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'मौत का दरिया' पारकर स्कूल जाने को मजबूर हैं छात्र, जिम्मेदार हैं बेसुध - लोग अपनी जान जोखिम में डालकर पुल पार करते हैं

पथरिया विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव में पक्का पुल नहीं होने के कारण छात्र और ग्रामीण जान हथेली पर लेकर लकड़ी का पुल पार कर रहे हैं.

'मौत का दरिया' पारकर स्कूल जाने को मजबूर हैं छात्र
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Published : Jul 12, 2019, 3:29 PM IST

दमोह। उज्ज्वल भविष्य के लिए पढ़ना जरूरी है और पढ़ने के लिए स्कूल जाना जरूरी, लेकिन मौत का दरिया पारकर कैसे पढ़ें हम, ये सवाल छात्रों के मन में बना हुआ है. यह तस्वीरें हैं दमोह जिले के पथरिया की, जहां के छात्र और रहवासी हर बारिश में पिछले कई सालों से जान हथेली पर लेकर इसी तरह आना-जाना करते हैं. प्रदेश में हुई बारिश के बाद कई जिलों में नदी-नाले उफान पर हैं. रहवासी इलाके से गुजरने वाले नाले पर स्थायी पुल नहीं होने के कारण लोग इसी तरह लकड़ी का पुल बनाकर नाला पार करने को मजबूर हैं.

'मौत का दरिया' पारकर स्कूल जाने को मजबूर हैं छात्र

यह तस्वीर देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के आने वाले भविष्य की जान पर किस तरह खतरा मंडरा रहा है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि वह हर रोज इसी तरह अपनी जान को जोखिन में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं और अगर ऐसे में कोई बड़ा हदासा होता है, तो इसकी जिम्मदारी शासन-प्रशासन की होगी. सरकार छात्रों और विकास को लेकर कई दावे करती है, ऐसे में यह तस्वीरें दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.

पथरिया विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव के ग्रामीणों का कहना है कि करीब 10 सालों से इस इलाके से बहने वाले नाले पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासन के लोग भी उनकी मांगों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं, ऐसे में हर बारिश में पूरे गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी का पुल पार करते हैं. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि वोट मांगने के लिए आने वाले नेता समस्या का समाधान करने का आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादे भूल जाते हैं.

वहीं प्रशासन भी बारिश के दिनों में समस्या के समाधान का आश्वासन देता है. पर नाले में पानी कम होते ही सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती है. देखना होगा विकास के दावों की पोल खोलती इस तस्वीर के सामने आने के बाद प्रशासन किस तरह कार्रवाई करता है.

दमोह। उज्ज्वल भविष्य के लिए पढ़ना जरूरी है और पढ़ने के लिए स्कूल जाना जरूरी, लेकिन मौत का दरिया पारकर कैसे पढ़ें हम, ये सवाल छात्रों के मन में बना हुआ है. यह तस्वीरें हैं दमोह जिले के पथरिया की, जहां के छात्र और रहवासी हर बारिश में पिछले कई सालों से जान हथेली पर लेकर इसी तरह आना-जाना करते हैं. प्रदेश में हुई बारिश के बाद कई जिलों में नदी-नाले उफान पर हैं. रहवासी इलाके से गुजरने वाले नाले पर स्थायी पुल नहीं होने के कारण लोग इसी तरह लकड़ी का पुल बनाकर नाला पार करने को मजबूर हैं.

'मौत का दरिया' पारकर स्कूल जाने को मजबूर हैं छात्र

यह तस्वीर देखकर आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि देश के आने वाले भविष्य की जान पर किस तरह खतरा मंडरा रहा है. छात्र-छात्राओं का कहना है कि वह हर रोज इसी तरह अपनी जान को जोखिन में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं और अगर ऐसे में कोई बड़ा हदासा होता है, तो इसकी जिम्मदारी शासन-प्रशासन की होगी. सरकार छात्रों और विकास को लेकर कई दावे करती है, ऐसे में यह तस्वीरें दावों की पोल खोलती नजर आ रही है.

