नई दिल्ली/भोपाल। एमपी के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के लिए आज का दिन बेहद अहम था, क्योंकि आज पेड न्यूज के मामले में उनके भाग्य का फैसला सुप्रीम कोर्ट तय करा सकता था. लेकिन कोर्ट के बेंच में शामिल सभी जजों की मौजूदगी नहीं होने से यह मामला लिस्टेड ना हो सका और सुनवाई आगे टलने की सूचना आई. जिन जजों की बेंच को इस मामले पर सुनवाई कर फैसला सुनाना है, वो आज उपलब्ध नहीं हैं. अब अगली सुनवाई की तारीख तय होनी है. सुप्रीम सुनवाई में अगर नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ फैसला आया तो कानून के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951, धारा 10-A के तहत उनको सजा सुनाई जा सकती है. यह सजा 3 साल की हो सकती है और साथ ही राहुल गांधी की तर्ज पर उनकी विधानसभा की सदस्यता भी निरस्त हो सकती है. यही नहीं वो चुनाव लड़ने के अयोग्य भी ठहराए जा सकते हैं.
बीजेपी के कद्दावर नेता और राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा एमपी के दतिया विधानसभा सीट से MLA हैं. उनके खिलाफ 2008 के विधानसभा चुनाव में पेड न्यूज का मामला दर्ज हुआ था. यह केस फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है जिस पर आखिरी सुनवाई होनी है. इससे पहले 12 अप्रैल को सुनवाई टल गई थी, जिसके बाद आज भी इस मामले पर फैसला नहीं आ पाया. मामले में 2 मार्च को भी केस पर सुनवाई SC में टली थी. माना जा रहा है कि इस केस का फैसला जब भी होगा बीजेपी के मंत्री के लिए बेहद अहम साबित होगा. केस के शिकायतकर्ता राजेंद्र भारती इस केस को सुप्रीम कोर्ट लेकर गए थे, उन्हीं की अपील पर यह केस मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट शिफ्ट हुआ था.
इससे पहले की बात करें तो मामले में कोर्ट से नरोत्तम मिश्रा को बहुत उम्मीदें हैं, क्योंकि कोर्ट के फैसले पर ही उनका आगे का चुनावी कैरियर तय होगा. इसी साल एमपी में विधानसभा का चुनाव हैं और नरोत्तम मिश्रा पर फैसला भी इसी साल आना है. जाहिर है अगर वो डिस्क्वालिफाई होते हैं तो इसका बुरा असर उनके राजनीतिक जीवन पर पड़ेगा. इससे पहले अलग-अलग कोर्ट में सुनवाई के दौरान भी नरोत्तम मिश्रा को कोई बहुत बड़ी राहत नहीं मिल पाई थी. दिल्ली HC में भी इस मामले में 2017 में सुनवाई हुई थी और वहां से गृहमंत्री को बड़ा झटका लग चुका है. कोर्ट 14 जुलाई को निर्वाचन आयोग के फैसले को सही मानते हुए नरोत्तम मिश्रा की अपील ठुकरा चुका है. मगर बाद में दिल्ली हाईकोर्ट की 2 जजों की बेंच का फैसला नरोत्तम मिश्रा के हक में आया था. मगर राजेन्द्र भारती ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और तभी से मामले में अलग अलग डेट्स पर सुनवाई चल रही है. यह बहुचर्चित केस 2008 से चल रहा है और इसमें पैरवी कपिल सिब्बल, P. चिदम्बरम समेत विवेक तन्खा कर चुके हैं.