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अस्पताल में पड़ी रही सस्पेक्टेड महिला, नहीं मिला इलाज, तोड़ा दम

एमपी के दमोह में इलाज के लिए आई महिला ने अस्पताल के बरामद में इलाज के आभाव में दम तोड़ दिया. जबकि इस हादसे के दौरान स्वयं केंद्रीय मंत्री अस्पताल में मौजूद थे. बताया जा रहा है कि महिला गर्भ से थी.

पीड़ित
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Published : May 7, 2021, 3:55 AM IST

दमोह। जिले के बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कोरोना सस्पेक्टेड महिला का शव घंटों पड़ा रहा. लापरवाह स्वास्थ विभाग ने महिला के शव को परिजनों को सौंपकर अपने हाथ खड़े कर दिए. वही मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री भी बगैर जवाब दिए आगे बढ़ गए.

पीड़ित पति ने बतायी अपबीती.

घंटों तक पड़ा रहा महिला का शव
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के इस दौर में जहां लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं जिले के बटियागढ़ स्वास्थ्य केंद्र में मानवता को तार-तार कर देने वाला मामला सामने आया है. प्रसव पीड़ा के चलते महिला को यहां लाया गया था. शव घंटों तक कोविड केयर सेंटर के बाहर पड़ा रहा. उसके कफन की व्यवस्था भी नहीं की गई.

महिला की मौत पर केंद्रीय मंत्री ने भी नहीं दिया जवाब
स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के कारण खुले में शव पड़े रहने से और भी लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता था या संभव है हो भी गया हो. बाद में परिजन किसी तरह निजी वाहन का इंतजाम करके उसी तरह खुला शव ले गए. जिस समय परिजन अस्पताल में बिलख रहे थे ठीक उसी दौरान केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे. जब मीडिया कर्मियों ने उन्हें महिला की मौत के संबंध में जानकारी दी तो उन्होंने इतना ही कहा कि यदि महिला कोरोना सस्पेक्ट या पॉजिटिव है तो इस तरह की लापरवाही नहीं होना चाहिए. जब उनसे यह सवाल किया गया कि स्वास्थ्य विभाग ने उसके अंतिम संस्कार और वाहन की व्यवस्था भी नहीं की तो वह कोई जवाब दिए बगैर आगे बढ़ गए.

इलाज के अभाव में मौत
ग्राम आलमपुर निवासी रघुवीर रैकवार ने आरोप लगाया कि वह अपनी पत्नी चंदा को प्रसव पीड़ा होने पर बटियागढ़ स्वास्थ्य केंद्र लाये थे. डॉक्टरों ने पहले तो उसकी जांच ही नहीं की. प्रसव पीड़ा के साथ ही उसे तेज बुखार भी था. डॉक्टरों का कहना था कि उसकी पत्नी को कोरोना के लक्षण हैं, इसी कारण उसका उपचार नहीं हो सका. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.

अस्पताल के बरामदे में एक घंटे तक पड़ा रहा शव
परिजनों ने आरोप लगाया कि कोरोना का बहाना बनाकर उसकी पत्नी का इलाज नहीं किया गया. जिसके कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों का यह भी आरोप है कि यदि महिला को कोरोना था तो उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी उन्हें ही करनी थी लेकिन अस्पताल के बरामदे में एक घंटे से अधिक समय तक खुले में शव रखा रहा लेकिन उसके कफन का भी इंतजाम नहीं किया गया.

कर्फ्यू में चल रहा था तेरहवीं कार्यक्रम, प्रशासन ने सील की धर्मशाला

बुखार से पीड़ित थी महिला
इस संबंध में स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर सौरभ जैन का कहना है कि महिला को बुखार था, जिसके कारण मौत हुई है. यह पूछे जाने पर कि कोविड सस्पेक्ट बताकर संपाले क्यों लिया गया? उनका कहना था कि लक्षण के आधार पर कोविड सस्पेक्ट बताया है. रिपोर्ट आने तक महिला का शव अस्पताल में नहीं रख सकते इसलिए शव परिजनों को सौंप दिया.