पथरिया विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव के ग्रामीणों का कहना है कि करीब 10 सालों से इस इलाके से बहने वाले नाले पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासन के लोग भी उनकी मांगों को नजरअंदाज करते आ रहे हैं, ऐसे में हर बारिश में पूरे गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लकड़ी का पुल पार करते हैं. साथ ही ग्रामीणों का कहना है कि वोट मांगने के लिए आने वाले नेता समस्या का समाधान करने का आश्वासन देते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही वादे भूल जाते हैं.

वहीं प्रशासन भी बारिश के दिनों में समस्या के समाधान का आश्वासन देता है. पर नाले में पानी कम होते ही सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती है. देखना होगा विकास के दावों की पोल खोलती इस तस्वीर के सामने आने के बाद प्रशासन किस तरह कार्रवाई करता है.

Intro:मध्य प्रदेश में विकास की पोल खोल दी तस्वीर लकड़ी के पुल को पारकर स्कूल पहुंचते हैं बच्चे

कई सालों से ग्रामीण हो रहे परेशान लगाते रहे गुहार नहीं हो पाया समस्या और समाधान

दमोह. जिले के पथरिया विकासखंड के अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव के लोग आज भी कई सालों के बाद समस्याओं से जूझ रहे हैं. बारिश के दौरान जब नाले में पानी आ जाता है तो इस नाले को पार करने के लिए गांव के लोगों को लकड़ी के पुल का सहारा लेना पड़ता है. अस्थाई रूप से बनाया गया यह पुल लोगों को जान का जोखिम पैदा कर देता है. इसके बावजूद हर दिन ही लोगों को यहां से निकलने मजबूर होना पड़ता है.


Body: दमोह में विकास की संभावनाओं को तलाशना ही बेमानी साबित हो रहा है. यही कारण है कि दमोह जिले के अनेक गांव में रहने वाले लोग बारिश के दिनों में अनेक समस्याओं से जूझ कर परेशान हो रहे हैं. मामला जिले के पथरिया विकासखंड अंतर्गत आने वाले पिपरिया गांव का है. जहां पर रहने वाले लोग मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जी रहे हैं. इस गांव के लोगों को हर दिन ही पथरिया आने के लिए लकड़ी के अस्थाई बने पुल को पार करना पड़ता है. इसके अलावा गांव से स्कूल के लिए जाने वाले बच्चों को भी परेशानियां होती हैं. जान जोखिम में डालकर यह बच्चे अपने परिजनों के साथ नाले को पार करते हैं. अपनी साइकिल भी इसी नाले से निकाल कर स्कूल पहुंचते हैं. ऐसे हालात में समस्याओं का समाधान नहीं होने से जहां बच्चे प्रशासन को कोस रहे हैं. वहीं गांव के लोग भी इसके लिए शासन-प्रशासन को ही जिम्मेदार बता रहे हैं.

बाइट स्थानीय स्कूली बच्चा

बाइट स्थानीय निवासी

बाइट भारती मिश्रा एसडीएम पथरिया


Conclusion:गांव के लोगों का कहना है कि करीब 10 सालों से भी लोग अपने गांव को जाने वाले रास्ते में बने नाले को पार करने के लिए पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ प्रशासन के लोग भी उनकी मांगों को नजर अंदाज करते हुए हर बारिश में पूरे गांव के लोगों की जान को जोखिम में डालते हैं. गांव के लोगों का कहना है कि वोट मांगने के लिए आने वाले नेता समस्या का समाधान करने का आश्वासन देते हैं. लेकिन चुनाव होते ही वादे भूल जाते हैं. वहीं प्रशासन भी बारिश के दिनों में समस्या के समाधान का आश्वासन देता है. पर नाले में पानी कम होते ही सारी समस्याएं अपने आप खत्म हो जाती है. देखना होगा विकास के दावों की पोल खोलती इस तस्वीर के सामने आने के बाद प्रशासन किस तरह कार्रवाई करता है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह

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