दमोह। महिला दिवस पर अगर महिलाओं की उपलब्धियों की बात की जाए तो न जाने कितने नामों का जिक्र होगा. देश में कई महिलाओं ने आसमान में उड़ान भरने से लेकर देश की सुरक्षा के लिए जान देने तक हर क्षेत्र में अलग भूमिका निभाई है. दमोह की डॉ. प्रेमलता नीलम भी ऐसी ही एक मिसाल हैं, जिन्होंने बुंदेली के उत्थान में खासी भूमिका निभाई.
मातृभाषा बुंदेली के लिए जिंदगी के चार दशक देने वाली महिला का नाम डॉ. प्रेमलता नीलम है. डॉ. प्रेमलता नीलम ने 70 के दशक से काव्य साधना की शुरूआत की उन्होंने अपनी काव्य शैली का लोहा मनवाते हुए, कई किताबें लिखीं और दर्जन भर पुरस्कार अपने नाम किए.
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से भी नवाजा गया. गौर करने वाली बात यह है कि उन्होंने करीब आधा दर्जन देशों की यात्राएं कर बुंदेली और हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार कर इतिहास रचा जो दमोह के लिए गौरव की बात है.
डॉ. प्रेमलता नीलम द्वारा लिखी गई किताबें अनेक विश्वविद्यालयों में शोध करने वाले विद्यार्थियों के लिए कारगर साबित हो रही हैं. डॉक्टर नीलम की साहित्य साधना आज भी अनवरत जारी है.