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होली के रंग बुंदेली गीतों के संग, बुंदेलखंड में चर्चित हैं होली के ये गीत..

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Published : Mar 20, 2019, 9:10 AM IST

होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह से समा बांधा कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.

बुंदेली गीतों का बंधा समां

दमोह। बुंदेलखंड के साहित्यकार अपनी कला के माध्यम से दुनिया भर में लोहा मनवा चुके हैं. होली के मौके पर बुंदेली गीतों के रचनाकार साहित्य की विधा में गीतों को कुछ इस तरह से पिरो देते हैं कि सुनने वाला वाह-वाह कह उठता है. होली के अवसर पर दमोह के चर्चित और प्रसिद्ध साहित्यकारों ने बुंदेली गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.

दमोह के रहने वाले बुंदेली साहित्यकार डॉक्टर श्याम सुंदर शुक्ला और मनीष रैकवार ने डॉक्टर प्रेमलता नीलम संगीत साधना केंद्र में होली के कार्यक्रम में शिरकत की. वहां उन्होंने कुछ इस तरह से बुंदेली गीतों के रंग बिखेरे कि मौजूद लोग तालियां बजाकर वाह-वाह कह उठे. बुंदेली गीतों के माध्यम से साहित्यकारों ने बताया कि फागुन के महीने में होली का ये त्यौहार किस तरह से सारी प्रकृति में बदलाव लाता है, जिससे लोगों के जीवन में क्या बदलाव देखने को मिलता है.

बुंदेली गीतों का बंधा समां

साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए गीतों ने सभी का मन मोह लिया. बुंदेली गीतों से यहां मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो उठे. दर्शक गीत सुनकर अपने जीवन में घटित घटनाओं को याद कर झूम उठे. होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह से समा बांधा कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.

दमोह। बुंदेलखंड के साहित्यकार अपनी कला के माध्यम से दुनिया भर में लोहा मनवा चुके हैं. होली के मौके पर बुंदेली गीतों के रचनाकार साहित्य की विधा में गीतों को कुछ इस तरह से पिरो देते हैं कि सुनने वाला वाह-वाह कह उठता है. होली के अवसर पर दमोह के चर्चित और प्रसिद्ध साहित्यकारों ने बुंदेली गीतों के माध्यम से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.

दमोह के रहने वाले बुंदेली साहित्यकार डॉक्टर श्याम सुंदर शुक्ला और मनीष रैकवार ने डॉक्टर प्रेमलता नीलम संगीत साधना केंद्र में होली के कार्यक्रम में शिरकत की. वहां उन्होंने कुछ इस तरह से बुंदेली गीतों के रंग बिखेरे कि मौजूद लोग तालियां बजाकर वाह-वाह कह उठे. बुंदेली गीतों के माध्यम से साहित्यकारों ने बताया कि फागुन के महीने में होली का ये त्यौहार किस तरह से सारी प्रकृति में बदलाव लाता है, जिससे लोगों के जीवन में क्या बदलाव देखने को मिलता है.

बुंदेली गीतों का बंधा समां

साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत किए गए गीतों ने सभी का मन मोह लिया. बुंदेली गीतों से यहां मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो उठे. दर्शक गीत सुनकर अपने जीवन में घटित घटनाओं को याद कर झूम उठे. होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह से समा बांधा कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.

Intro:होली पर बिखरा बुंदेली गीतों का रंग, बुंदेली गीतों की कहानी बुंदेली कलाकारों की जुबानी

बुंदेलखंड में चर्चित है होली के यह गीत, गीत सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाएंगे आप

जिले के नामी गिरामी साहित्यकारों के बोल में बुंदेली गीतों में घुला होली का रंग

Anchor. दमोह जिला बुंदेलखंड का वह महत्वपूर्ण जिला है जहां साहित्यकार अपनी साहित्य कला के माध्यम से देश ही नहीं देश की सीमाओं से पार अपना लोहा मनवा चुके हैं. जब होली का मौका हो तो बुंदेली रचनाओं को गाने वाले साहित्यकार अपनी साहित्य की विधा में बुंदेली गीतों को कुछ इस तरह से पिरो देते हैं कि सुनने वाला वाह-वाह कह उठता है. होली के अवसर पर दमोह के चर्चित और प्रसिद्ध साहित्यकारों ने बुंदेली गीतों के माध्यम से होली के रंगों को इस तरह से बिखेरा के सभी मंत्रमुग्ध हो गए.


Body:Vo. दमोह के रहने वाले बुंदेली भाषा के जानकार साहित्यकार डॉ श्याम सुंदर शुक्ला एवं मनीष रैकवार ने डॉक्टर प्रेमलता नीलम संगीत साधना केंद्र में होली के अवसर पर कुछ इस तरह से बुंदेली गीतों के रंग बिखेरे कि इस दौरान मौजूद लोग तालियां बजाकर वाह वाह कह उठे. फागुन के महीने में होली का यह त्यौहार किस तरह से सारी प्रकृति में बदलाव लाता है, किस प्रकार से मौसम में बदलाव होता है, और किस तरह से व्यक्तियों के जीवन में बदलाव देखने मिलता है. यह सब कुछ बुंदेली गीतों के माध्यम से साहित्यकारों ने प्रस्तुत किया. वहीं होली के त्यौहार पर अपनी नई नवेली दुल्हन को लेने जब जीजा जी ससुराल जाते हैं. तो उनके साथ क्या होता है. यह भी साहित्यकारों ने अपने गीतों में संगीत की धुन पर गाया, तो यहां पर मौजूद लोग मंत्रमुग्ध हो गए. दर्शक दीर्घा में बैठे लोग अपने साथ घटित घटनाओं को याद कर वाह वाह कर उठे. होली के अवसर पर बुंदेली गीतों की शाम ने कुछ इस तरह समा बांधा, कि हर एक गीत होली के रंग में रंगीन होता नजर आया.

आशीष कुमार जैन
ईटीवी भारत दमोह

नोट. होली के अवसर पर बुंदेली गीतों, फागो के गायन की खबर के लिए असाइनमेंट से कॉल आया था. जिसको कंप्लीट करके भेजा हूं. निवेदन है प्राथमिकता के आधार पर तीनों गीतों को खबर में लगाने का कष्ट करें.


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