दमोह। दमोह संसदीय सीट हमेशा से हाई प्रोफाइल सीट रही है. कई चर्चित चेहरों ने इस सीट से चुनावी मैदान में अपना दांव लगाया है. इन चेहरों ने देश की राजनीति में चार चांद लगा दिए हैं. दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वालों में राष्ट्रपति भवन से लेकर फिल्मी दुनिया, भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता शामिल हैं. दमोह लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. साल 1989 से यहां सिर्फ बीजेपी का ही राज रहा है.
दमोह में पहला आम चुनाव 1962 में हुआ था, जिसमें सहोदरा राय ने इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. 1967, 1971 में भी कांग्रेस की जीत का सिलसिला कायम रहा, लेकिन 1977 में भारतीय लोक दल के नरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को हार का स्वाद भी चखाया. कांग्रेस ने 1980 और 1984 के चुनावों में इस सीट पर फिर कब्जा जमाया.
1989 में बीजेपी ने पहली बार दमोह लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. बीजेपी को यह जीत दिलाने वाले थे लोकेंद्र सिंह, जो दमोह से बीजेपी के पहले सांसद रहे. ये चुनाव बीजेपी के लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ. इस चुनाव के बाद से इस सीट पर हमेशा बीजेपी का ही कब्जा रहा. साल 1991 से साल 1999 तक बीजेपी के डॉ रामकृष्ण कुसमरिया दमोह के सांसद बने. 2004 में बीजेपी के चंद्रभान सिंह लोधी चुनाव जीते. वहीं साल 2009 में बीजेपी के शिवराज सिंह लोधी ने जीत हासिल की.
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से जीत दिलाने वाले प्रहलाद पटेल पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है. भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल का कहना है कि कई विकास कार्य अधूरे रह गए हैं, जिन्हें पूरा करने के लक्ष्य के साथ ही वो चुनावी मैदान में फिर से उतरे हैं.
सांसद प्रहलाद के लिए दमोह की जनता की मिलीजुली राय है. कुछ लोग तो अपने सांसद के कामों से खुश हैं. उनका कहना है कि जिले में विकास कार्य हुआ हैतो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सांसद के कराए गए कामों में गुणवत्ता की कमी है.
बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस दमदार उम्मीदवार की तलाश में लगी हुई है. अब देखना ये होगा कि कांग्रेस का प्रत्याशी इस किले पर फतह करता है या बीजेपी अपने राज को कायम रखने में कामयाब होती है.