दमोह। कोरोना ने लोगों को बेबस और काम-धंधे को चौपट कर दिया है. लॉकडाउन के दौरान जिले में करोड़ों का कारोबार ठप हो गया. कोरोना से बचाव को लेकर लगातार लगाए गए लॉकडाउन ने बाजार को बेदम कर दिया है. खासकर स्टेशनरी शॉप संचालकों की कमर टूट गई है. क्योंकि जब स्कूलों की परीक्षा शुरू होने वाली थी, तभी लॉकडाउन लग गया. जिसके चलते इन दुकानदारों की परीक्षा संबंधी सामग्री बिक नहीं पाई. इससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा.
सूनीं पड़ीं स्टेशनरी की दुकानें
अप्रेल महीने से कई प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में नए क्लासेस शुरू हो जातीं थीं. स्टूडेंट समर क्लासेस में आगामी तैयारियों में जुट जाते थे. जिसके लिए उन्हें स्टडी मटेरियल और स्टेशनरी जैसे कॉपी-किताबों की जरूरत पड़ती थी.लेकिन कोरोना काल की वजह से ये तमाम गतिविधियां थम गईं. जिसका परिणाम ये रहा है कि स्टेशनरी की दुकानें सूनीं पड़ीं रहीं.
अनलॉक के बाद भी हालात खराब
शहरी क्षेत्रों के साथ ग्रामीण अंचलों में दुकानदारों को और ज्यादा नुकसान हुआ है. दुकानों में रखा लाखों का सामान अब वापस भी नहीं होना है. इसके अलावा जुलाई से शुरू होने वाला स्कूल-कॉलेज का सत्र स्टेशनरी संचालकों के लिए गोल्डन टाइम होता था. इस समय में सबसे ज्यादा बिक्री होती थी. लेकिन कोरोना के चलते सब कुछ बर्बाद हो गया है.
स्टेशनरी शॉप संचलकों की टूटी कमर
कोरोना से जंग के लिए बार-बार लगाए गए लॉकडाउन ने स्टेशनरी व्यवसायियों की कमर तोड़ दी है. सभी की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है.दुकानदारों को दुकान का किराया, बिजली बिल, स्टाफ की सैलरी और बैंक का ब्याज तक का खर्च नहीं निकल पा रहा है. अनलॉक के बाद कुछ उम्मीद जागी है. लेकिन फिर भी बाजार को मिले इस झटके से उबरने में काफी लंबा वक्त लग सकता है.