दमोह। पितृपक्ष के मौके पर जिले के अलग-अलग तालाबों पर परंपरा के अनुसार पितरों को तर्पण किया जा रहा है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग अलसुबह ही घाटों में पहुंचकर शासकीय नियमों का पालन करते हुए पितरों को तर्पण कर रहे हैं. इस दौरान पंडितों द्वारा घाटों पर पिंडदान और पूजा पाठ भी कराया जा रहा है.
दमोह में फुटेरा तालाब, बेलाताल, पुरैना तालाब सहित कई स्थानों पर लोग अपने पितरों को पितृपक्ष के अवसर पर तर्पण करते हैं. 16 दिन सात्विक भोजन करते हुए यहां लोग पितरों को पानी देते हैं. पितृपक्ष के अवसर पर यह परंपरा काफी पुरानी है और इस सनातनी परंपरा का निर्वहन करने के लिए लोग पितृपक्ष के इन 16 दिनों में पितरों को तर्पण करते हैं.
पुजारी बताते हैं कि यह पितृपक्ष के 16 दिन बहुत महत्वपूर्ण हैं, जिसमें पूर्वजों को याद किया जाता है और उनको पानी दिया जाता (तर्पण) है. शहर के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ग्रामीण अंचलों में भी पितरों को पानी देने के लिए लोग जलाशयों के किनारे भारी संख्या में दिखाई दे रहे हैं. यह धार्मिक प्रक्रिया आगामी दिनों तक लगातार जारी रहेगी.
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पितृपक्ष के अवसर पर आयोजित होने वाले तर्पण कार्यक्रम में दमोह शहर के विभिन्न तालाबों में पहुंचकर धार्मिक क्रियाएं कर रहे हैं. वहीं पंडितों का कहना है कि यह क्रिया सनातन काल से जारी है, जो अनवरत आगामी दिनों में भी पितृपक्ष के दौरान जारी रहेगी.