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भगवान नृसिंह की साढ़े सात किलो वजनी प्रतिमा पानी में तैरी, चमत्कार देख झूम उठे श्रद्धालु

हाटपीपल्या (Hatpipliya) में करीब डेढ़ सौ सालों से चली आ रही परंपरा को पूरे विधि विधान से एक बार फिर पूरा किया गया. यहां भगवान नृसिंह (lord narasimha) की मूर्ति को नदी (River) में तैराने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है यदि तीनों ही बार प्रतिमा (statue) तैरती है तो वर्षभर पूरे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि रहेगी.

lord narasimha
भगवान नरसिंह की प्रतिमा पानी तैरी
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Published : Sep 18, 2021, 7:45 AM IST

Updated : Sep 18, 2021, 8:24 AM IST

देवास। हाटपीपल्या (Hatpipliya) में करीब डेढ़ सौ सालों से भगवान नृसिंह (lord narasimha) की मूर्ति (Statue) नदी (river) में तैराने की परंपरा है. प्रतिमा के तैरने से अंदाजा लगाया जाता है कि अगला साल कैसा जायेगा. वर्षों से मूर्ति का तैरना चमत्कार माना जाता है, और यहां के लोगों में इस अयोजन को लाकर काफी उत्साह रहता है.

भगवान नरसिंह की प्रतिमा पानी तैरी

साढ़े सात किलो वजनी है प्रतिमा
दरअसल, जिले के हाटपिपल्या (Hatpipliya) में भगवान नृसिंह (lord narasimha) का प्राचिन मन्दिर (old mandir) है. जिसमें साढ़े सात किलो वजनी ठोस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा विराजमान है. डोल ग्यारस पर्व पर प्रतिवर्ष भमोरी नदी में हजारों लोगों की मौजूदगी में इस पाषाण प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर पूरे सम्मान के साथ तीन बार तैराया जाता है.


प्रतिमा तैराने का क्या है अर्थ
भगवान नृसिंह मन्दिर (lord narasimha mandir) से प्रतिमा (Statue) को प्रति वर्ष बड़ी ही धुमधाम से पूरे नगर में अखाड़ा-जुलूस के साथ भ्रमण करवा कराया जाता है. इसके बाद चासिया मार्ग पर स्थित नरसिंह घाट ले जाया जाता है. जहां भगवान नृसिंह की पाषाण प्रतिमा को भमोरी नदी में मन्दिर के पुजारी के द्वारा तीन बार पानी में तैराया जाता है. लोगों की आस्था और मान्यता है, कि मूर्ति अगर एक बार तैरी और दो बार डूब गई तो वर्ष के 12 महीने में से सिर्फ चार महीने ही अच्छे निकलेंगे. दो बार तैरी और एक बार डूबी तो समझो आठ माह अच्छे एवं चार माह खराब जायेंगे, और यदि तीनों ही बार तैरी तो वर्षभर पूरे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि रहेगी. क्षेत्र में अच्छी फसल होगी. इसके अलावा यदि तीनों ही बार डूब गई तो सूखे, प्राकृतिक आपदा के हालात बनेंगे.

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विधायक मनोज चौधरी रहे मौजूद
इस मौके पर विधायक मनोज चौधरी मौजूद रहे. विधायक ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान नरसिंह का आशीर्वाद क्षेत्र के सभी लोगों पर बना हुआ हैं. प्रतिमा तीन बार तैरी है, भगवान के आशीर्वाद से यह पूरा वर्ष अच्छा जाएगा.

देवास। हाटपीपल्या (Hatpipliya) में करीब डेढ़ सौ सालों से भगवान नृसिंह (lord narasimha) की मूर्ति (Statue) नदी (river) में तैराने की परंपरा है. प्रतिमा के तैरने से अंदाजा लगाया जाता है कि अगला साल कैसा जायेगा. वर्षों से मूर्ति का तैरना चमत्कार माना जाता है, और यहां के लोगों में इस अयोजन को लाकर काफी उत्साह रहता है.

भगवान नरसिंह की प्रतिमा पानी तैरी

साढ़े सात किलो वजनी है प्रतिमा
दरअसल, जिले के हाटपिपल्या (Hatpipliya) में भगवान नृसिंह (lord narasimha) का प्राचिन मन्दिर (old mandir) है. जिसमें साढ़े सात किलो वजनी ठोस चमत्कारी पाषाण प्रतिमा विराजमान है. डोल ग्यारस पर्व पर प्रतिवर्ष भमोरी नदी में हजारों लोगों की मौजूदगी में इस पाषाण प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर पूरे सम्मान के साथ तीन बार तैराया जाता है.


प्रतिमा तैराने का क्या है अर्थ
भगवान नृसिंह मन्दिर (lord narasimha mandir) से प्रतिमा (Statue) को प्रति वर्ष बड़ी ही धुमधाम से पूरे नगर में अखाड़ा-जुलूस के साथ भ्रमण करवा कराया जाता है. इसके बाद चासिया मार्ग पर स्थित नरसिंह घाट ले जाया जाता है. जहां भगवान नृसिंह की पाषाण प्रतिमा को भमोरी नदी में मन्दिर के पुजारी के द्वारा तीन बार पानी में तैराया जाता है. लोगों की आस्था और मान्यता है, कि मूर्ति अगर एक बार तैरी और दो बार डूब गई तो वर्ष के 12 महीने में से सिर्फ चार महीने ही अच्छे निकलेंगे. दो बार तैरी और एक बार डूबी तो समझो आठ माह अच्छे एवं चार माह खराब जायेंगे, और यदि तीनों ही बार तैरी तो वर्षभर पूरे क्षेत्र में खुशहाली और समृद्धि रहेगी. क्षेत्र में अच्छी फसल होगी. इसके अलावा यदि तीनों ही बार डूब गई तो सूखे, प्राकृतिक आपदा के हालात बनेंगे.

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विधायक मनोज चौधरी रहे मौजूद
इस मौके पर विधायक मनोज चौधरी मौजूद रहे. विधायक ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि भगवान नरसिंह का आशीर्वाद क्षेत्र के सभी लोगों पर बना हुआ हैं. प्रतिमा तीन बार तैरी है, भगवान के आशीर्वाद से यह पूरा वर्ष अच्छा जाएगा.

Last Updated : Sep 18, 2021, 8:24 AM IST
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