ETV Bharat / state

दमोह लोकसभा सीट पर सालों से है बीजेपी का राज, क्या कांग्रेस लगा पाएगी किले में सेंध - damoh

दमोह लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. 1989 से यहां बीजेपी का राज रहा है. कांग्रेस बीजेपी के इस गढ़ को जीतने के लिए एक दमदार प्रत्याशी की तलाश कर रही है.

क्यों कहते हैं दमोह लोकसभा सीट को हाई प्रोफाईल सीट?
author img

By

Published : Mar 30, 2019, 3:13 PM IST

दमोह। दमोह संसदीय सीट हमेशा से हाई प्रोफाइल सीट रही है. कई चर्चित चेहरों ने इस सीट से चुनावी मैदान में अपना दांव लगाया है. इन चेहरों ने देश की राजनीति में चार चांद लगा दिए हैं. दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वालों में राष्ट्रपति भवन से लेकर फिल्मी दुनिया, भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता शामिल हैं. दमोह लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. साल 1989 से यहां सिर्फ बीजेपी का ही राज रहा है.

क्यों कहते हैं दमोह लोकसभा सीट को हाई प्रोफाईल सीट?

दमोह में पहला आम चुनाव 1962 में हुआ था, जिसमें सहोदरा राय ने इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. 1967, 1971 में भी कांग्रेस की जीत का सिलसिला कायम रहा, लेकिन 1977 में भारतीय लोक दल के नरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को हार का स्वाद भी चखाया. कांग्रेस ने 1980 और 1984 के चुनावों में इस सीट पर फिर कब्जा जमाया.

1989 में बीजेपी ने पहली बार दमोह लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. बीजेपी को यह जीत दिलाने वाले थे लोकेंद्र सिंह, जो दमोह से बीजेपी के पहले सांसद रहे. ये चुनाव बीजेपी के लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ. इस चुनाव के बाद से इस सीट पर हमेशा बीजेपी का ही कब्जा रहा. साल 1991 से साल 1999 तक बीजेपी के डॉ रामकृष्ण कुसमरिया दमोह के सांसद बने. 2004 में बीजेपी के चंद्रभान सिंह लोधी चुनाव जीते. वहीं साल 2009 में बीजेपी के शिवराज सिंह लोधी ने जीत हासिल की.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से जीत दिलाने वाले प्रहलाद पटेल पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है. भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल का कहना है कि कई विकास कार्य अधूरे रह गए हैं, जिन्हें पूरा करने के लक्ष्य के साथ ही वो चुनावी मैदान में फिर से उतरे हैं.

सांसद प्रहलाद के लिए दमोह की जनता की मिलीजुली राय है. कुछ लोग तो अपने सांसद के कामों से खुश हैं. उनका कहना है कि जिले में विकास कार्य हुआ हैतो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सांसद के कराए गए कामों में गुणवत्ता की कमी है.

बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस दमदार उम्मीदवार की तलाश में लगी हुई है. अब देखना ये होगा कि कांग्रेस का प्रत्याशी इस किले पर फतह करता है या बीजेपी अपने राज को कायम रखने में कामयाब होती है.

दमोह। दमोह संसदीय सीट हमेशा से हाई प्रोफाइल सीट रही है. कई चर्चित चेहरों ने इस सीट से चुनावी मैदान में अपना दांव लगाया है. इन चेहरों ने देश की राजनीति में चार चांद लगा दिए हैं. दमोह लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वालों में राष्ट्रपति भवन से लेकर फिल्मी दुनिया, भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता शामिल हैं. दमोह लोकसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. साल 1989 से यहां सिर्फ बीजेपी का ही राज रहा है.

क्यों कहते हैं दमोह लोकसभा सीट को हाई प्रोफाईल सीट?

दमोह में पहला आम चुनाव 1962 में हुआ था, जिसमें सहोदरा राय ने इस सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाई थी. 1967, 1971 में भी कांग्रेस की जीत का सिलसिला कायम रहा, लेकिन 1977 में भारतीय लोक दल के नरेंद्र सिंह ने कांग्रेस को हार का स्वाद भी चखाया. कांग्रेस ने 1980 और 1984 के चुनावों में इस सीट पर फिर कब्जा जमाया.

