देवास। जिले में वनरक्षक की हत्या करने वाले दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. बागली उपवनमंडल में पुंजापुरा रेंज के तहत रतनपुर बीट में गोली मारकर शिकारियों द्वारा वनरक्षक की हत्या करने के 2 साल पुराने मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया है. मुख्य 2 आरोपियों को आजीवन कारावास से दंडित किया गया है.
वनरक्षक के हत्यारे को मिली सजा: जिले के पुंजापुरा वन क्षेत्र में 2 साल पहले 5 फरवरी 2021 को पुंजापुरा रतनपुर के जंगल में वनरक्षक का खून से लथपथ शव मिला था. वन विभाग की टीम को सूचना मिली थी की वनरक्षक मदनलाल वर्मा बीट का भ्रमण करने के लिए जंगल की ओर गए थे, जहां से वह बीट मुख्यालय पर वापस नहीं लौटे थे. उदयनगर थाना प्रभारी टीम के साथ रतनपुर के जंगल में पहुंचे. जहां आसपास के क्षेत्र में तलाश किया तो उस दौरान भूरिया तालाब के पास एक शव और बाइक मिली, जिसकी शिनाख्त की तो पता चला की उक्त शव वनरक्षक मदनलाल वर्मा का है, जो पुंजापुरा रेंज में पदस्थ हैं. इसके बाद वनरक्षक का एक वीडियो भी वायरल हुआ, जिसमें यह दिखाई दिया था की वह किन्हीं लोगों का पीछा कर रहे हैं और अचानक से उन पर गोलियों से फायर होता है और वहीं उनकी मौत हो जाती है. उक्त वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले को लेकर अज्ञात आरोपियों के विरूद्ध उदयनगर थाने में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया था.
लकड़ी चोरों ने वन आरक्षक की गोली मारकर की हत्या, आरोपियों की तलाश में जुटी पुलिस
आरोपियों को अर्थदंड से दंडित किया: मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आरोपियों को तलाशने के लिए चार विशेष टीमों का गठन किया था, जिसके चलते मुखबिर की सूचना के आधार पर जंगल में छुपे दो आरोपियों को पुलिस ने धरदबोचा था. इन आरोपियों के पास से हथियार और वन्य प्राणियों के सींग भी मिले थे, जिन्हें जब्त कर लिया गया था. पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया. वहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था. प्रकरण की सुनवाई शनिवार को बागली में द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश ने की, जिसमें दो आरोपियों को आजीवन कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है.
खून से लथपथ मिला शव: राजेन्द्र सिंह भदौरिया जिला लोक अभियोजन अधिकारी ने बताया कि, वनरक्षक मदनलाल वर्मा पुंजापुरा तहसील बागली, जिला देवास में बीट गार्ड के पद पर पदस्थ थे. 4 फरवरी को ड्यूटी पर वन परिक्षेत्र पुंजापुरा की रतनपुर बीट में थी. सुबह करीब 10.30 से 11.00 बजे के बीच रतनपुर बीट में ड्यूटी के लिए निकले थे. वे शाम 5.30 बजे तक मुख्यालय से वापस आ जाते थे, लेकिन जब उस दिन वे नहीं पहुंचे तो कार्यालय के सहकर्मी वनरक्षक हरीश परमार ने कई बार उनको फोन लगाया. जब फोन किसी ने नहीं उठाया तो इसके बाद वनरक्षक परमार ने अपने रेंजर दिनेश निगम को फोन पर सूचना दी थी. उसके बाद रेंजर निगम, वनरक्षक मनोज वर्मा, परमार और अन्य साथी व पुलिस वाले मदनलाल को ढूंढने के लिए जंगल गए थे. जब वे रात 10 बजे वन कक्ष क्रमांक-532 में भूरिया तालाब के किनारे पहुंचे तो देखा कि वहां मदनलाल वर्मा पड़े हुए थे, उनके कपड़े खून से लथपथ था.