दमोह। जिले में कांग्रेस ने 5 लोधियों को 11 बार टिकट दिया, जिसमें से चार ने पलटी मारकर विपक्षी दल का दामन थाम लिया. इतना ही नहीं समय के साथ यह फिर से वापस अपनी पार्टी में आए. पार्टी ने इन्हें फिर टिकट दिया. लेकिन ये पार्टी की काम न आ सके. पहले हम बात करें तो तिलक सिंह को 1999 में कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया. लेकिन उसमें उन्हें करारी हार मिली. इसके बाद 2004 में उन्हें फिर से लोकसभा का टिकट दिया गया. लेकिन इस बार भी उन्हें हर का सामना करना पड़ा. यह चुनाव उन्हें चंद्रभान सिंह ने हराया था. 2004 में हार का सामना करने के बाद तिलक सिंह ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. लेकिन वहां पर ज्यादा पूछ परख न होने की चलते कुछ समय बाद ही वह कांग्रेस में वापस लौट आए. MP Congress Cast Politics
तिलक सिंह का बार-बार तिलक : इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने तिलक सिंह पर एक बार फिर भरोसा जताया और 2013 में बड़ामलहरा विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन वह हार गए. उन्हें रेखा यादव ने चुनाव हराया था. इसी तरह इसके बाद 2008 में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग करने वाले भाजपा सांसद चंद्रभान सिंह सुर्खियों में आए. पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया था. इससे नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने उन पर भरोसा जताते हुए 2008 में दमोह विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया. लेकिन भाजपा के कद्दावर नेता जयंत मलैया से वह चुनाव हार गए. उन्हें एक बार फिर से 2009 में दमोह लोकसभा से उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन इस बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. MP Congress Cast Politics
चचेरे भाइयों ने दिया दगा : कांग्रेस ने एक ही परिवार की दो सगे चचेरे भाइयों राहुल सिंह को दमोह तथा प्रदुम्न सिंह को बड़ा मलहरा से अपना उम्मीदवार बनाया. दोनों ही भाई अपनी अपनी विधानसभा सीट से विजयी हुए. राहुल भाजपा के पूर्व मंत्री एवं कद्दावर नेता जयंत मलैया को काफी कम मतों से हराकर विधानसभा पहुंचे और मुख्यमंत्री कमलनाथ के चहेते बन गए. लेकिन सरकार बदलते ही दोनों भाइयों ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया. जिसमें भाजपा ने दोनों ही भाइयों को अपनी-अपनी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया. प्रदुम्न सिंह दूसरी बार फिर निर्वाचित हो गए लेकिन राहुल सिंह को कांग्रेस नेता अजय टंडन ने उपचुनाव में भारी मतों से शिकस्त दे दी. MP Congress Cast Politics
हारने के बाद भी दिया टिकट : इसी तरह कभी पूर्व मंत्री दिवंगत नेता रत्नेश सालोमान के खासमखास रहे प्रताप सिंह को कांग्रेस ने 2013 में जबेरा विधानसभा से अपना उम्मीदवार बनाया. वह पार्टी की उम्मीद पर खरे उतरे और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी पूर्व मंत्री दशरथ सिंह को चुनाव हार दिया. इसके बाद 2018 में कांग्रेस ने उन्हें फिर से अपना प्रत्याशी बनाया. लेकिन रत्नेश सालोमन के बेटे आदित्य सालोमन की बगावत के कारण वह चुनाव हार गए. दो चुनाव हारने के बाद भी कांग्रेस ने तीसरी बार फिर उन पर भरोसा जताया और लोकसभा का 2019 में टिकट दिया. लेकिन इस बार मोदी लहर के कारण वह भाजपा के दिग्गज नेता प्रहलाद पटेल से चुनाव हार गए. MP Congress Cast Politics
ये खबरें भी पढ़ें... |
पथरिया सीट भी बड़ा उदाहरण : कहते हैं कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंककर पीता है. लेकिन कांग्रेस ने इससे कोई सबक नहीं लिया. 2018 में राव बृजेंद्र सिंह के कारण कांग्रेस को बुरी तरह पथरिया विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा था. राव बृजेंद्र सिंह निर्दलीय चुनाव लड़े थे और तीसरे नंबर पर आए थे. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गौरव पटेल को मात्र 25 हजार मत मिले थे और वह चौथे नंबर पर पहुंच गए. इसे राजनीति की मजबूरियां कहें या कुछ और की कांग्रेस ने हार के डर से राव बृजेंद्र सिंह पर इस बार पथरिया से दांव लगाया है. वहीं दो चुनाव हार चुके प्रताप सिंह पर जबेरा विधानसभा से तीसरी बार दांव लगाया है. MP Congress Cast Politics