1989 में बीजेपी ने पहली बार दमोह लोकसभा सीट पर जीत हासिल की. बीजेपी को यह जीत दिलाने वाले थे लोकेंद्र सिंह, जो दमोह से बीजेपी के पहले सांसद रहे. ये चुनाव बीजेपी के लिए टर्निंग प्वॉइंट साबित हुआ. इस चुनाव के बाद से इस सीट पर हमेशा बीजेपी का ही कब्जा रहा. साल 1991 से साल 1999 तक बीजेपी के डॉ रामकृष्ण कुसमरिया दमोह के सांसद बने. 2004 में बीजेपी के चंद्रभान सिंह लोधी चुनाव जीते. वहीं साल 2009 में बीजेपी के शिवराज सिंह लोधी ने जीत हासिल की.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से जीत दिलाने वाले प्रहलाद पटेल पर पार्टी ने एक बार फिर भरोसा जताया है. भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल का कहना है कि कई विकास कार्य अधूरे रह गए हैं, जिन्हें पूरा करने के लक्ष्य के साथ ही वो चुनावी मैदान में फिर से उतरे हैं.

सांसद प्रहलाद के लिए दमोह की जनता की मिलीजुली राय है. कुछ लोग तो अपने सांसद के कामों से खुश हैं. उनका कहना है कि जिले में विकास कार्य हुआ हैतो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सांसद के कराए गए कामों में गुणवत्ता की कमी है.

बीजेपी के इस गढ़ में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस दमदार उम्मीदवार की तलाश में लगी हुई है. अब देखना ये होगा कि कांग्रेस का प्रत्याशी इस किले पर फतह करता है या बीजेपी अपने राज को कायम रखने में कामयाब होती है.

Intro:दमोह संसदीय क्षेत्र कई चुनाव में रही है हाई प्रोफाइल सीट, यहां से लड़े हैं देश के कई बड़े चेहरे

तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरी के बेटे, डॉ रामकृष्ण कुसमरिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल यहां से रहे हैं सांसद

भारतीय जनता पार्टी ने प्रहलाद पटेल को फिर बनाया प्रत्याशी कांग्रेस अभी भी कर रही मंथन

Anchor. दमोह संसदीय सीट वर्तमान ही नहीं पहले भी हाई प्रोफाइल सीट रही है. पूर्व में भी इस सीट से ऐसे कई चेहरे चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. जो देश की राजनीति में अपनी महती भूमिका निभा चुके हैं. ऐसे कई बड़े चेहरे दमोह संसदीय क्षेत्र की पहचान बने हैं. जो इस सीट को हाई प्रोफाइल सीट का तमगा देती है. दमोह से चुनाव लड़ने वालों में राष्ट्रपति भवन से लेकर फिल्मी दुनिया भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता केंद्र सरकार के मंत्री सहित कई ऐसे चेहरे हैं जो दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनकर संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, और इतना ही नहीं इन चेहरों के प्रचार प्रसार में वे चेहरे भी दमोह आ चुके हैं जो चेहरे देश की पहचान है. जो चेहरे देश का बच्चा-बच्चा जानता है.


Body:Vo. देश की आजादी के बाद सन 1962 में दमोह संसदीय सीट से सहोदरा राय ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता. 1967 के चुनाव में मणि भाई पटेल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता, जो बीड़ी उद्योगपति थे. सन 1971 में तत्कालीन देश के राष्ट्रपति वीवी गिरी के पुत्र शंकर गिरी दमोह संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और वे जीते. उस दौरान दमोह की सीट को हाई प्रोफाइल सीट का तमगा हासिल हुआ. राष्ट्रपति के बेटे ने दमोह संसदीय क्षेत्र की बातें संसद भवन में रखी. लेकिन चुनाव जीतने के बाद कभी दमोह नहीं आए. सन 1977 में भारतीय लोक दल के नरेंद्र सिंह ने चुनाव जीता. सन 1980 में कांग्रेस के प्रभु नारायण टंडन ने चुनाव जीता. सन 1984 में कांग्रेस के डालचंद जैन ने चुनाव जीता. सन 1989 में भारतीय जनता पार्टी से लोकेंद्र सिंह चुनाव जीते. सन 1991 सन 1996 सन 1998 और सन 1999 में लगातार चार बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर डॉ रामकृष्ण कुसमरिया दमोह के सांसद बने. साल 2004 में भारतीय जनता पार्टी के चंद्रभान सिंह लोधी चुनाव जीते. साल 2009 में भारतीय जनता पार्टी के शिवराज सिंह लोधी चुनाव जीते. 5 साल होने संसद में दमोह संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.

