देवास। कृषि विधेयक बिल पर जहां पूरे देश में सियासत गरमा गई है, तो वहीं सत्ता पक्ष किसान हितेषी बता रहा है और विपक्ष किसान विरोधी. ऐसे में किसान भी असमंजस की स्थिति में पड़ गया है कि यह विधेयक किसानों के लिए लाभदायक है या नहीं.
इधर किसानों को विश्वास में लेने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खातेगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत कुसमानिया गांव के किसान हरिनारायण परमार से फोन पर चर्चा की. सीएम ने पहले किसान के हाल चाल जाने. उसके बाद खेती-बाड़ी की स्थिति पूछी और फिर कृषि विधेयक के संबंध में चर्चा की.
फोन पर किसान से चर्चा
सीएम- हरिनारायण कैसे है आप, शिवराज सिंह चौहान बोल रहा हूं.
हरिनारायण- जय राम जी की साहब बढ़िया हूं.
सीएम- हरिनारायण कितनी खेती है आपके पास.
हरिनारायण- 150 एकड़ जमीन है साहब हमारे पास
सीएम- अच्छा कौन सी फसल बोते है.
हरिनारायण- सोयाबीन ओर मक्का.
सीएम- चलो आपको अच्छी फसल के लिए बहुत-बहुत बधाई.
हरिनारायण- फसल तो बिल्कुल अच्छी नहीं है साहब इस बार तो बहुत खराब हो गयी.
सीएम- कौन सी फसल खराब हुई है.
हरिनारायण- सोयाबीन.
सीएम- अच्छा चिन्ता मत कीजिए हमने फसल बीमा योजना करवाई है. सर्वे के लिए निर्देश दिए है.
हरिनारायण- जी जी धन्यवाद.
सीएम- आपके मन मे कोई सवाल है तो पूछिए.
हरिनारायण- भाई साहब कुछ लोग किसानों के बीच चर्चा कर रहे है कि इस विधेयक से किसानों को नहीं बल्कि खेती किसानों से जुड़ी बड़ी कंपनियों को फायदा होगा और किसानों की बड़ी कंपनी के साथ विवाद की स्थिति बनेगी इसमें क्या सच्चाई है?
सीएम- इसमें कोई सच्चाई नहीं है. देखिए पहली चीज तो ये किसान की मर्जी पर है. वो किसी कंपनी से करार करे या ना करे, यदि उसकी इच्छा है, तो कोई कंपनी वाला, फुट प्रोसेसिंग इकाई वाला, कोई निर्यात करने वाला या कोई व्यापारी आकर किसान के साथ ये करार करता है कि मैं आपकी फसल इस भाव पर खरीदूंगा, आज मान लीजिए बोनी होनी है और तीन महीने बाद फसल आनी है, तो दाम आज क्या हो जाएंगे. इस भाव में देना है या नहीं मर्जी किसान की.
हरिनारायण- हा ये तो बहुत अच्छी बात है.
सीएम- खेती जुआ है. आज हमें पता ही नहीं चलता कि तीन महीने बाद हमारी फसल क्या भाव बिकेगी. भाव इतने गिर जाते है जब किसान के पास फसल आती है कि उसको फायदा होता ही नहीं है. अगर करार होता है तो उसको पता रहेगा कि तीन महीने बाद ये रेट उसके हित में है कि नहीं. अगर मान लीजिए कि कीमत और ज्यादा बढ़ गयी. आपने करार किया है 4000 रुपये और फसल हो गई 5000 रुपये क्विंटल, तो आप इस करार से बाहर भी आ सकते है.
हरिनारायण- अच्छा तो फिर हम खुले में भी बेच सकते है बंधे हुए नहीं रहेंगे.
सीएम- बिल्कुल व्यापारी भी यह नहीं कर सकता कि उसने 4000 रुपये का करार किया. बाद में उसने कीमत कम कर दी कि मैं तो 3000 रुपये का ही खरीदूंगा. व्यापारी को उस कीमत पर खरीदना पड़ेगा. किसान को अधिकार है कि भाव बढ़ गया, तो वो करार से बाहर जा सकेगा. नंबर-02 इसका फायदा यह है कि किसान को बाजार की अनिश्चितता से बचाया जा सकता है. बुवाई के पूर्व ही अच्छे मूल्य का आश्वासन मिल जायेगा. इसमें यह रहेगा व्यापारी चाहेगा कि अच्छी से अच्छी फसल हो. फुट प्रोसेसर किसान को यह मदद भी कर सकता है कि किसान को खाद बीज के पैसे दे देता हूं. जब फसल आ जायेगी, तब में ये पैसे काट लूंगा. उन्नत खाद और बीज भी उसके पास पहुंच सकता है.
हरिनारायण- अच्छा.
सीएम- किसानों का भाड़ा और समय भी बच जाएगा. बड़ी कंपनी वाला होगा, तो कृषि के क्षेत्र में कोई शोध या नई तकनीक बताएगा. किसान इसमे परेशान नहीं होगा. अधिक से अधिक 3 दिन में भुगतान हो जाएगा. वैसे 1 दिन का प्रावधान है, लेेेकिन 3 दिन RTGS करता है या किसी ओर माध्यम से पैसा देता है, तो आने में एक आध दिन बैंक में लग जाता है.
हरिनारायण- यह तो बहुत बढ़िया है.