दमोह। पूर्व केंद्रीय मंत्री और नरसिंहपुर विधायक प्रहलाद पटेल संक्षिप्त प्रवास पर दमोह पहुंचे. यहां उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के बाद मीडिया से चर्चा में दमोह और प्रदेश की जनता का आभार व्यक्त किया. उन्होंने अपने आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की.बता दें कि दमोह संसदीय क्षेत्र से प्रहलाद पटेल सांसद रहे.
दमोह की जनता का कर्ज नहीं उतार सकता: प्रहलाद पटेल ने कहा कि इन साढ़े नौ साल के कार्यकाल में मुझे आप सभी का सहयोग मिला है इसके लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूं. सबसे अच्छी बात यह है कि दमोह जिले की चारों सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की है और प्रदेश में भाजपा की सरकार बन रही है. उन्होंने कहा कि मेरे जीवन काल का सबसे लंबा संसदीय समय दमोह में बीता है. लोगों के मूल्यांकन करने का क्या नजरिया है मुझे नहीं पता. इसलिए जब मैंने संसद की सदस्यता छोड़ी तो अपने ट्वीट में मैंने लिखा था कि आभार और धन्यवाद देने से दमोह की जनता का कर्ज नहीं उतार सकता.
जरुरत पड़ने पर कोई बाउंड्री नहीं: मीडिया से चर्चा में प्रहलाद पटेल ने कहा कि जब तक मैं जीवित रहूंगा तब तक मैं अपने व्यक्तिगत और सामूहिक कर्तव्यों का निर्वहन करता रहूंगा. यह मैं आपको वचन देता हूं कभी मेरी जरूरत पड़े तो मैं यह दावे से कह सकता हूं कि मेरी कोई बाउंड्री नहीं है. पार्टी ने मुझे इतने मौके दिए कि मैं अपने जीवन में चार अलग-अलग जगह से लोकसभा सदस्य रहा हूं.
भाई को कहा धन्यवाद: यह पांचवा स्थान है जहां पर मैंने अपने जीवन का संघर्ष शुरू किया. मैं वास्तव में छिंदवाड़ा या जबलपुर की किसी सीट से लड़ने वाला था. मैं अपने अनुज के लिए साधुवाद व्यक्त करता हूं, जहां एक तरफ परिवारवाद में मां और बेटे, भाई और भाई टिकट के लिए लड़ते दिखते हैं, आपसे कोई चीज छुपी हुई नहीं रहती लेकिन उन्होंने जो परिवारवाद पर तमाचा लगाया है, क्योंकि जो मैं चुनाव जीता हूं उसमें मुन्ना भैया की सक्रियता जरूरी है. राजनीति की सुचिता के लिए भी यह घटना भविष्य में चर्चा का केंद्र होगी.
दमोह से भावनात्मक रूप से जुड़ा हूं: उन्होंने दमोह के संबंध में कहा कि मैं यहां से भावनात्मक रूप से जुड़ा हूं. गौ अभ्यारण्य जरारू धाम के लिए आप सबके सहयोग के लिए आभारी हूं. जरारू धाम अभी दमोह की पहचान है. एक समय वह भविष्य में देश की पहचान बनेगा, ऐसा मेरा भरोसा है. श्री पटेल ने कहा कि जरारू धाम में मैंने कभी राजनीति नहीं की है, और भविष्य में भी नहीं करूंगा. कौन किस दल का है यह बात मायने नहीं रखती. जो जरारू धाम में मदद करेगा वह जरारू धाम का सहयोगी होगा, कोई फर्क नहीं पढ़ना चाहिए. वह दलीय राजनीति का केंद्र न तो कभी था, न है और न भविष्य में रहेगा. मेरा भावनात्मक लगाव रहेगा.
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नशा मुक्ति के लिए मांगा सहयोग: आपके पास जो विरासतें हैं. चाहे वह साहित्य की हों या संस्कृति की हों. आपके पास में दमोह जिले में जो विरासतें हैं वह आसानी से देश के किसी अन्य जिले में मिलती नहीं है. इसलिए मैं आपसे यही विनती करूंगा कि विकास तो निश्चित रूप से चाहिए, लेकिन विकास और विरासत का जो सामूहिक मॉडल है उसकी तरफ हम सबको चलना चाहिए. नशे जैसी कुरीति के खिलाफ आप सबका सहयोग चाहूंगा.