बाइट- नारायण सिंह ठाकुर वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीति के जानकार

VO. दमोह को एक बार फिर हाई प्रोफाइल सीट का तमगा तब हासिल हुआ जब साल 2014 में भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अटल सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे प्रहलाद पटेल ने दमोह संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी बनकर चुनाव जीता. उन्होंने संसद में दमोह का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने पूरे 5 साल दमोह संसदीय क्षेत्र की समस्याओं को संसद के पटल पर रखा एक कई बार टीवी चैनलों की डिबेट में शामिल हुए और संसद में सवाल करते नजर आए. इस बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में वे चुनावी मैदान में हैं 28 जून 1960 को नरसिंहपुर गोटेगांव में जन्मे प्रहलाद सिंह पटेल ग्रेजुएशन एलएलबी है. साथ ही भारतीय राजनीति के कद्दावर नेता भी माने जाते हैं. साल 2014 के चुनाव में इन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को 200000 से भी ज्यादा मतों से पराजित किया था. ईटीवी भारत ने जब वर्तमान सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रहलाद पटेल से बात की तो उनका कहना था कि अनेक मामले ऐसे रह गए हैं, जिनकी पूर्ति करना उनका लक्ष्य है, और इसी लक्ष्य को लेकर वह चुनाव मैदान में उतरे है.

बाइट - प्रहलाद सिंह पटेल सांसद दमोह एवं भाजपा प्रत्याशी

Vo. वर्तमान सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के बारे में जब हमने आम जनता की राय जानना चाही तो हमें मिली जुली प्रतिक्रिया मिलती नजर आई. जहां कुछ लोग संसद के कार्यों से बहुत खुश नजर आए, तो वही कुछ लोगों का कहना था कि सांसद ने जितने भी काम किए उनमें गुणवत्ता नहीं थी. दिखावे के लिए काम किए गए. लेकिन सांसद के काम की सराहना करने वाले भी लोग हमें अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आए.

बाइट - कौशलेंद्र पांडे
बाइट - राहुल जैन


Conclusion:Vo. दमोह संसदीय सीट जहां वर्तमान में हाई प्रोफाइल सीटों में शुमार है. वहीं इसके पहले भी चुनाव प्रचार के लिए देश के बड़े नेता सभाओं को संबोधित करने आ चुके हैं. चाहे कांग्रेस हो और चाहे भारतीय जनता पार्टी और अन्य दलों के भी बड़े नेता दमोह की धरती पर लोकसभा चुनाव के समय सभाओं को संबोधित कर अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाते इतिहास रचते रहें है. वर्तमान में दमोह संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी ने अपने कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल को एक बार फिर दमोह संसदीय क्षेत्र से ही मैदान में उतारा है. तो कांग्रेस अभी भी प्रत्याशी की तलाश में है, और माना जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 4 बार सांसद रहे डॉ रामकृष्ण कुसमरिया पर कांग्रेस दाव लगा सकती है. वर्तमान विधायक राहुल सिंह लोधी, पूर्व विधायक प्रताप सिंह लोधी, पटेल नेता जीवन पटेल एवं मानक पटेल भी चुनावी दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं. देखना होगा दमोह की इस हाई प्रोफाइल सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता प्रहलाद पटेल के खिलाफ कौन सा प्रत्याशी कांग्रेस उतार कर मुकाबले को रोचक बनाती है.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह

नोट - माननीय सर कौशिक जी के निर्देश पर डेस्क द्वारा इस स्टोरी के लिए निर्देश दिए गए थे. यह स्टोरी हाई प्रोफाइल सीट को लेकर थी. जिसे दमोह से पूरा करके भेज रहा हूं. यथोचित स्थान देने का कष्ट करें.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.