दमोह। जिले में हरियाली बढ़ाने के लिए पौधरोपण के नाम पर किया गया फॉरेस्ट विभाग का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है. विभाग ने साल 2015 -16 से लेकर 2021 तक में हरियाली बढ़ाने के फॉरेस्ट एरिया में करोड़ों रुपए की लागत से प्लांटेशन करवाया था. इस दौरान एक बड़े इलाके में सूखे पेड़ों और टहनियों को ही गड्डों में गाड़ दिया गया. जिससे कुछ समय बाद ही ये पौधे पूरी तरह से सूख गए. 10 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन आज यहां सिर्फ 15 फीसदी पेड ही नजर आते हैं जो विभाग द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की कहानी कह रहे हैं.
जहां होनी थी हरियाली, वहां नजर आता है मैदान
करोड़ों रुपए की लागत से दमोह फॉरेस्ट रेंज में प्लांटेशन करवाया गया था. आज यहां हरियाली की जगह मैदान नजर आता है. पौधे लगाए जाने की कोई नामोनिशान तक नजर नहीं आता है.वन मंडल दमोह जिले के 8 वन परिक्षेत्रों में 10 लाख पौधे रोप रहा है, लेकिन विभाग अपने पहले लगाए हुए पौधों की कोई सुध नहीं ले रहा है. 10 लाख पौधे लगाए जाने का जो लक्ष्य रखा गया है उसमें से महज 15 फीसदी ही पौधे पेड़ बन पाए हैं बाकी जगह जहां पौधे लगाए गए थे वहां गड्डे खाली पड़े हैं. खास बात यह है कि उन गड्डों के पास ही नए गड्डे खोद कर फिर से प्लांटेशन किया जा रहा है.
5 करोड़ की लागत से लग रहे हैं 10 लाख पौधे
दमोह के फॉरेस्ट रेंज में बीते 5 सालों में 5 करोड़ रुपए खर्च करके 10 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया था. इन पौधों को वन परिक्षेत्र दमोह,हटा,तेंदूखेड़ा,झालोंन,तारादेही,सिग्रामपुर,तेजगढ़,सगोनी में लगाया जाना था, लेकिन फॉरेस्ट विभाग का यह लक्ष्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है. वन विभाग ने सिर्फ सूखे पौधों का ही पौधरोपण नहीं कराया बल्कि देखरेख के अभाव में करोड़ों के पौधे मवेशी खा गए जबकि बड़ी संख्या में पौधे पेड़ बनने से पहले ही नष्ट हो चुके हैं. विभाग के अफसरों के पास अब इस बात का भी कोई जवाब नहीं है कि पहले से लगाए गए पौधों को जमीन निगल गई या आसमान.
कागजों में खूब बढ़ी हरियाली
भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबहा वन विभाग न सिर्फ सूखे पौधों का प्लानटेशन करा चुका है बल्कि उन पौधों की टेंकरों के माध्यम से सिंचाई किए जाने के भी लाखों रुपए के बिलों का भुगतान पर ले चुका है, हालांकि यह सबकुछ कागजों पर ही हुआ है और दमोह के वन क्षेत्र की बजाए कागजों पर हरियाली भी खूब बढ़ी है. ईटीवी भारत आपको दमोह के सभी 8 फॉरेस्ट रेंज की हकीकत दिखा रहा है. तस्वीरों में नजर आने वाले खाली मैदानों और खाली गड्डों को देखकर यही कहा जा सकता है कि अबतक लगाए गए पेड़ों में से अगर आधे पेड़ों को भी जिंदा रखने की कोशिश की गई होती तो दमोह फॉरेस्ट रेंज की हर खाली जगह हरे-भरे पेड़ों से भर चुकी होती.