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जल के लिए जद्दोजहद, बूंद-बूंद के लिए 'संग्राम'

पानी की सबसे ज्यादा त्रासदी आदिवासी इलाकों में है,यहां पर सरकारी हैंडपंप पानी की जगह हवा फेंक रहा है. बछामा गांव में हालात इस कदर खतरनाक हो चुके हैं कि लोग जंगल में 2 किलोमीटर चलकर सूनसान इलाके से पानी लाने को मजबूर है.

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Published : Jun 2, 2019, 3:06 PM IST

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

दमोह। जिले के हटा नगरपालिका में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे है. यहां जलसंकट इतना गहराया हुआ है कि लोग पानी की किल्लत से बेहद परेशान है. अपनी प्यास बुझाने के लिए संघर्ष कर रहे है. पानी का टैंकर आते ही लोग डिब्बों के साथ खड़े रहते है और पानी का इंतजार करते रहते है.

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे है और प्रशासन लोगों की मुश्किल खत्म करने में नाकाम साबित हो रहा है.हटा नगरपालिका के सीएमओ की माने तो नगरपालिका क्षेत्र में तीन वार्डों में किसी कंपनी के केबल बिछाने से पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गयी है. जिस वजह से वार्डों में टैंकर के जरिये लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है.

पानी की सबसे ज्यादा त्रासदी आदिवासी इलाकों में है,यहां पर सरकारी हैंडपंप पानी की जगह हवा फेंक रहा है. बछामा गांव में हालात इस कदर खतरनाक हो चुके हैं कि लोग जंगल में 2 किलोमीटर चलकर सुनसान इलाके से पानी लाने को मजबूर है. जिले में ये हालात तब हैं जब कलेक्टर पेयजल व्यवस्था को दुरस्त करने के निर्देश दे चुका हैं.

दमोह। जिले के हटा नगरपालिका में लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे है. यहां जलसंकट इतना गहराया हुआ है कि लोग पानी की किल्लत से बेहद परेशान है. अपनी प्यास बुझाने के लिए संघर्ष कर रहे है. पानी का टैंकर आते ही लोग डिब्बों के साथ खड़े रहते है और पानी का इंतजार करते रहते है.

बूंद-बूंद के लिए तरस रहे लोग

ग्रामीण पानी के लिए जद्दोजहद कर रहे है और प्रशासन लोगों की मुश्किल खत्म करने में नाकाम साबित हो रहा है.हटा नगरपालिका के सीएमओ की माने तो नगरपालिका क्षेत्र में तीन वार्डों में किसी कंपनी के केबल बिछाने से पाइप लाइन क्षतिग्रस्त हो गयी है. जिस वजह से वार्डों में टैंकर के जरिये लोगों तक पानी पहुंचाया जा रहा है लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हो रही है.

पानी की सबसे ज्यादा त्रासदी आदिवासी इलाकों में है,यहां पर सरकारी हैंडपंप पानी की जगह हवा फेंक रहा है. बछामा गांव में हालात इस कदर खतरनाक हो चुके हैं कि लोग जंगल में 2 किलोमीटर चलकर सुनसान इलाके से पानी लाने को मजबूर है. जिले में ये हालात तब हैं जब कलेक्टर पेयजल व्यवस्था को दुरस्त करने के निर्देश दे चुका हैं.

Intro:बूंद बूंद पानी के लिये जद्दोजहद
हटा में पानी का घोर संकट
पानी की भीषण समस्या से लोग हलाकान
ग्रामीण अंचलों में दूर दूर से जल परिवहन कर रहे लोग

Anchor. लगातार बढ़ रहे तापमान और भीषण गर्मी के चलते भू जलस्तर कम होता जा रहा है।नवतपा की गर्मी के बाद शायद अब पानी सैकड़ो फ़ीट नीचे पँहुच चुका है। जिसके चलते शहर से लेकर गांव तक पानी के लिये त्राहि त्राहि मची हुई है। शहरी क्षेत्रों में आवाम हर दूसरे दिन मिलने वाले टेंकर के पानी के लिये जद्दोजहद करता दिखाई देता है तो ग्रामीण अंचलों में कई गांव में पानी सूख जाने के कारण लोग दूसरे गांव से जल परिवहन करने को मजबूर हैं।


Body:Vo.हटा नगरपालिका क्षेत्र के कई वार्डों में टेंकर के माध्यम से पेयजल आपूर्ति का प्रयास नपा जरूर कर रही लेकिन लोगों की परेशानियां कम नही हो रहीं, इसी प्रकार ग्राम पँचायत मड़ियादो में नलजल योजना ठप्प होने और प्राकृतिक स्रोतों के सूखने के चलते हालात बेहद खराब है यंहा पानी लोग रात रात भर जागकर जंगली स्थलों से पानी ले रहे हैं।

Conclusion:Vo.पानी की सबसे ज्यादा त्रासदी आदिवासी क्षेत्रो में देखने को मिल रही है जंहा सरकारी हैंडपंप हवा उगल रहे हैं, बछामा गांव के लोग जंगल मे 2 किमी लम्बी घाटी से उतरकर पानी लाते हैं जंहा हर समय खतरा बना रहता है।बढ़ते जलसंकट को देखते हुय जिला कलेक्टर ने यंहा दौरा कर पेयजल व्यवस्था दुरस्त करने के निर्देश भी दिए लेकिन हालात बेकाबू हो रहे हैं ,लोग बून्द बून्द पानी के लिये मोहताज हैं।

बाईट - ग्रामीण
बाईट - रामेश्वर सिंह हजारी प्रभारी cmo हटा नगरपालिका
आकिब खान
हटा/दमोह
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