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उपचुनाव से पहले घमासामनः कांग्रेस के बागी और बीजेपी कार्यकर्ता के बीच छिड़ी लड़ाई - Congress rebel

दमोह विधानसभा उपचुनाव के लिए अभी अधिसूचना जारी नहीं हुई है. मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की प्रत्याशी घोषणा के बाद से दमोह में राजनीतिक हालात तेजी से बदल रहे हैं. चुनाव के पहले ही लड़ाई धरातल की बजाय सोशल मीडिया पर तेज हो गई है.

Jayant Malaiya with former Agriculture Minister Dr. Ramakrishna Kusmaria
पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के साथ जयंत मलैया
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Published : Mar 6, 2021, 8:34 PM IST

दमोह। जिले में तेजी से बदलते राजनीतिक हालातों के बीच दमोह विधानसभा का उपचुनाव कैसा होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा के बाद राजनीतिक ध्रुवीकरण हुआ है, और सोशल मीडिया पर युद्ध लड़ा जा रहा है. उससे इतना तो तय हो गया है कि आने वाले समय में घमासान होग. पूरे मामले में अब राजनीतिक दलों के साथ आमजन भी इसमें शामिल हो गए हैं.

Jayant Malaiya with former Agriculture Minister Dr. Ramakrishna Kusmaria
पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के साथ जयंत मलैया
  • पोस्टर वार में बदल गई लड़ाई

दरअसल दमोह में कांग्रेस से आए बागी नेता राहुल सिंह और बीजेपी के पुराने नेता आपस में भीड़ गए है. दो गुटों में बटी भाजपा के बीच की लड़ाई अंदरूनी न होकर पोस्टर वार में बदल गई है. ऐसे में भला कांग्रेस कार्यकर्ता कैसे पीछे रहने वाले हैं. वह भी इसमें कूद पड़े है. कल तक जो लोग जयंत मलैया का विरोध कर रहे थे, अब वह भी उनके समर्थन में आ गए हैं. अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल सिंह के विरोध में जयंत मलैया का समर्थन कर रहे हैं. इसमें भी कुछ जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया को बीजेपी से टिकट का प्रबल दावेदार मान रहे हैं. दूसरी ओर राहुल सिंह के पक्ष में प्रहलाद पटेल के कुनवे से जुड़े लोग भी सक्रिय हैं. जो व्हाट्सएप और फेसबुक पर दिन में कई बार अपडेट दे रहे हैं.

Fight erupted on social media
सोशल मीडिया पर छिड़ी लड़ाई
  • क्या गुल खिलाएगी जुगलबंदी?

पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के द्वारा चुनाव के ठीक पहले आशीर्वाद यात्रा निकालना और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होना कहीं न कहीं इस बात के संकेत हैं कि वह शांत बैठने वालों में से नहीं है. वह 3 दिन पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में शामिल हुए. जिसमें भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने उनका स्वागत किया और अपना संरक्षक भी बना लिया. इसके ठीक 2 दिन बाद यानी सोमवार को कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह में जिस तरह से युवा नेता अभिषेक भार्गव और सिद्धार्थ मलैया की जुगलबंदी के बीच शक्ति प्रदर्शन और स्वागत समारोह हुआ, उससे संदेश देने की कोशिश की गई है कि अभी भी वक्त है प्रत्याशी बदल दो.

Posts in support of Siddharth Malaiya
सिद्धार्थ मलैया के समर्थन में पोस्ट

दमोह: वोटरों को साधने में जुटे राहुल सिंह

  • इस यात्रा के क्या है मायने?

सिद्धार्थ मलैया आशीर्वाद यात्रा के पूर्व जयंत मलैया के घुर विरोधी रहे पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया से आशीर्वाद लेना नहीं भूले. इसके पहले कुसमरिया और जयंत मलैया के बीच नजदीकियां उस समय बढ़ गई थी जब 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे.

Post on medical college
मेडिकल कॉलेज पर पोस्ट
  • सोशल मीडिया पर घमासान

हाल ही में फेसबुक पर विद्रोही दमोह के नाम से एक पोस्ट डाली गई. जिसमें राहुल सिंह पर स्याही फेंकने वाले दृगपाल लोधी को कांग्रेस का संभावित प्रत्याशी बता दिया. एक अन्य व्यक्ति ने एक ग्रुप पर पोस्ट किया कि, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी अभी भी वक्त है विचार कर लो. घोषणा के बाद कुर्सियां खाली तो आप के पंडाल में हुई थी. इसी तरह कांग्रेस आईटी सेल से जुड़े नील श्याम सोनी ने एक पोस्ट डाली जिसमें लिखा जहां न मलैया, कुसमरिया बाबा जी, न लखन पटेल, न दस्सू वहां तुम अपना भविष्य संवारने चले हो. छुट भैया. यह पोस्ट राहुल सिंह के दल बदलने की कारण उनके विरोध में थी. इसी तरह विवेक कुकरेजा और देवेंद्र जैन ने मेडिकल कॉलेज को छलावा बताया है.

