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गौ कैबिनेट के बाद भी अनाथ गौमाता, जिला अस्पताल का कचरा खाकर भर रहीं पेट - Dewas District Hospital

देवास जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर सैकड़ों निराश्रित गाय लावारिस हालात में कचरा और प्लास्टिक पन्नी खाती नजर आई. इतना ही नहीं शहर से गुजरने वाले नेशनल व स्टेट हाईवे पर सैकड़ों निराश्रित गाय देखने को मिलती है, जो आए दिन सड़क हादसों का शिकार होती हैं.

Dewas District Hospital
देवास जिला अस्पताल
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Published : Nov 23, 2020, 9:29 AM IST

देवास। भोपाल में भाजपा सरकार द्वारा पहली गौ कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई, बैठक में निर्णय लिया गया कि सालरिया अभ्यारण में गौ पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा. वहीं गौ कैबिनेट बैठक के बाद तुरंत शिवराज सिंह आगर मालवा पहुंचे और पूजा कर नतमस्तक हो गए. वहीं दूसरी ओर देवास के जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर कई निराश्रित गाय लावारिस घुमती दिखाई दी, जो सड़कों पर पड़े कचरे को खाती नजर आई.

इतना ही नहीं शहर भर सहित शहर से गुजरने वाले नेशनल व स्टेट हाईवे पर सैकड़ों गाय देखने को मिलती हैं, जिससे आए दिन सड़क हादसे होते हैं, और जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते हैं, और आने वाली सरकारें गाय के नाम पर वोट बैंक की अपनी राजनीति करती नजर आती हैं.

ये भी पढ़ें-मुरैना की देवरी गौशाला का रियलिटी चेक, टूटे टीन शेड में गायों को भूसा भी नहीं नसीब

देश में गाय के नाम पर राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, कुछ लोगों ने गाय के हालातों को सुधारने की बात कहते हैं, तो कुछ ने इसे राजनीति कहकर इससे पल्ला झाड़ा. सरकार बदली तो बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार में गाय की स्थिति में सुधार नहीं किया पाया. अब देखना होगा, कि गौ केबिनेट बनने के बाद अब देखना होगा कि सरकार के दावे कितने सही होते हैं.

देवास। भोपाल में भाजपा सरकार द्वारा पहली गौ कैबिनेट की बैठक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई, बैठक में निर्णय लिया गया कि सालरिया अभ्यारण में गौ पशुपालन एवं अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा. वहीं गौ कैबिनेट बैठक के बाद तुरंत शिवराज सिंह आगर मालवा पहुंचे और पूजा कर नतमस्तक हो गए. वहीं दूसरी ओर देवास के जिला अस्पताल के मुख्य द्वार पर कई निराश्रित गाय लावारिस घुमती दिखाई दी, जो सड़कों पर पड़े कचरे को खाती नजर आई.

इतना ही नहीं शहर भर सहित शहर से गुजरने वाले नेशनल व स्टेट हाईवे पर सैकड़ों गाय देखने को मिलती हैं, जिससे आए दिन सड़क हादसे होते हैं, और जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते हैं, और आने वाली सरकारें गाय के नाम पर वोट बैंक की अपनी राजनीति करती नजर आती हैं.

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देश में गाय के नाम पर राजनीति का पुराना इतिहास रहा है, कुछ लोगों ने गाय के हालातों को सुधारने की बात कहते हैं, तो कुछ ने इसे राजनीति कहकर इससे पल्ला झाड़ा. सरकार बदली तो बड़े-बड़े दावे किए गए, लेकिन किसी भी सरकार में गाय की स्थिति में सुधार नहीं किया पाया. अब देखना होगा, कि गौ केबिनेट बनने के बाद अब देखना होगा कि सरकार के दावे कितने सही होते हैं.

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