नौ दिवसीय मेला लगता है और शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन होता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर मूर्ति स्थापना के समय से जो अखंड ज्योति जलाई गई थी वो आज भी जल रही है.
लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले यहां पर मां बिजासन एक चट्टान को फाड़कर प्रकट हुई थी. जिसके बाद यहां एक भव्य मंदिर बना हुआ है. पुजारी का कहना है कि भक्त माता के दर्शन के साथ उस चट्टान पर भी मत्था टेकते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार यहां मांगी गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती. जो भी श्रद्वालु अपनी मन्नते यहां मांगता है वो मां बिजासन जरुर पूरी करती हैं.
मंदिर के पुजारी के मुताबिक मां बिजासन दिन में तीन बार रूप बदलती है. सुबह बचपन का दोपहर में जवानी का और शाम को बूढ़ी माता का रुप ले लेती हैं. मंदिर के पास ही दूध तलाई भी बनी हुई है. जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर भी स्नान करने का महत्व है.