दमोह। नगर पालिका चुनाव में मिली सफलता के बाद कांग्रेस उत्साहित है. इस जीत ने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है. तो वहीं दूसरी तरफ टीएसएम भी किंगमेकर के रूप में उभर कर सामने आई है. टीएसएम प्रमुख सिद्धार्थ मलैया ने साफ कर दिया है कि जो दमोह के विकास की बात करेगा उसे अपना समर्थन देंगे. अब चाहे वह कांग्रेस के अलावा भाजपा ही क्यों न हो. कांग्रेस जीत के बाद अब सरकार बनाने के लिए उत्साहित दिखाई दे रही है. लेकिन भाजपा और कांग्रेस के सामने एक बड़ा संकट है. वह संकट यह है कि निर्दलीय कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते और भाजपा टीएसएम से समर्थन मांग नहीं सकती. ऐसी में किसकी सरकार बनेगी और कौन होगा अध्यक्ष इसको लेकर भी जोड़ -तोड़ की राजनीति शुरू हो गई है.
नगरपालिका अध्यक्ष पद के दावेदार : पूर्व नगरपालिका उपाध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरेंद्र राय की धर्मपत्नी मंजू राय अध्यक्ष पद की प्रबल दावेदार हैं. दूसरी ओर सिविल वार्ड 6 से चुनाव जीतने वाली सुषमा विक्रम सिंह भी वरिष्ठता के आधार पर अध्यक्ष पद की दौड़ में हैं. इधर भाजपा भी इसी तरह सरकार बनाने के सपने देख रही है. भाजपा से बजरिया वार्ड 7 से चुनाव जीतने वाली कविता राय तथा मांगंज वार्ड 2 से जीते विक्रांत गुप्ता भी अध्यक्ष पद की दावेदारी कर रहे हैं.
कांग्रेस और भाजपा के सामने समस्या : भाजपा के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि सरकार बनाने के लिए उसके पास बहुमत का अभाव है. भाजपा को दो निर्दलीय और एक बसपा पार्षद का समर्थन तो मिल सकता है, लेकिन टीएसएम से समर्थन मांगने में बड़ी कठिनाई है. दरअसल मांगंज वार्ड 5 से जीते बजरंग दल के संयोजक निर्दलीय प्रत्याशी कृष्णा तिवारी तथा इकबाल भाजपा से टिकट न मिलने के कारण निर्दलीय चुनाव लड़े थे और दोनों ही विजयी हुए. यह दोनों प्रत्याशी कांग्रेस को समर्थन देंगे ऐसे आसार बहुत कम हैं. ठीक यही संकट भाजपा के सामने भी है. वह निर्दलीय और बसपा का समर्थन ले सकती है लेकिन उसके बाद भी बहुमत के लिए 3 और पार्षदों के समर्थन की जरूरत होगी. जो टीएसएम से ही मिल सकते हैं. लेकिन भाजपा टीएसएम से समर्थन मांग नहीं सकती. क्योंकि टीएसएम के कारण ही भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा है.
कैसे बन सकती है सरकार : कांग्रेस को समर्थन के लिए मात्र 3 पार्षदों की जरूरत है. जबकि टीएसएम के पास 5 पार्षद हैं. ऐसे में अध्यक्ष पद कांग्रेस तथा उपाध्यक्ष पद टीएसएम की झोली में जा सकता है. एक या दो पार्षदों को सभापति भी बनाया जा सकता है. सिद्धार्थ मलैया कांग्रेस को सशर्त समर्थन देकर उसकी सरकार बनवा सकते हैं. उपाध्यक्ष पद के लिए नया बाजार नंबर 1के पार्षद कपिल सोनी को चुना जा सकता है. लेकिन इन सब के बाद भी एक रोड़ा और है और वह ये कि टीएसएम ने पहले ही दिन यह साफ कर दिया था कि वह भ्रष्टाचार और अपराध मुक्त नगरपालिका चाहती है. ऐसे में दोनों दलों का गठबंधन कब तक टिका रहेगा यह कहना मुश्किल है.
सिद्धार्थ के लिए विधानसभा का सेमीफाइनल : टीएसएम प्रमुख सिद्धार्थ मलैया कहते हैं कि वह दमोह के विकास के लिए समर्थन देंगे, जो दमोह के विकास की बात करेगा उसे समर्थन देंगे. अपेक्षित सफलता न मिलने पर वह कहते हैं कि जब हम हम चुनाव लड़ते हैं जनता के बीच जाते हैं तो सत्ता के लिए ही जाते हैं. परंतु हमें जो सीटें मिली जो वोट मिले वह भी बहुत हैं. इससे हम निराश नहीं हैं बहुत उत्साहित भी नहीं है लेकिन हम प्रेरित हैं. 5 साथी जीतकर आए हैं. 11-12 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे हैं. यह शुरुआत है. कांग्रेस या भाजपा को समर्थन देने के संबंध में सिद्धार्थ कहते हैं कि इस पर सब बैठकर बात करेंगे. सिद्धार्थ 2023 के विधानसभा चुनाव पर दो टूक कहते हैं कि वह चुनाव लड़ेंगे. किसी पार्टी के मैंडेट से चुनाव लड़ेंगे या अकेले लड़ेंगे यह उस समय देखेंगे.
किसी के समर्थन से परहेज नहीं : भाजपा के जिला अध्यक्ष प्रीतम सिंह लोधी कहते हैं कि निर्दलीय और टीएसएम के कारण उन्हें नुकसान हुआ है, लेकिन जो 14 सीट मिली हैं, जितना वोट भी पार्टी को मिला है जो लोग चुनाव जीत कर आए हैं वह कार्यकर्ताओं की मेहनत और पार्टी का विशुद्ध वोट है. कार्यकर्ताओं ने मेहनत की सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाया है. बिना किसी चेहरे के चुनाव लड़ा है. उसी का यह परिणाम है. आगे वह कहते हैं कि एक अच्छे व्यक्तित्व का अध्यक्ष चुनने के लिए भारतीय जनता पार्टी तैयार है। यदि कोई हमें समर्थन दे रहा है तो जैसी परिस्थितियां होंगी जो नेतृत्व तय करेगा तो हमें किसी से समर्थन लेने में कोई परहेज नहीं है.
सरकार कांग्रेस ही बनाएगी : कांग्रेस विधायक अजय टंडन कहते हैं कि हमारा जो अनुमान था लगभग उसी के आसपास हमें सीटें मिली हैं. हमारा वोट बैंक प्रतिशत के आधार पर बढ़ा है. जनमत कांग्रेस के पास है तो निश्चित रूप से दमोह की जनता यह तय कर चुकी है कि अध्यक्ष कांग्रेस का बनेगा. हमको जीतने के लिए 3 सीटों की जरूरत है जबकि भाजपा बहुमत से बहुत दूर है उसे 6 सीटों की आवश्यकता है. एक तरफ केंद्रीय मंत्री, दो कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त लोगों ने चुनाव लड़ा है. लेकिन कांग्रेस में केवल वह और उनका संगठन ही था, जिसने चुनाव लड़ा है. उसके बाद भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. (Semifinal election for Siddharth Malaiya) (Malaiya not avoiding support to BJP) (In Damoh manipulation for power started)