इस राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच अभी लोधी समाज भी राहुल सिंह के पक्ष में एक मत होते नहीं दिख रहे हैं. यदि कोई कद्दावर लोधी नेता निर्दलीय या कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ता है तो इसमें नुकसान राहुल सिंह का ही होना है. उस पर पार्टी की अंदरूनी कलह और भीतरघात का कितना असर होगा यह देखना भी दिलचस्प होगा.

दमोह। जिले में तेजी से बदलते राजनीतिक हालातों के बीच दमोह विधानसभा का उपचुनाव कैसा होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा के बाद राजनीतिक ध्रुवीकरण हुआ है, और सोशल मीडिया पर युद्ध लड़ा जा रहा है. उससे इतना तो तय हो गया है कि आने वाले समय में घमासान होग. पूरे मामले में अब राजनीतिक दलों के साथ आमजन भी इसमें शामिल हो गए हैं.

Jayant Malaiya with former Agriculture Minister Dr. Ramakrishna Kusmaria
पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया के साथ जयंत मलैया
  • पोस्टर वार में बदल गई लड़ाई

दरअसल दमोह में कांग्रेस से आए बागी नेता राहुल सिंह और बीजेपी के पुराने नेता आपस में भीड़ गए है. दो गुटों में बटी भाजपा के बीच की लड़ाई अंदरूनी न होकर पोस्टर वार में बदल गई है. ऐसे में भला कांग्रेस कार्यकर्ता कैसे पीछे रहने वाले हैं. वह भी इसमें कूद पड़े है. कल तक जो लोग जयंत मलैया का विरोध कर रहे थे, अब वह भी उनके समर्थन में आ गए हैं. अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे कांग्रेस के कार्यकर्ता राहुल सिंह के विरोध में जयंत मलैया का समर्थन कर रहे हैं. इसमें भी कुछ जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया को बीजेपी से टिकट का प्रबल दावेदार मान रहे हैं. दूसरी ओर राहुल सिंह के पक्ष में प्रहलाद पटेल के कुनवे से जुड़े लोग भी सक्रिय हैं. जो व्हाट्सएप और फेसबुक पर दिन में कई बार अपडेट दे रहे हैं.

Fight erupted on social media
सोशल मीडिया पर छिड़ी लड़ाई
  • क्या गुल खिलाएगी जुगलबंदी?

पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया के द्वारा चुनाव के ठीक पहले आशीर्वाद यात्रा निकालना और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होना कहीं न कहीं इस बात के संकेत हैं कि वह शांत बैठने वालों में से नहीं है. वह 3 दिन पहले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के कार्यक्रम में शामिल हुए. जिसमें भारी संख्या में उपस्थित लोगों ने उनका स्वागत किया और अपना संरक्षक भी बना लिया. इसके ठीक 2 दिन बाद यानी सोमवार को कोरोना योद्धाओं के सम्मान समारोह में जिस तरह से युवा नेता अभिषेक भार्गव और सिद्धार्थ मलैया की जुगलबंदी के बीच शक्ति प्रदर्शन और स्वागत समारोह हुआ, उससे संदेश देने की कोशिश की गई है कि अभी भी वक्त है प्रत्याशी बदल दो.

Posts in support of Siddharth Malaiya
सिद्धार्थ मलैया के समर्थन में पोस्ट

दमोह: वोटरों को साधने में जुटे राहुल सिंह

  • इस यात्रा के क्या है मायने?

सिद्धार्थ मलैया आशीर्वाद यात्रा के पूर्व जयंत मलैया के घुर विरोधी रहे पूर्व कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया से आशीर्वाद लेना नहीं भूले. इसके पहले कुसमरिया और जयंत मलैया के बीच नजदीकियां उस समय बढ़ गई थी जब 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे.

Post on medical college
मेडिकल कॉलेज पर पोस्ट
  • सोशल मीडिया पर घमासान

हाल ही में फेसबुक पर विद्रोही दमोह के नाम से एक पोस्ट डाली गई. जिसमें राहुल सिंह पर स्याही फेंकने वाले दृगपाल लोधी को कांग्रेस का संभावित प्रत्याशी बता दिया. एक अन्य व्यक्ति ने एक ग्रुप पर पोस्ट किया कि, माननीय मुख्यमंत्री शिवराज जी अभी भी वक्त है विचार कर लो. घोषणा के बाद कुर्सियां खाली तो आप के पंडाल में हुई थी. इसी तरह कांग्रेस आईटी सेल से जुड़े नील श्याम सोनी ने एक पोस्ट डाली जिसमें लिखा जहां न मलैया, कुसमरिया बाबा जी, न लखन पटेल, न दस्सू वहां तुम अपना भविष्य संवारने चले हो. छुट भैया. यह पोस्ट राहुल सिंह के दल बदलने की कारण उनके विरोध में थी. इसी तरह विवेक कुकरेजा और देवेंद्र जैन ने मेडिकल कॉलेज को छलावा बताया है.

इस राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच अभी लोधी समाज भी राहुल सिंह के पक्ष में एक मत होते नहीं दिख रहे हैं. यदि कोई कद्दावर लोधी नेता निर्दलीय या कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ता है तो इसमें नुकसान राहुल सिंह का ही होना है. उस पर पार्टी की अंदरूनी कलह और भीतरघात का कितना असर होगा यह देखना भी दिलचस्प होगा.

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