हरदा। जिले में शिक्षा विभाग का बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक निलंबित हेड मास्टर ने जिला शिक्षा केंद्र के परियोजना समन्वयक डॉक्टर आरएस तिवारी पर जातीय आधार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.
दरअसल, सर्व शिक्षा अभियान के डीपीसी पर पिछले दिनों तीन शिक्षिकाओं ने प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था, कुछ दिनों बाद आरोप लगाने वाली शिक्षिकाएं अपने बयान से पलट गईं. इस घटना के बाद अब एक बार फिर निलंबित हेड मास्टर ने जिला शिक्षा केंद्र के परियोजना समन्वयक डॉक्टर आरएस तिवारी पर जातीय आधार पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है.
इस मामले में सर्व शिक्षा अभियान के डीपीसी का कहना है कि, निलंबित शिक्षक के सभी आरोप बेबुनियाद हैं. उनके निलंबन और शोकॉज नोटिस में मेरी कोई भी भूमिका नहीं है और न ही ये मेरे अधिकार क्षेत्र का मामला है. निलंबित शिक्षक ने उन्हें बदनाम करने के लिए इस तरह का कृत्य किया है. अब डॉक्टर आरएस तिवारी शिक्षक पर मानहानि का दावा पेश करने की बात कह रहे हैं.
निलंबित शिक्षक के द्वारा गोंडवाना कर्मचारी अधिकारी संघ के माध्यम से जिले के प्रभारी मंत्री पीसी शर्मा को डीपीसी आरएस तिवारी के द्वारा आरक्षित श्रेणी के शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रताड़ित करने की शिकायत की गई थी. उन्होंने कहा कि, डीपीसी तिवारी आरक्षित वर्ग के शिक्षकों और कर्मचारियों को जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उन्हें अपमानित करते हैं. शिकायत के बाद कन्या शाला के प्रधान पाठक प्रकाश पोर्ते को प्रताड़ित करते हुए निलंबित किया गया है.
निलंबित किए गए शिक्षक ने राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है, साथ ही गोंडवाना कर्मचारी अधिकारी संघ ने प्रभारी मंत्री से परियोजना समन्वयक तिवारी के ट्रांसफर की जांच करने की मांग की है.