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जनप्रतिनिधि कर देते हैं समस्याओं को नजरअंदाज, बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी जूझ रहा है ये गांव - Lockdown 2.0

दमोह के सुजनीपुर पंचायत के साजिया गांव के ग्रामीण पिछले कई सालों से लॉकडाउन जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. यहां इतने सालों बाद भी साजिया गांव में सड़क और स्वच्छ पानी के लिए ग्रामीण किसी चमत्कार का इंतजार कर रहे हैं.

This village is still struggling for basic facilities
बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी जूझ रहा है ये गांव
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Published : Apr 17, 2020, 7:22 PM IST

Updated : Apr 17, 2020, 7:35 PM IST

दमोह। कोविड-19 के कारण देशभर में 3 मई तक लॉकडाउन का एलान किया गया है. हालांकि लॉकडाउन इसलिए लागू किया गया है ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. लेकिन लॉकडाउन से लोगों का घरों में रहकर बुरा हाल हो रहा है. लोग ना तो रोजगार के लिए बाहर जा पा रहे हैं और ना ही उनकी समस्या का निदान हो पा रहा है. ऐसा ही मामला दमोह के पथरिया जिले का है. जहां साजिया गांव के ग्रामीण सड़क, पानी और रोजगार के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी जूझ रहा है ये गांव

दमोह के पथरिया से 8 किलोमीटर की दूरी पर सुजनीपुर पंचायत के साजिया गांव के ग्रामीण कई सालों से लॉकडाउन जैसा जीवन को जीने को मजबूर है. क्योंकि गांव में ना तो सड़क है और ना पानी की व्यवस्था है.

ग्रामीणों का कहना है वे पिछले 15 सालों से प्रशासन को शिकायत और आवेदन दे चुके हैं कि गांव में बुनियादी सुविधा की जाए. लेकिन हजारों बार अर्जी लगाने के बाद भी आज तक गांव में सड़क नहीं बन सकी है. ग्रामीण महिला सुनीता रानी ने बताया कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी यहां किसी भी नहीं सुनते है. यहां रहने में बहुत ही दुश्वारियां है.

दमोह। कोविड-19 के कारण देशभर में 3 मई तक लॉकडाउन का एलान किया गया है. हालांकि लॉकडाउन इसलिए लागू किया गया है ताकि कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सके. लेकिन लॉकडाउन से लोगों का घरों में रहकर बुरा हाल हो रहा है. लोग ना तो रोजगार के लिए बाहर जा पा रहे हैं और ना ही उनकी समस्या का निदान हो पा रहा है. ऐसा ही मामला दमोह के पथरिया जिले का है. जहां साजिया गांव के ग्रामीण सड़क, पानी और रोजगार के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

बुनियादी सुविधाओं के लिए आज भी जूझ रहा है ये गांव

दमोह के पथरिया से 8 किलोमीटर की दूरी पर सुजनीपुर पंचायत के साजिया गांव के ग्रामीण कई सालों से लॉकडाउन जैसा जीवन को जीने को मजबूर है. क्योंकि गांव में ना तो सड़क है और ना पानी की व्यवस्था है.

ग्रामीणों का कहना है वे पिछले 15 सालों से प्रशासन को शिकायत और आवेदन दे चुके हैं कि गांव में बुनियादी सुविधा की जाए. लेकिन हजारों बार अर्जी लगाने के बाद भी आज तक गांव में सड़क नहीं बन सकी है. ग्रामीण महिला सुनीता रानी ने बताया कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी यहां किसी भी नहीं सुनते है. यहां रहने में बहुत ही दुश्वारियां है.

Last Updated : Apr 17, 2020, 7:35 PM IST
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