दतिया। करोना वायरस महामारी समाप्ति और विश्वशांति के लिए दतिया की सोनागिर में भक्तामर महापूजन किया गया. भक्तामर महापूजन में 108 मंडली भक्तामर महामंडल विधान एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह भी सम्पन्न हुआ. रविवार को सोनागिर स्थित विशाल धर्मशाला में दिगंबर जैन जागरण युवा संघ के तत्वाधान में आयोजित भक्तामर महा विधान एवं पिच्छी परिवर्तन समारोह में धर्मसभा का आयोजन हुआ.
पालकी शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ भक्तामर विधान महोत्सव
विधान के शुभारंभ में सुबह आचार्य धर्मभूषण सागर महाराज और प्रतीक सागर महाराज के सानिध्य में भगवान आदिनाथ की पालकी और कलश यात्रा गाजे बाजे के साथ निकाली गई. शोभायात्रा में सबसे आगे युवा हाथों में जैन ध्वज लेकर एवं महिलाएं केसरिया साड़ियों में मंगल कलश सिर पर रखकर चल रही थी.
मुनि प्रतीक सागर महाराज ने कहा कि जीवन में एक बार किसी साधु व आर्यिका की पुरानी पिच्छी लेने का प्रयास जरूर करना, क्योंकि ये पुरानी पिच्छी ही जीवन के अन्नत तक नई पिच्छी बनकर हमारे हाथ में आएगी. पुरानी पिच्छी लेने वाला श्रावक होता है, तो नई पिच्छी लेने वाला आर्यिक व साधु होती है.
मुनि प्रतीक सागर महाराज ने कहा कि मेरी पिच्छी का परिवर्तन आपके जीवन के परिवर्तन का कारण बने. मुझे मेरे गुरूदेव आचार्यश्री पुष्पदंत सागर महाराज ने मेरे हाथो में पिच्छी देकर मेरा जीवन ही बदल दिया. या यूं कहूं कि उन्होंने पिच्छी देकर मेरा जीवन अनमोल बना दिया, आज ये पिच्छी ही मेरी पहचान है.
इन्हें मिली मुनिश्री की पुरानी पिच्छिका
मुनि प्रतीक सागर महाराज की नवीन एवं पुरानी पिच्छी लेने का सौभाग्य महेंद्र कुमार अंकित जैन के परिवार को मिला. आचार्य धर्म भूषण सागर महाराज की नवीन पिच्छी मुकेश जैन शिवपुरी वालों को मिला एवं पुरानी पिच्छी संतोष जैन इटारसी वालों को मिला.
राजस्थान पाली के संगीत पार्टी महेंद्र जैन ने जब 'पिच्छी रे पिच्छी इतना बता तूने कौन सा पुण्य किया है जो गुरूवर्य ने हाथों में थाम लिया है' भजन गाया तो भजन सुन कर सभागार में जैन समाज के लोग झूम उठे. साथ ही सजी हुई नवनिर्वित पिच्छी को सिर पर रखाकर नृत्य किया.