दमोह। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले आया एक शब्द 'माई के लाल' अब फिर सियासी खलबली मचा रहा है. एक बार फिर बीजेपी नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री जयंत मलैया की जुबान पर ये शब्द आया है. बीजेपी के खेत धरना-प्रदर्शन के दौरान एक गांव में भाषण के दौरान पूर्व मंत्री ने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ऐसा कोई 'माई का लाल' है, जिसका काम इस सरकार में बिना पैसै के हो रहा है.
बिना पैसों के नहीं होता कोई काम
जिले के बांदकपुर गांव में लोगों के बीच भाषण देते हुए उनके मुंह से 'माई के लाल' शब्द निकला. जयंत मलैया का दावा है कि प्रदेश में कमलनाथ की सरकार में दलाल सक्रिय हैं. टीचर के तबादलों तक में पैसे लिए जा रहे हैं. खुले मंच से मलैया ने इस बात को कहा की वो भी विधायक-मंत्री रहे हैं. लेकिन कोई उनपर एक पैसे का आरोप नहीं लगा सका. लेकिन इस सरकार में बिना पैसे के कोई काम संभव नहीं है.
माई के लाल पर सियासी बवाल
साल भर पहले प्रदेश में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले इस शब्द ने जमकर हंगामा मचाया था. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भरी सभा में आरक्षण की वकालत करते हुए कहा था कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता. शिवराज के इस बयान ने पूरे सूबे में खलबली मचा दी थी. सियासतदारों से लेकर सड़कों तक शिवराज की जमकर आलोचना हुई थी. इतना ही नहीं कहा जाता है कि इसी शब्द ने प्रदेश में सपाक्स जैसी राजनैतिक पार्टी को भी जन्म दिया.
जयंत मलैया भी उन लोगों में शामिल हैं. जिन्हें शिवराज के माई के लाल बयान का खामियाजा भुगतना पड़ा. करीब चार दशकों की राजनैतिक चमक-दमक से दूर विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. लेकिन हार के बाद भी वो क्षेत्र में सक्रिय हैं.