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दतिया में 'भैय्या जी का अड्डा', किसान हैं नाराज, युवाओं को रोजगार का आस

ETV भारत का खास प्रोग्राम 'भैया जी का अड्डा' हर विधानसभा में पहुंचकर मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. इसी कड़ी में ETV भारत की टीम दतिया जिले की भांडेर विधानसभा में पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

bhaiya ji ka adda
भैय्या जी का अड्डा
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Published : Oct 27, 2020, 2:23 PM IST

दतिया। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में 3 नवंबर को मतदात होने वाले हैं. इन सीटों में दतिया जिले की भांडेर विधानसभा भी शामिल है. इस समय क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों की चुनावी सभाएं हो रही हैं, जनता से कई वादे और दावे किए जा रहे हैं. भांडेर के चुनवी मैदान में जहां बीजेपी ने कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुईं रक्षा सिरोनिया को उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया पर दांव लगाया है. ETV भारत की टीम दतिया जिले की भांडेर विधानसभा में पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

भैय्या जी का अड्डा

किसान धान को लेकर नाराज

बातचीत के दौरान ये सामने आया कि, किसानों को धान का वाजिब दाम नहीं मिलने से वे नेताओं से खासे नाराज हैं. अपनी फसल के लिए उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान परेशान हैं. किसानों ने बताया कि, 'हम जब अपनी फसल बेचते हैं, तब आधे दाम कर दिए जाते हैं और इसी फसल को जब हम बीज के लिए खरीदते हैं तो रेट डबल कर दिए जाते हैं. यह तो दोहरी नीति है, जिससे आम किसान भूखा मरने को मजबूर हैं'.

रोजगार बना अहम मुद्दा

रोजगार के सवाल पर लोगों ने बताया कि, 'इस मुद्दे को देखते हुए बीजेपी को ही वोट जाएंगे, क्योंकि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भर्तियां निकलती रहती हैं, लेकिन 15 महीने की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक भी भर्ती नहीं निकली'. लोगों का कहना है कि, क्षेत्र में भी रोजगार के साधन बढ़ाने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें- सिंधिया के गढ़ में गरजेंगे सचिन, 2 दिन में करेंगे 9 से ज्यादा सभाएं

शिक्षा- स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कहां जाएं

लोगों ने बताया कि, क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. स्कूलों में टीचर नहीं हैं. स्कूल भी बदहाल हैं. स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर सुविधाएं नहीं हैं, जो कि चुनावी मुद्दा बन सकता है.

सड़कें हैं मुद्दा

लोगों ने बताया कि, इलाके में अच्छी सड़कें भी नहीं हैं. सड़के बनी हैं, लेकिन कई जगह बदहाल हैं, जिन पर गुजरते वक्त काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- MP उपचुनाव: प्रत्याशी वही पार्टी नई, अजब चुनाव की गजब कहानी !

राजनीति में हो रही भांडेर सीट की चर्चा

राजनीति में इस सीट की खूब चर्चा हो रही है. भांडेर विधानसभा पिछले तीन चुनावों में परंपरागत रुप से बीजेपी की सीट रही है, लेकिन पिछली बार कांग्रेस की रक्षा सिरोनिया ने करीब 40 हजार वोट के अंतर से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रजनी प्रजापति को हराया था. वहीं, कांग्रेस से बगावत कर सिरोनिया अब बीजेपी में शामिल हो गईं हैं.

बीजेपी भांडेर विधानसभा सीट पर दोबरा वापसी करना चाह रही है, तो कांग्रेस अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद में जुटी है. भांडेर विधानसभा मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट है, जहां 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस बार भांडेर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है.

भांडेर सीट का चुनावी इतिहास

  • 1957 में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम सिंह यहां से जीत कर विधायक बने.
  • 1962 में कांग्रेस से राजाराम सिंह फिर से जीते.
  • 1967 में जनसंघ से किशोरी लाल हंस ने जीत दर्ज की.
  • 1972 में जनसंघ से चतुर्भुज जीते.
  • 1977 में जनतादल से नंदलाल सिरोनिया ने जीत हासिल की.
  • 1980 में कांग्रेस से कमलापत आर्य जीते.
  • 1985 में कांग्रेस से राधेश्याम चंदौरिया ने जीत हासिल की.
  • 1990 में बीजेपी से पूरन सिंह पलैया ने जीत दर्ज की.
  • 1993 में कांग्रेस से केसरी चौधरी जीते.
  • 1998 मे बीएसपी से फूलसिंह बरैया जीते.
  • 2003 में बीजेपी कमलापत आर्य ने जीत दर्ज की.
  • 2008 में आशाराम अहिरवार ने फिर बीजेपी को जीत दिलाई.
  • 2013 में घनश्याम पिरौनिया ने जीत हासिल की.
  • 2018 में कांग्रेस की रक्षा सिरोनिया ने जीत दर्ज की.

