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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का अनूठा धरना, धरनास्थल पर साथी की जिंदगी बचाने की मुहिम छेड़ी - धरने के दौरान चंदा जुटाया

अपनी मांगों को लेकर बीते छह दिन से धरने पर बैठीं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का हृदयस्पर्शी और मार्मिक चेहरा जिले में चर्चा का विषय बना है. दरअसल, धरने के दौरान भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपनी एक साथी की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगी हैं. साथी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कैंसर से पीड़ित है. उसके इलाज के लिए धरनास्थल पर ही चंदा किया जा रहा है. (Unique protest of anganwadi workers)

anganwadi workers
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
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Published : Mar 12, 2022, 1:32 PM IST

दमोह। मात्र दो हजार रुपए के मासिक मानदेय पर अपने परिवार का भरण- पोषण करने वाली जिले की सैकड़ों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पिछले 6 दिनों से कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठी हैं. उनकी सरकार से कुछ मांगे हैं. जिसको लेकर वह काफी मुखर हैं. लेकिन इस मुखरता की बीच उनका मार्मिक चेहरा भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, पथरिया ब्लॉक के पीपर खिरिया गांव में कल्पना श्रीवास्तव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन दिनों जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं. कल्पना को पिछले कुछ महीनों से सर्विक्स कैंसर (बच्चेदानी का कैंसर) की शिकायत है. कैंसर का इलाज कराने में मोटी रकम की जरूरत है. इसलिए कल्पना की मदद करने के लिए धरना स्थल पर ही आने-जाने वालों से चंदा जमा किया जा रहा है.

तीन ऑपरेशन करा चुकी हैं कल्पना, अब चौथे की तैयारी

कैंसर पीड़ित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कल्पना श्रीवास्तव ने अपना पहला ऑपरेशन जबलपुर में कराया था. डॉक्टर ने बच्चादानी तो निकाल दी लेकिन उसके बाद कैंसर बहुत तेजी से फैलने लगा. दूसरी बार फिर से डॉक्टर्स ने ऑपरेशन किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. तीसरी बार उन्होंने अपना ऑपरेशन दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में कराया. लेकिन कैंसर ठीक होने की बजाय नासूर बनकर लगातार शरीर में फैलता गया. अब स्थिति यह है की पेट के अधिकांश हिस्से में कैंसर फैल चुका है. डॉक्टर ने चौथी बार ऑपरेशन का परामर्श दिया है.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हाईकोर्ट से राहत, अब सिर्फ मूल काम पर फोकस करेंगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं

धरनास्थल पर रखी गुल्लक में रुपए डाल रहे हैं लोग

तीन ऑपरेशन में अपनी जमा पूंजी गंवा चुकी कल्पना के पास इतना पैसा नहीं है कि वह ऑपरेशन करा सकें. इस बात की जानकारी जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ को लगी तो उन्होंने अपनी बचत में से राशि देने के साथ ही लोगों से चंदा जुटाना शुरू कर दिया. हड़ताल के बीच वह आने वाले आगंतुकों व अन्य संगठनों से बार-बार यही अपील करती हैं कि उनकी साथी की जान बचाने के लिए सामने रखी गुल्लक में जो भी संभव हो राशि दानस्वरूप दें. इस मार्मिक अपील का लोगों पर असर भी हो रहा है. गुल्लक में हर आने वाला व्यक्ति रुपए जरूर डालता है.

पंजाब में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ा

कल्पना के परिवार की माली हालत खराब
कैंसर पीड़ित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कल्पना की माली हालत ठीक नहीं है. उनके पति टैक्सी ड्राइवर हैं. दो बेटियां हैं. बड़ी बेटी करीब 21 साल की है और वह शादी के लिए तैयार बैठी है. लेकिन मां की बीमारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है. दूसरी बेटी अभी अध्ययनरत है, लेकिन वह भी पढ़ाई नहीं कर पा रही है. अभी तक शासन की ओर से भी कोई सहयोग नहीं मिला है।
प्रशासन से अभी तक कोई मदद नहीं मिली

आंगनबाड़ी संघ की जिला अध्यक्ष शोभा तिवारी कहती हैं कि एक आंगनवाड़ी बहन कैंसर पीड़ित है. उनकी दो बच्चियां हैं. परिवार में कोई और नहीं है. उनका चौथा ऑपरेशन दिल्ली में होना है. इसी के लिए यह गुल्लक यहां पर रखी गई है. लोग आ रहे हैं और अपनी स्वेच्छा से राशि उसमें दान करते हैं. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी कोई मदद नहीं मिली है.
(Unique protest of anganwadi workers)

