दमोह। बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में पथरिया विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह को करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए, गोविंद सिंह और उसके परिजनों को मिली सभी जमानत निरस्त कर दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार पर तीखी टिप्पणी भी की है.
मार्च 2019 में देवेन्द्र चौरसिया की हत्या की गई थी. इस मामले में विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह समेत उसके परिजनों को नामजद आरोपी बनाया गया था. इस मामले में देवेन्द्र चौरसिया ने बेटे ने आरोपियों की पूर्व मामलों में मिली जमानतों को निरस्त करने की याचिका दायर की थी. इसी मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामबाई के पति और उसके परिजनों को पूर्व के मामलों में मिली सभी जमानतों को रद्द किया है.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यह भी जानकारी दी गई कि इस मामले में दमोह के तत्कालीन एसपी हेमंत चौहान पर आरोपी पक्ष का बचाव करने और हटा न्यायालय को प्रभावित करने की कोशिश के आरोप लग चुके हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार पर भी तीखी टिप्पणी की है.
बसपा विधायक रामबाई सिंह के पति की जमानत याचिका खारिज
देवेन्द्र चौरसिया के बेटे की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी गोविंद सिंह को राजेन्द्र पाठक हत्याकांड, पाठक परिवार के तिहरे हत्याकांड, सतपारा लूट कांड में मिली सबी जमानतों को निरस्त किया है. यह सभी जमानते गोविंद सिंह के हाईकोर्ट जबलपुर से मिली थी. अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एमपी सरकार को कहा है कि सरकार आम आदमी और रसूखदार व्यक्तियों के संबंध में कानून के दोहरे मापदंड का इस्तेमाल नहीं कर सकती है.
गोविंद सिंह की पुलिस रिमांड के सवाल पर 'कन्नी' क्यों काट रहे हैं आईजी
जज को धमकी देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिला अदालतें न्यायालय स्तर की हमारी प्राथमिक संस्थाएं है और उनके पीटासीन को प्रभावित किया जाना किसी स्तर पर स्वीकार्य नहीं हो सकता. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन हटा जज को सुरक्षा मुहैया करवान और तत्कालीन एसपी के विषयों पर जांच करने के लिए हाईकोर्ट चीफ जस्टिस को अधिकृत किया है.