दतिया। प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में 3 नवंबर को मतदात होने वाले हैं. इन सीटों में दतिया जिले की भांडेर विधानसभा भी शामिल है. इस समय क्षेत्र में सभी राजनीतिक दलों की चुनावी सभाएं हो रही हैं, जनता से कई वादे और दावे किए जा रहे हैं. भांडेर के चुनवी मैदान में जहां बीजेपी ने कांग्रेस से पार्टी में शामिल हुईं रक्षा सिरोनिया को उतारा है, तो वहीं कांग्रेस ने फूल सिंह बरैया पर दांव लगाया है. ETV भारत की टीम दतिया जिले की भांडेर विधानसभा में पहुंची और मतदाताओं से चुनावी मुद्दों पर चर्चा की.

भैय्या जी का अड्डा

किसान धान को लेकर नाराज

बातचीत के दौरान ये सामने आया कि, किसानों को धान का वाजिब दाम नहीं मिलने से वे नेताओं से खासे नाराज हैं. अपनी फसल के लिए उचित मूल्य नहीं मिलने के कारण किसान परेशान हैं. किसानों ने बताया कि, 'हम जब अपनी फसल बेचते हैं, तब आधे दाम कर दिए जाते हैं और इसी फसल को जब हम बीज के लिए खरीदते हैं तो रेट डबल कर दिए जाते हैं. यह तो दोहरी नीति है, जिससे आम किसान भूखा मरने को मजबूर हैं'.

रोजगार बना अहम मुद्दा

रोजगार के सवाल पर लोगों ने बताया कि, 'इस मुद्दे को देखते हुए बीजेपी को ही वोट जाएंगे, क्योंकि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में भर्तियां निकलती रहती हैं, लेकिन 15 महीने की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में एक भी भर्ती नहीं निकली'. लोगों का कहना है कि, क्षेत्र में भी रोजगार के साधन बढ़ाने की जरूरत है.

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शिक्षा- स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कहां जाएं

लोगों ने बताया कि, क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. स्कूलों में टीचर नहीं हैं. स्कूल भी बदहाल हैं. स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर सुविधाएं नहीं हैं, जो कि चुनावी मुद्दा बन सकता है.

सड़कें हैं मुद्दा

लोगों ने बताया कि, इलाके में अच्छी सड़कें भी नहीं हैं. सड़के बनी हैं, लेकिन कई जगह बदहाल हैं, जिन पर गुजरते वक्त काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

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राजनीति में हो रही भांडेर सीट की चर्चा

राजनीति में इस सीट की खूब चर्चा हो रही है. भांडेर विधानसभा पिछले तीन चुनावों में परंपरागत रुप से बीजेपी की सीट रही है, लेकिन पिछली बार कांग्रेस की रक्षा सिरोनिया ने करीब 40 हजार वोट के अंतर से भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी रजनी प्रजापति को हराया था. वहीं, कांग्रेस से बगावत कर सिरोनिया अब बीजेपी में शामिल हो गईं हैं.

बीजेपी भांडेर विधानसभा सीट पर दोबरा वापसी करना चाह रही है, तो कांग्रेस अपनी सीट बचाने की जद्दोजहद में जुटी है. भांडेर विधानसभा मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण सीट है, जहां 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस बार भांडेर विधानसभा सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है.

भांडेर सीट का चुनावी इतिहास

  • 1957 में पहली बार कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम सिंह यहां से जीत कर विधायक बने.
  • 1962 में कांग्रेस से राजाराम सिंह फिर से जीते.
  • 1967 में जनसंघ से किशोरी लाल हंस ने जीत दर्ज की.
  • 1972 में जनसंघ से चतुर्भुज जीते.
  • 1977 में जनतादल से नंदलाल सिरोनिया ने जीत हासिल की.
  • 1980 में कांग्रेस से कमलापत आर्य जीते.
  • 1985 में कांग्रेस से राधेश्याम चंदौरिया ने जीत हासिल की.
  • 1990 में बीजेपी से पूरन सिंह पलैया ने जीत दर्ज की.
  • 1993 में कांग्रेस से केसरी चौधरी जीते.
  • 1998 मे बीएसपी से फूलसिंह बरैया जीते.
  • 2003 में बीजेपी कमलापत आर्य ने जीत दर्ज की.
  • 2008 में आशाराम अहिरवार ने फिर बीजेपी को जीत दिलाई.
  • 2013 में घनश्याम पिरौनिया ने जीत हासिल की.
  • 2018 में कांग्रेस की रक्षा सिरोनिया ने जीत दर्ज की.
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