ETV Bharat / state

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल ने किए पीतांबरा शक्ति पीठ के दर्शन, गृह मंत्री ने किया स्वागत - Giriraj Singh

मां पीतांबरा शक्ति पीठ के दर्शन करने जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिंहा रविवार को दतिया पहुंचे. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद रहे.

Deputy Governor of Jammu and Kashmir
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल पहुंचे दतिया
author img

By

Published : Nov 29, 2020, 7:55 PM IST

Updated : Nov 29, 2020, 8:48 PM IST

दतिया। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिंहा रविवार को दतिया पहुंचे. यहां पहुंचकर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा शक्ति पीठ पर मां के दर्शन किए. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गिरिराज सिंह भी मौजूद रहे.

गृह मंत्री मिश्रा ने किया स्वागत

उप राज्यपाल मनोज सिंहा और केंद्रीय मंत्रियों का स्वागत करने के लिए प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी दतिया पहुंचे. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ उप राज्यपाल और अन्य मंत्रियों का स्वागत किया. मां पीताम्बरा पीठ पहुंचकर उप राज्यपाल मनोज सिंहा और मंत्रियों ने मां के दर्शन किए और पूजा अर्चना कर मां का आशिर्वाद लिया.

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल पहुंचे दतिया

विश्व प्रसिद्ध है पीतांबरा शक्तिपीठ

दतिया का पीतांबरा शक्तिपीठ ऐसा मंदिर है, जहां देश की बड़ी से बड़ी ताकतें नतमस्तक हो जाती हैं. यहां स्थित मां बगुलामुखी को राजसत्ता की देवी कहा जाता है. यही वजह है कि जब देश के किसी भी नेता को कुर्सी की चिंता सताती है तो वह मां के दर्शन करने चला आता है.

खास बात ये कि देश पर जब भी कोई संकट आता है तो सत्ताधारी दल के नेता भी मां के दर पर मत्था टेकना नहीं भूलते. कहा तो ये भी जाता है कि भारत-चीन युद्ध के वक्त देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी मां बगुलामुखी की शरण में पहुंचे थे. इसी तरह कारगिल युद्ध के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी देश को बचाने के लिए मां बगुलामुखी के दर पर पहुंचे थे.

पढ़ेंः नेहरू से वाजपेयी तक मुसीबत में हर शासक दौड़ा आया राजसत्ता की देवी के द्वार, अनूठी है पीतांबरा शक्तिपीठ की मान्यता

भारत-चीन युद्ध के वक्त कराया था यज्ञ

1962 के भारत-चीन युद्ध के वक्त जवाहर लाल नेहरु ने युद्ध को रोकने के लिये यहां 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था. कहते हैं कि यज्ञ के 11वें दिन चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं. इस यज्ञ के दौरान बनवाई गई यज्ञशालाएं आज भी पीतांबरा मंदिर में मौजूद हैं. वहीं कारगिल युद्ध के वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान पर जीत हासिल करने की मुराद लेकर मां के दरबार में गुप्त अनुष्ठान कराया था.

शक्तिपीठ पर नेताओं का जमावड़ा

युद्ध में जीत के अलावा अपने विरोधी दल को मात देने की ख्वाहिश लिए तो कई नेता मां के दरबार में आते हैं. मध्यप्रदेश की बात की जाए तो पूर्व सीएम कमलनाथ से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक सभी नेता हर साल मां पीतांबरा के दर पर जरूर जाते हैं. प्रदेश का सबसे रसूखदार राजनीतिक परिवार कहे जाने वाले सिंधिया राजघराने की तो इस मंदिर पर गहरी आस्था है. सिंधिया परिवार इस मंदिर का ट्रस्टी भी है. यही वजह है कि परिवार के सभी सदस्य मां के दर्शन करने पहुंचते रहते हैं. खासकर चुनावी दौर में पीतांबरा शक्तिपीठ पर नेताओं का जमावड़ा लग जाता है, क्योंकि मान्यता है कि जिसके सिर राजसत्ता की देवी का आशीर्वाद हो उसे सत्ता का शिखर छूने से कोई नहीं रोक सकता.

