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यहां चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थीं मां बिजासन, हजारों साल से बनीं है भक्तों के आस्था का केंद्र - dewas news

नवरात्रि पर मां बिजासन के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है. नौ दिवसीय मेला लगता है और शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन किया जाता है. यहां मां चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थीं.

चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थीं मां बिजासन
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Published : Oct 5, 2019, 7:29 PM IST

Updated : Oct 5, 2019, 8:20 PM IST

देवास। जिला मुख्यालय से करीब 120 किलो मीटर दूर इकलेरा में मां बिजासन का अतिप्राचीन मंदिर है. जो कई सालों से भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. नवरात्रि पर यहां पर नौ दिवसीय मेला लगता है और शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन होता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर मूर्ति स्थापना के समय से जो अखंड ज्योति जलाई गई थी वो आज भी जल रही है.

चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थीं मां बिजासन

लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले यहां पर मां बिजासन एक चट्टान को फाड़कर प्रकट हुई थी. जिसके बाद यहां एक भव्य मंदिर बना हुआ है. पुजारी का कहना है कि भक्त माता के दर्शन के साथ उस चट्टान पर भी मत्था टेकते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार यहां मांगी गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती. जो भी श्रद्वालु अपनी मन्नते यहां मांगता है वो मां बिजासन जरुर पूरी करती हैं.

मंदिर के पुजारी के मुताबिक मां बिजासन दिन में तीन बार रूप बदलती है. सुबह बचपन का दोपहर में जवानी का और शाम को बूढ़ी माता का रुप ले लेती हैं. मंदिर के पास ही दूध तलाई भी बनी हुई है. जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर भी स्नान करने का महत्व है.

देवास। जिला मुख्यालय से करीब 120 किलो मीटर दूर इकलेरा में मां बिजासन का अतिप्राचीन मंदिर है. जो कई सालों से भक्तों के आस्था का केंद्र बना हुआ है. नवरात्रि में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. नवरात्रि पर यहां पर नौ दिवसीय मेला लगता है और शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन होता है. इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर मूर्ति स्थापना के समय से जो अखंड ज्योति जलाई गई थी वो आज भी जल रही है.

चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थीं मां बिजासन

लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले यहां पर मां बिजासन एक चट्टान को फाड़कर प्रकट हुई थी. जिसके बाद यहां एक भव्य मंदिर बना हुआ है. पुजारी का कहना है कि भक्त माता के दर्शन के साथ उस चट्टान पर भी मत्था टेकते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार यहां मांगी गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती. जो भी श्रद्वालु अपनी मन्नते यहां मांगता है वो मां बिजासन जरुर पूरी करती हैं.

मंदिर के पुजारी के मुताबिक मां बिजासन दिन में तीन बार रूप बदलती है. सुबह बचपन का दोपहर में जवानी का और शाम को बूढ़ी माता का रुप ले लेती हैं. मंदिर के पास ही दूध तलाई भी बनी हुई है. जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर भी स्नान करने का महत्व है.

Intro:जब चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थी मां बिजासन,,,,,,,,

दिन में तीन रूप बदलती है मां बिजासन,,,,

मंदिर के पीछे मन्नत मांगने वाले उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं मन्नत पूरी होने पर उस स्वास्तिक को फिर से सीधा कर दिया जाता है
Body:देवास-जिला मुख्यालय से करीब 120 KM दूर इकलेरा माताजी मंदिर पहाड़ी पर स्थित है मां बिजासनी का मंदिर। जो कुरुक्षेत्र की आस्था का केंद्र बिंदु है बताया जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व यहां पर मां बिजासन एक चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थी चट्टान के कुछ ही दूरी पर माता जी का भव्य मंदिर बना हुआ है जहां पर दोनों ही नवरात्रि के समय श्रद्धालुओं की अपार भीड़ लगती है चेत्र नवरात्रि के समय यहां पर नौ दिवसीय मेला लगता है।शतचंडी महायज्ञ का भी आयोजन होता है सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर मंदिर मूर्ति स्थापना के समय से ही अखंड ज्योति आज तक जल रही है इसी के साथ साथ यहां पर यह भी मान्यता है कि मां बिजासन के दरबार में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है इसी का परिणाम है कि मन्नत पूर्ण होने के बाद श्रद्धालु अपनी इच्छा अनुसार मां के दरबार में पहुंच कर चड़वा चढ़ाते हैं यहा का विशेष पूजन कार्यक्रम माघ माह में होता है इस महीने में जहां पर हजारों की संख्या में प्रतिदिन लोग पहुंचते हैं एवं मां को चढ़ावा चढ़ा कर आस्था व्यक्त करते हैं यहां पर लोगों द्वारा बताया गया है कि मां बिजासन दिन में तीन रूप बदलती है जैसे सुबह बचपन का दोपहर में जवानी का और शाम को बूढ़ी माता का रुप ले लेती हैं ऐसा वहां मौजूद पुजारी व आने वाले श्रद्धालुओं के द्वारा बताया गया है वर्तमान में गुजराती रामी माली समाज के पुजारी द्वारा यहां पर पूजा अर्चना का कार्य किया जाता है मंदिर के पास ही दूध तलाई भी बनी हुई है जिसके बारे में बताया जाता है कि यहां पर भी इस्नान करने का महत्व है ओर साथ ही मंदिर के पिछे उल्टा स्वस्तिक बनाने से भी मंनन्त पूरी होती है और जब यहा की गई मंनन्त पूरी होने पर इस स्वस्तिक को सीधा किया जाता है ।

बाइट- मंदिर पुजारी

बाइट- भक्त

बाइट- महिला भक्तConclusion:जब चट्टान फाड़कर प्रकट हुई थी मां बिजासन,,,,,,,,

दिन में तीन रूप बदलती है मां बिजासन,,,,

मंदिर के पीछे मन्नत मांगने वाले उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं मन्नत पूरी होने पर उस स्वास्तिक को फिर से सीधा कर दिया जाता है
Last Updated : Oct 5, 2019, 8:20 PM IST
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