दमोह। हटा के बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत की है. इस रिपोर्ट में पुलिस एवं जेल प्रशासन के महानिदेशक तक की कार्य प्रणाली पर गंभीर आरोप लगाते हुए सवाल खड़े किए हैं. राजनीतिक रसूखदारों के आगे पुलिस प्रशासन एवं अधिकारी किस तरह नतमस्तक हैं. इसका उदाहरण उस स्टेटस रिपोर्ट में देखने मिलता है, जो अपर सत्र न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के असिस्टेंट रजिस्ट्रार को प्रेषित की है.
स्टेटस रिपोर्ट स्पेशल लीव पिटिशन के आदेश के संबंध में भेजी गई है. हटा के कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड के मामले में पथरिया विधायक रामबाई परिहार के पति गोविंद सिंह परिहार, देवर चंदू सिंह परिहार, भतीजे गोलू उर्फ दीपेंद्र परिहार, जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के पुत्र इंद्रपाल पटेल सहित 20 लोग अभियुक्त हैं.
गवाही में व्यवधान उत्पन्न करते हैं अभियुक्त
अपर सत्र न्यायाधीश ने रिपोर्ट में लेख किया है कि विधायक रामबाई सिंह परिहार रसूखदार हैं. उनके घर मंत्री आते जाते रहते हैं. कई मंत्रियों से रिश्तेदारी के कारण अधिकारी दबाव बस कार्रवाई नहीं कर सकते हैं, आगे लेख किया गया है कि राजनीतिक प्रभाव के कारण जेल प्रशासन एवं अन्य अधिकारियों को अभियुक्तगण किसी भी दशा में अभियोजन साक्षी का परीक्षण नहीं होने देते हैं. बीमार न होते हुए भी अभियुक्त फर्जी बीमार होकर में अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं, जिससे गवाही न हो सके. आगे लेख किया गया है कि वीसी के दौरान अभियुक्त गण ने वीसी का बोर्ड जला दिया था. इस संबंध में अनेक पत्र आईटी विभाग, जिला एवं स्वास्थ्य कर्मियों को लिखे गए तथा नोटिस जारी किए गए थे. न्यायाधीश ने लिखा है कि अभियुक्त गणों के अधिवक्ता जानबूझकर न्यायालय में समय पर उपस्थित नहीं होते हैं. जबकि आदेश दिया था कि वह समय पर उपस्थित रहें अन्यथा विधिक अधिवक्ता नियुक्त कर दिए जाएंगे.
न्यायाधीश पर लगाए मिथ्या आरोप
स्टेटस रिपोर्ट में न्यायालय ने लिखा है कि गोलू एवं चंदू सिंह द्वारा प्रकरण का तबादला कराने के प्रयास किए. अपर सत्र न्यायाधीश पर मिथ्या एवं निराधार आरोप लगाए गए. इसी तरह अभियुक्त गणों के अधिवक्ताओं द्वारा आपत्ति ली गई कि न्यायालय कक्ष छोटा है. वहां पर सुनवाई नहीं हो पाती है. तब उनकी आपत्ति का निराकरण करते हुए न्यायालय के बाहर गैलरी में कोविड-19 का पालन करते हुए सुनवाई की कार्रवाई की गई.
देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड : विधायक रामबाई के पति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
जेल डीजीपी पर अभियुक्तों का सहयोग करने का आरोप
न्यायालय ने पुलिस प्रशासन, जेल प्रशासन, जेल महानिदेशक सहित तमाम अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए लेख किया कि शासन पर इतना दबाव है कि न्यायालय आदेश के उपरांत भी दमोह जेल में निरुद्ध अभियुक्तों को हटा जेल स्थानांतरित नहीं किया गया. डीजीपी जेल एवं अन्य अधिकारियों द्वारा अभियुक्त गणों का सहयोग किया जाता है. इसके अतिरिक्त तत्कालीन जेलर के उस पत्र का भी हवाला दिया गया है, जिसमें लिखा है कि अभियुक्त गण राजनीतिक रसूख के कारण बाहरी भोजन करते हैं. बाहरी लोगों से अनियमित एवं समय मुलाकात करते हैं. जेल के नियमों का पालन नहीं करते.
पुलिस के पास थे पर्याप्त साक्ष्य
अपर सत्र न्यायालय ने आगे स्टेटस रिपोर्ट में लिखा है कि 3 सत्र प्रकरणों में अभियुक्त गोविंद सिंह परिहार को आजीवन कारावास एवं जुर्माना की सजा दोष सिद्धि पाई गई है. पुलिस के पास उपरोक्त मामले में पर्याप्त साक्ष्य थे. उसके बाद भी गोविंद सिंह को छोड़ दिया गया और प्रकरण में से नाम खारिजी के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया. जिसके अभिलेख मौजूद हैं.
अधिकारी और समाज भयभीत
अपर सत्र न्यायालय में स्टेटस में एक जगह लिखा है कि गोविंद सिंह अपराधिक और सजायाफ्ता है. उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है, जिससे अधिकारी डरते हैं. पूरा समाज डरता है. वह अनेक हत्याएं कर चुका है, उसके खिलाफ अधिकारी कार्रवाई करने से डरते हैं. प्रकरण का शीघ्र निराकरण अभियुक्त गोविंद शाह की गिरफ्तारी के बाद किया जा सकता है.