दमोह। पिछले कुछ महीनों से राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लगातार टलती जा रही है. साथ ही लोकसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, वैसे-वैसे मोदी सरकार के माथे पर चिंता की लकीरें खिंचती जा रही है. इस बीच दमोह में राम जन्मभूमि मंदिर की पृष्ठभूमि को लेकर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया.
विश्व हिंदू परिषद के धर्म प्रसार मंच के माध्यम से भगवान राम जन्मभूमि मंदिर की पृष्ठभूमि को लेकर एक व्याख्यानमाला का आयोजन दमोह में किया गया. मानस भवन में इसका आयोजन किया गया. विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय और बाबरी मस्जिद ढांचा गिराए जाने के बाद राम मंदिर के सबूतों को एकत्रित करने वाली पुरातत्व हिस्टोरियंस फोरम की सदस्य डॉ सुधा मलैया इसमें शामिल हुईं. दोनों ने उस वक्त की कई बातों को साझा किया.
पुरातत्वविद डॉ. सुधा मलैया ने उस दौर के बिंदुओं को विस्तार से श्रोताओं के बीच रखा. साथ ही तत्कालीन समय में मिले एक शिलालेख का ज्रिक करते हुए उन्होंने कहा कि यह साबित करता है कि भगवान श्रीराम का मंदिर उसी स्थान पर था. इसके अलावा कई ऐसे शिलालेख मिले हैं, जो मंदिर के होने की पुष्टि करते हैं. इस दौरान विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने भी लोगों से अपनी बात साझा करते हुए कहा कि राम मंदिर का यह विवाद वर्तमान का नहीं है, बल्कि सैकड़ों साल पुराना है और अब जब सबूत पुख्ता है तो उसके बाद भी फैसला नहीं आना दुखद है. व्याख्यानमाला के दौरान मध्य प्रदेश शासन के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया और बीजेपी से जुड़े जनप्रतिनिधि, पदाधिकारियों सहित हिंदू संगठनों के लोग भी मौजूद रहे.