दमोह। हटा के बहुचर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड केस में बसपा विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार की गिरफ्तारी को लेकर दिनभर से चली आ रही कवायदों के बीच पुलिस पूरे मामले को छिपाने में लगी है. ग्वालियर से दमोह के हटा एडीजे कोर्ट भारी सुरक्षा के बीच लाये गए गोविंद सिंह को मीडिया से दूर रखा गया. वहीं पुलिस और एसटीएफ के आला अधिकारी पूरे मामले को दबाने में लगे हैं. दिन भर मीडिया से कन्नी काटते रहे पुलिस और एसटीएफ के अधिकारी सामने नहीं आये.
सवालों से कन्नी काटते नजर आए आईजी
वहीं देर रात सागर रेंज के आईजी अनिल शर्मा सामने आए, लेकिन वो भी सवालों के जवाब देने से बचते रहे. आईजी की दहशत इस कदर दिखी की वो चर्चित मामले को अपनी जुबान से बोल भी नहीं पाए. बल्कि बोले कि हटा के एक मामले में गोविंद फरार था. आईजी अनिल शर्मा ये भी साफ नहीं कर पाए कि गोविंद सिंह परिहार पकड़ा गया है या उसने आत्मसमर्पण किया है. गोविंद सिंह परिहार के सर पर पचास हजार का इनाम घोषित है, लेकिन इस इनाम का क्या होगा इसका सही जवाब आईजी अनिल शर्मा के पास नहीं है.
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5 अप्रैल से पहले ही गोविंद सिंह परिहार सरेंडर
एसटीएफ और पुलिस बल की बीस टीमें लगातार गोविंद सिंह परिहार की तलाश कर रही थी लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा, फिर सुप्रीम कोर्ट ने सूबे के डीजीपी और दमोह के एसपी को फटकार लगाई तो गोविंद सिंह परिहार पांच अप्रैल के पहले ही सरेंडर हो गया. बात यहीं खत्म नहीं होती बल्कि एक जिम्मेदार अधिकारी को ये भी नहीं पता कि हटा कोर्ट ने गोविंद सिंह परिहार को कितने दिनों की पुलिस रिमांड पर सौंपा है.
मीडिया से बचती रही पुलिस
इस पूरे नाटकीय घटनाक्रम ने पुलिस की किरकिरी जरूर की है. इसके साथ ही एसटीएफ और जबलपुर की टीमें गोविंद सिंह परिहार को हटा एडीजे कोर्ट में पेश करने लाई थी. जिसमें एसटीएफ की डीएसपी रोशनी ठाकुर, ललित कश्यप सहित पुलिसकर्मी मीडिया से दूरी बनाए रहे और कुछ भी जानकारी साझा करने से बचते रहे. वहीं जिस तरह पुलिस और एसटीएफ के अधिकारी सच्चाई सार्वजनिक करने से कतरा रहे हैं, उससे पुलिस की भूमिका पर सवालिया निशान जरूर लग रहे हैं.