देवास। मालवा अंचल में स्थित देवास को प्रदेश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर माना जाता है, जबकि इतनी ही ताकत ये क्षेत्र सूबे की सियासत में भी रखता है. यहां से निकले नेताओं ने देश-प्रदेश की सियासत में अलग मुकाम हासिल किया है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित देवास लोकसभा सीट पर इस बार बीजेपी के महेंद्र सोलंकी का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी प्रहलाद टिपनिया से है.
शाजापुर नाम से अस्तित्व में रहे इस संसदीय क्षेत्र का नाम 2008 में हुए परिसीमन के बाद देवास हो गया. परिसीमन के पहले तक ये सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ मानी जाती थी. पहले आम चुनाव से 2004 तक यहां 11 बार चुनाव हुए, जिनमें 7 बार बीजेपी का कमल खिला, जबकि चार बार जनसंघ के प्रत्याशी ने जीत का परचम लहराया, जबकि कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की थी.
परिसीमन के बाद कांग्रेस के अच्छे दिन शुरू हुए और 2009 के चुनाव में ही कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन सिंह वर्मा ने बीजेपी के दिग्गज नेता थावरचंद गहलोत को चित कर दिया, देवास-शाजापुर संसदीय सीट पर अब तक 15 आम चुनाव हुए. जिनमें 8 बार बीजेपी, 4 बार जन संघ, 2 बार कांग्रेस और एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. मोदी सरकार में मंत्री थावरचंद गहलोत इस सीट से चार बार चुनाव जीत चुके हैं.
मालवा के महाभारत में इस बार कुल 17 लाख 47 हजार 786 वोटर मतदान करेंगे. जिनमें 9 लाख 6 हजार 724 पुरुष मतदाता हैं तो 8 लाख 41 हजार 32 महिला मतदाता शामिल हैं, जबकि इस संसदीय क्षेत्र में 2319 मतदान केंद्र बनाए गए हैं.
देवास लोकसभा सीट के तहत देवास, हाटपिपल्या, शाजापुर, शुजालपुर, कालापीपल, सोनकच्छ, आगर और आष्टा विधानसभा सीटें आती हैं. विधानसभा चुनाव में इन आठ सीटों में चार-चार सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस को जीत मिली थी. 2014 के चुनाव में बीजेपी के मनोहर ऊंटवाल ने कांग्रेस के सज्जन सिंह वर्मा को हराया था.
मनोहर ऊंटवाल अब विधायक बन चुके हैं. ऐसे में बीजेपी ने यहां सेवानिवृत जज महेंद्र सोलंकी को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस मशहूर भजन गायक प्रहलाद टिपनिया पर भरोसा जताया है.
औद्योगिक क्षेत्र होने के बाद भी देवास में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा-स्वास्थ्य की पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से स्थानीय लोग परेशान हैं. खैर! बीजेपी के दबदबे वाली इस सीट पर मतदाता क्या करामात दिखाता है. सोलंकी को सोना बनाती है, या राम-नाम रटने वाले टिपनिया को टॉप कराती है. इस पर अंतिम मुहर 23 मई को ही लगेगी.