देवास। खातेगांव तहसील के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के लोग इन दिनों खांडेराव बाबा के मेले में जलेबी का खूब लुफ्त उठा रहे हैं. इलाके के लोगों के लिए होली के साथ-साथ इस मेले का भी बड़ा महत्व है. होली से रंगपंचमी तक क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य गांवो में खांडेराव बाबा के नाम से मेले आयोजित होते हैं. इसी क्रम में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला ओंकारा गांव में खांडेराव बाबा देवस्थान पर आयोजन हुआ.
- हजारों की संख्या में शामिल लोग
यह क्षेत्र का प्रसिद्ध मेला होने से यहां हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. मेले में सैंकड़ों दुकानें लगती हैं और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने से अधिकतर खरीददारी ग्रामीण इस मेले करते हैं. इस बार होली के एक सप्ताह पहले और एक सप्ताह बाद भी ग्रामीणों द्वारा साप्ताहिक हाट, मेलें में लगी खुली दुकानों से जमकर खरीददारी की है.
कोरोना ने भक्तों की आस्था पर लगाया ब्रेक, नहीं आयोजित हुआ करीला मेला
- जलेबी का खूब उठाया लुफ्त
मेले में इस बार युवाओं के साथ बच्चे भी भरपूर आनंद लेते दिख रहे हैं. बच्चों तरह तरह के खिलौने खरीद रहे हैं. साथ ही ग्रामीणों ने मेले की प्रसिद्ध जलेबी, का लुफ्त उठाया है. मेले में कन्नौद, खातेगांव, कुसमानिया, विक्रमपुर, हरणगांव पटरानी, समेत अन्य कई गांवों से बड़ी संख्या में व्यापारियों ने रंगपंचमी से 1 दिन पूर्व यहां आकर अपनी दुकानें लगाई हैं.
- एक दुकान से ही 3 क्विंटल जलेबी की बिक्री
मेले में आए कन्नौद के एक मिठाई व्यापारी ने बताया है कि वह विगत कई वर्षों से ओंकारा मेले में अपनी दुकान लेकर आते हैं और इस बार उनकी एक ही दुकान से 300 किलो तक जलेबी की बिक्री हुई है, वहीं, इसके अलावा भी मेले में मिठाई की कई दुकानें लगी हुई थी.
- इन गांवों से आते हैं लोग
मेले में आसपास के गांव कोलारी, बड़ाखेत, सातल, भिलाई, बरखेड़ी, मोहाई, कुसमानिया, सिया, खुर्दलीखेड़ा, जागठा, किटिया, डाबरी, नांदोंन, गढवाय, हतलाय, विक्रमपुर, आमला, सागोनिया, ककडदी, उतावली, कालीबाई, रिछिखो, नंदडाई, नंदखेड़ा, पटरानी, निवारदी सहित अन्य कई गावों से ग्रामीण शामिल होते हैं.