दतिया। जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिंहा रविवार को दतिया पहुंचे. यहां पहुंचकर उन्होंने विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा शक्ति पीठ पर मां के दर्शन किए. इस दौरान उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और गिरिराज सिंह भी मौजूद रहे.

गृह मंत्री मिश्रा ने किया स्वागत

उप राज्यपाल मनोज सिंहा और केंद्रीय मंत्रियों का स्वागत करने के लिए प्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा भी दतिया पहुंचे. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ उप राज्यपाल और अन्य मंत्रियों का स्वागत किया. मां पीताम्बरा पीठ पहुंचकर उप राज्यपाल मनोज सिंहा और मंत्रियों ने मां के दर्शन किए और पूजा अर्चना कर मां का आशिर्वाद लिया.

जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल पहुंचे दतिया

विश्व प्रसिद्ध है पीतांबरा शक्तिपीठ

दतिया का पीतांबरा शक्तिपीठ ऐसा मंदिर है, जहां देश की बड़ी से बड़ी ताकतें नतमस्तक हो जाती हैं. यहां स्थित मां बगुलामुखी को राजसत्ता की देवी कहा जाता है. यही वजह है कि जब देश के किसी भी नेता को कुर्सी की चिंता सताती है तो वह मां के दर्शन करने चला आता है.

खास बात ये कि देश पर जब भी कोई संकट आता है तो सत्ताधारी दल के नेता भी मां के दर पर मत्था टेकना नहीं भूलते. कहा तो ये भी जाता है कि भारत-चीन युद्ध के वक्त देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी मां बगुलामुखी की शरण में पहुंचे थे. इसी तरह कारगिल युद्ध के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी देश को बचाने के लिए मां बगुलामुखी के दर पर पहुंचे थे.

पढ़ेंः नेहरू से वाजपेयी तक मुसीबत में हर शासक दौड़ा आया राजसत्ता की देवी के द्वार, अनूठी है पीतांबरा शक्तिपीठ की मान्यता

भारत-चीन युद्ध के वक्त कराया था यज्ञ

1962 के भारत-चीन युद्ध के वक्त जवाहर लाल नेहरु ने युद्ध को रोकने के लिये यहां 51 कुंडीय महायज्ञ कराया था. कहते हैं कि यज्ञ के 11वें दिन चीन ने अपनी सेनाएं वापस बुला ली थीं. इस यज्ञ के दौरान बनवाई गई यज्ञशालाएं आज भी पीतांबरा मंदिर में मौजूद हैं. वहीं कारगिल युद्ध के वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान पर जीत हासिल करने की मुराद लेकर मां के दरबार में गुप्त अनुष्ठान कराया था.

शक्तिपीठ पर नेताओं का जमावड़ा

युद्ध में जीत के अलावा अपने विरोधी दल को मात देने की ख्वाहिश लिए तो कई नेता मां के दरबार में आते हैं. मध्यप्रदेश की बात की जाए तो पूर्व सीएम कमलनाथ से लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक सभी नेता हर साल मां पीतांबरा के दर पर जरूर जाते हैं. प्रदेश का सबसे रसूखदार राजनीतिक परिवार कहे जाने वाले सिंधिया राजघराने की तो इस मंदिर पर गहरी आस्था है. सिंधिया परिवार इस मंदिर का ट्रस्टी भी है. यही वजह है कि परिवार के सभी सदस्य मां के दर्शन करने पहुंचते रहते हैं. खासकर चुनावी दौर में पीतांबरा शक्तिपीठ पर नेताओं का जमावड़ा लग जाता है, क्योंकि मान्यता है कि जिसके सिर राजसत्ता की देवी का आशीर्वाद हो उसे सत्ता का शिखर छूने से कोई नहीं रोक सकता.

Last Updated : Nov 29, 2020, 8:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.