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देवास के कई आदिवासी स्कूलों में नहीं हैं शिक्षक, जब पढ़ेगा नहीं तो कैसे बढ़ेगा इंडिया ?

अभिभावक अपने नौनिहाल को स्कूल रोज इसी आस में स्कूल भेजते हैं कि अच्छी तालीम लेकर वो अपना भविष्य संवारेंगे, लेकिन स्कूलों की ऐसी हालत देखकर उन्हें अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में दिखाई दे रहा है.

no teachers in half a dozen tribal schools in Dewas
आदिवासी स्कूलों में नहीं है शिक्षक
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Published : Nov 29, 2019, 3:05 PM IST

देवास। पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया, लेकिन जब पढ़ेंगा-लिखेह ही नहीं, तो आगे कैसे बढ़ेगा इंडिया... जी हां, अच्छी पढ़ाई के बिना बच्चों का सुनहरा भविष्य नहीं बन सकता और जब तक देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल नहीं होगा तो देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती..लेकिन देवास जिले के आदिवासी क्षेत्र पुंजापुरा के आधा दर्जन से ज्यादा शासकीय माध्यमिक स्कूलो में शिक्षकों की कमी के चलते मासूम घंटों स्कूल के बाहर बैठकर बिना पढ़े ही वापस घर लौट जाते हैं. जिससे इन नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.

आदिवासी स्कूलों में नहीं है शिक्षक

स्कूल में शिक्षक नहीं, कैसे हो पढ़ाई
जिला मुख्यालय से 120 किमी. की दूरी पर आदिवासी क्षेत्र पुंजापुरा के आधा दर्जन से अधिक शासकीय माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और करीब आधा दर्जन से अधिक शासकीय स्कूलो में कहीं 150, कहीं 120, कहीं 100 छात्र-छत्राओं को पढ़ाने का जिम्मा केवल एक-एक शिक्षक के कंधों पर है. लेकिन जिला शिक्षा विभाग के उदासीनता के चलते बच्चे तो परेशान है ही साथ ही उनके अभिभावक भी परेशान है.

बच्चों के बड़े-बड़े सपने कैसे होंगे पूरे ?
छात्रों के मुताबिक, स्कूल में एक ही शिक्षक है लेकिन वो भी कभी-कभी आते हैं. लेकिन अब तो वो भी नहीं आ रहे, जिससे स्कूल में ताला लगा रहता है. वहीं जब छात्रों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वो पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहते हैं. कोई डॉक्टर, कोई पुलिसवाला तो कोई टीचर बनना चाहता है. लेकिन जब शिक्षक ही नहीं तो कैसे उनके सपने पूरे होंगे.

आधा सत्र बीत गया, शिक्षक नहीं आए
हैरानी की बात ये है कि इन स्कूलों में 5वीं और 8वीं के भी छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी शिक्षा विभाग के मुताबिक बोर्ड परीक्षा घोषित की गी है. लेकिन यहां आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद भी जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षक और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है. जिससे इन छात्रों का रिजल्ट बिगड़ना तय है.

अब सवाल उठता है कि आदिवासी क्षेत्र में आधे से ज्यादा दर्जन स्कूलों में शिक्षक नहीं है और शिक्षा विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है. ऐसे में जब पढ़ेगा ही नहीं इंडिया तो आगे कैसे बढ़ेगा इंडिया.

देवास। पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया, लेकिन जब पढ़ेंगा-लिखेह ही नहीं, तो आगे कैसे बढ़ेगा इंडिया... जी हां, अच्छी पढ़ाई के बिना बच्चों का सुनहरा भविष्य नहीं बन सकता और जब तक देश के बच्चों का भविष्य उज्जवल नहीं होगा तो देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती..लेकिन देवास जिले के आदिवासी क्षेत्र पुंजापुरा के आधा दर्जन से ज्यादा शासकीय माध्यमिक स्कूलो में शिक्षकों की कमी के चलते मासूम घंटों स्कूल के बाहर बैठकर बिना पढ़े ही वापस घर लौट जाते हैं. जिससे इन नौनिहालों का भविष्य अंधकार में है.

आदिवासी स्कूलों में नहीं है शिक्षक

स्कूल में शिक्षक नहीं, कैसे हो पढ़ाई
जिला मुख्यालय से 120 किमी. की दूरी पर आदिवासी क्षेत्र पुंजापुरा के आधा दर्जन से अधिक शासकीय माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी है और करीब आधा दर्जन से अधिक शासकीय स्कूलो में कहीं 150, कहीं 120, कहीं 100 छात्र-छत्राओं को पढ़ाने का जिम्मा केवल एक-एक शिक्षक के कंधों पर है. लेकिन जिला शिक्षा विभाग के उदासीनता के चलते बच्चे तो परेशान है ही साथ ही उनके अभिभावक भी परेशान है.

बच्चों के बड़े-बड़े सपने कैसे होंगे पूरे ?
छात्रों के मुताबिक, स्कूल में एक ही शिक्षक है लेकिन वो भी कभी-कभी आते हैं. लेकिन अब तो वो भी नहीं आ रहे, जिससे स्कूल में ताला लगा रहता है. वहीं जब छात्रों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वो पढ़ लिखकर कुछ बनना चाहते हैं. कोई डॉक्टर, कोई पुलिसवाला तो कोई टीचर बनना चाहता है. लेकिन जब शिक्षक ही नहीं तो कैसे उनके सपने पूरे होंगे.

आधा सत्र बीत गया, शिक्षक नहीं आए
हैरानी की बात ये है कि इन स्कूलों में 5वीं और 8वीं के भी छात्र-छात्राएं हैं, जिनकी शिक्षा विभाग के मुताबिक बोर्ड परीक्षा घोषित की गी है. लेकिन यहां आधा शिक्षा सत्र बीतने के बाद भी जिला शिक्षा विभाग ने शिक्षक और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की है. जिससे इन छात्रों का रिजल्ट बिगड़ना तय है.

अब सवाल उठता है कि आदिवासी क्षेत्र में आधे से ज्यादा दर्जन स्कूलों में शिक्षक नहीं है और शिक्षा विभाग कुंभकर्ण की नींद सो रहा है. ऐसे में जब पढ़ेगा ही नहीं इंडिया तो आगे कैसे बढ़ेगा इंडिया.

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