दमोह। मात्र दो हजार रुपए के मासिक मानदेय पर अपने परिवार का भरण- पोषण करने वाली जिले की सैकड़ों आंगनवाड़ी कार्यकर्ता पिछले 6 दिनों से कलेक्ट्रेट कार्यालय के सामने धरने पर बैठी हैं. उनकी सरकार से कुछ मांगे हैं. जिसको लेकर वह काफी मुखर हैं. लेकिन इस मुखरता की बीच उनका मार्मिक चेहरा भी देखने को मिल रहा है. दरअसल, पथरिया ब्लॉक के पीपर खिरिया गांव में कल्पना श्रीवास्तव आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इन दिनों जिंदगी और मौत से जूझ रही हैं. कल्पना को पिछले कुछ महीनों से सर्विक्स कैंसर (बच्चेदानी का कैंसर) की शिकायत है. कैंसर का इलाज कराने में मोटी रकम की जरूरत है. इसलिए कल्पना की मदद करने के लिए धरना स्थल पर ही आने-जाने वालों से चंदा जमा किया जा रहा है.

तीन ऑपरेशन करा चुकी हैं कल्पना, अब चौथे की तैयारी

कैंसर पीड़ित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कल्पना श्रीवास्तव ने अपना पहला ऑपरेशन जबलपुर में कराया था. डॉक्टर ने बच्चादानी तो निकाल दी लेकिन उसके बाद कैंसर बहुत तेजी से फैलने लगा. दूसरी बार फिर से डॉक्टर्स ने ऑपरेशन किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. तीसरी बार उन्होंने अपना ऑपरेशन दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में कराया. लेकिन कैंसर ठीक होने की बजाय नासूर बनकर लगातार शरीर में फैलता गया. अब स्थिति यह है की पेट के अधिकांश हिस्से में कैंसर फैल चुका है. डॉक्टर ने चौथी बार ऑपरेशन का परामर्श दिया है.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हाईकोर्ट से राहत, अब सिर्फ मूल काम पर फोकस करेंगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं

धरनास्थल पर रखी गुल्लक में रुपए डाल रहे हैं लोग

तीन ऑपरेशन में अपनी जमा पूंजी गंवा चुकी कल्पना के पास इतना पैसा नहीं है कि वह ऑपरेशन करा सकें. इस बात की जानकारी जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ को लगी तो उन्होंने अपनी बचत में से राशि देने के साथ ही लोगों से चंदा जुटाना शुरू कर दिया. हड़ताल के बीच वह आने वाले आगंतुकों व अन्य संगठनों से बार-बार यही अपील करती हैं कि उनकी साथी की जान बचाने के लिए सामने रखी गुल्लक में जो भी संभव हो राशि दानस्वरूप दें. इस मार्मिक अपील का लोगों पर असर भी हो रहा है. गुल्लक में हर आने वाला व्यक्ति रुपए जरूर डालता है.

पंजाब में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ा

कल्पना के परिवार की माली हालत खराब
कैंसर पीड़ित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कल्पना की माली हालत ठीक नहीं है. उनके पति टैक्सी ड्राइवर हैं. दो बेटियां हैं. बड़ी बेटी करीब 21 साल की है और वह शादी के लिए तैयार बैठी है. लेकिन मां की बीमारी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा है. दूसरी बेटी अभी अध्ययनरत है, लेकिन वह भी पढ़ाई नहीं कर पा रही है. अभी तक शासन की ओर से भी कोई सहयोग नहीं मिला है।
प्रशासन से अभी तक कोई मदद नहीं मिली

आंगनबाड़ी संघ की जिला अध्यक्ष शोभा तिवारी कहती हैं कि एक आंगनवाड़ी बहन कैंसर पीड़ित है. उनकी दो बच्चियां हैं. परिवार में कोई और नहीं है. उनका चौथा ऑपरेशन दिल्ली में होना है. इसी के लिए यह गुल्लक यहां पर रखी गई है. लोग आ रहे हैं और अपनी स्वेच्छा से राशि उसमें दान करते हैं. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी कोई मदद नहीं मिली है.
(Unique protest of anganwadi workers)

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