दमोह। जिले के बटियागढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में एक कोरोना सस्पेक्टेड महिला का शव घंटों पड़ा रहा. लापरवाह स्वास्थ विभाग ने महिला के शव को परिजनों को सौंपकर अपने हाथ खड़े कर दिए. वही मौके पर पहुंचे केंद्रीय मंत्री भी बगैर जवाब दिए आगे बढ़ गए.

पीड़ित पति ने बतायी अपबीती.

घंटों तक पड़ा रहा महिला का शव
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के इस दौर में जहां लोग एक दूसरे की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ा रहे हैं. वहीं जिले के बटियागढ़ स्वास्थ्य केंद्र में मानवता को तार-तार कर देने वाला मामला सामने आया है. प्रसव पीड़ा के चलते महिला को यहां लाया गया था. शव घंटों तक कोविड केयर सेंटर के बाहर पड़ा रहा. उसके कफन की व्यवस्था भी नहीं की गई.

महिला की मौत पर केंद्रीय मंत्री ने भी नहीं दिया जवाब
स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के कारण खुले में शव पड़े रहने से और भी लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा हो सकता था या संभव है हो भी गया हो. बाद में परिजन किसी तरह निजी वाहन का इंतजाम करके उसी तरह खुला शव ले गए. जिस समय परिजन अस्पताल में बिलख रहे थे ठीक उसी दौरान केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे. जब मीडिया कर्मियों ने उन्हें महिला की मौत के संबंध में जानकारी दी तो उन्होंने इतना ही कहा कि यदि महिला कोरोना सस्पेक्ट या पॉजिटिव है तो इस तरह की लापरवाही नहीं होना चाहिए. जब उनसे यह सवाल किया गया कि स्वास्थ्य विभाग ने उसके अंतिम संस्कार और वाहन की व्यवस्था भी नहीं की तो वह कोई जवाब दिए बगैर आगे बढ़ गए.

इलाज के अभाव में मौत
ग्राम आलमपुर निवासी रघुवीर रैकवार ने आरोप लगाया कि वह अपनी पत्नी चंदा को प्रसव पीड़ा होने पर बटियागढ़ स्वास्थ्य केंद्र लाये थे. डॉक्टरों ने पहले तो उसकी जांच ही नहीं की. प्रसव पीड़ा के साथ ही उसे तेज बुखार भी था. डॉक्टरों का कहना था कि उसकी पत्नी को कोरोना के लक्षण हैं, इसी कारण उसका उपचार नहीं हो सका. कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई.

अस्पताल के बरामदे में एक घंटे तक पड़ा रहा शव
परिजनों ने आरोप लगाया कि कोरोना का बहाना बनाकर उसकी पत्नी का इलाज नहीं किया गया. जिसके कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों का यह भी आरोप है कि यदि महिला को कोरोना था तो उसके अंतिम संस्कार की व्यवस्था भी उन्हें ही करनी थी लेकिन अस्पताल के बरामदे में एक घंटे से अधिक समय तक खुले में शव रखा रहा लेकिन उसके कफन का भी इंतजाम नहीं किया गया.

कर्फ्यू में चल रहा था तेरहवीं कार्यक्रम, प्रशासन ने सील की धर्मशाला

बुखार से पीड़ित थी महिला
इस संबंध में स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर सौरभ जैन का कहना है कि महिला को बुखार था, जिसके कारण मौत हुई है. यह पूछे जाने पर कि कोविड सस्पेक्ट बताकर संपाले क्यों लिया गया? उनका कहना था कि लक्षण के आधार पर कोविड सस्पेक्ट बताया है. रिपोर्ट आने तक महिला का शव अस्पताल में नहीं रख सकते इसलिए शव परिजनों को सौंप दिया.

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